‘उड़ी और पठानकोट हमलों के बाद भी सरकार ने ज़रूरी कदम नहीं उठाए’

संसदीय समिति ने देश के रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर कड़ी टिप्पणी की है. समिति ने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमलों के बावज़ूद सरकार ने इसे रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए हैं.

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संसदीय समिति ने देश के रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर कड़ी टिप्पणी की है. समिति ने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमलों के बावज़ूद सरकार ने इसे रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए हैं.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

भाजपा के वरिष्ठ नेता और संसद की एक हाई पावर संसदीय समिति के अध्यक्ष मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी ने ये टिप्पणी की है. उनके अनुसार, ‘देश के रक्षा प्रतिष्ठानों पर लगातार हमलों के बाद भी रक्षा मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा के लिए ईमानदारी से कदम नहीं उठाया.’

रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर सख़्त टिप्पणियां की हैं. समिति के अनुसार, उड़ी और पठानकोट हमलों के बाद भी मंत्रालय ने ज़रूरी कदम नहीं उठाए हैं.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने कहा कि सुरक्षा में सुधार के लिए आर्मी के पूर्व उप प्रमुख फिलिप कैंपोज ने मई 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बावजूद रक्षा मंत्रालय कोई भी कदम उठाता नहीं दिख रहा है.

गुरुवार को संसद में पेश हुई संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सुरक्षा के हालात उतने ही खराब है जितने पठानकोट और उड़ी हमले के वक्त थे. रिपोर्ट के पेश होने के 6-7 महीनों के बाद भी अब तक कोई ठोस कदम उठाया गया हो, ऐसा नहीं लगता.’

पिछले साल दिसंबर में इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पेरिमीटर डिफेंस सिस्टम की तैनाती और जम्मू-कश्मीर में सीमावर्ती चौकियों पर घुसपैठ को लेकर अलर्ट करने वाले उपकरणों को लगाने का काम इसलिए लटका हुआ है, क्योंकि इसे केंद्र सरकार की ओर अब तक मंज़ूरी नहीं मिल सकी है.

जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद संवेदनशील राज्यों में रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को मजबूत करने की योजना बनाई गई थी. इसके लिए शुरुआती खर्च 400 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था. हालांकि वह योजना क्रियान्वित हो ही नहीं पाई.

इतना ही नवभारत टाइम्स की एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 के बजट में सेना ने अपने आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार से जो बजट मांगा था, उसमें से उन्हें 60 फीसदी फंड ही मिल सका है. वहीं जल सेना को 67 फीसदी तो वायुसेना को 54 फीसद फंड मिला है.

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कुल रक्षा बजट 2.74 लाख करोड़ रुपये का है. इसमें से सिर्फ 86,488 करोड़ रुपये ही सेनाओं के आधुनिकीकरण के मद में आवंटित किया गया है. और तो और, इसमें से भी ज़्यादातर हिस्सा पहले के रक्षा सौदों की देनदारियों को चुकाने में खर्च होगा न कि नई परियोजनाओं पर.

पिछले साल दो जनवरी को पंजाब के पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में सात जवान शहीद हो गए थे. इस मुठभेड़ में सभी छह आतंकवादियों को जवानों ने मार गिराया था.

इसके तकरीबन आठ महीनों बाद 18 सितंबर, 2016 को जम्मू और कश्मीर के उड़ी सेक्टर में एलओसी के पास मौजूद भारतीय सेना के मुख्यालय पर फिर आतंकी हमला हुआ. इसमें 18 जवान शहीद हो गए. सैन्य बलों की कार्रवाई में सभी चार आतंकी मारे गए. बताया जाता है कि यह भारतीय सेना पर किया गया, लगभग 20 सालों में सबसे बड़ा हमला था.