राम मंदिर का विरोध करने वाले मुस्लिमों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए: शिया वक़्फ़ बोर्ड प्रमुख

बयान पर भड़के शिया धर्मगुरुओं ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड प्रमुख को सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल में डाल देना चाहिए.

बयान पर भड़के शिया धर्मगुरुओं ने कहा कि वक़्फ़ बोर्ड प्रमुख को सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल में डाल देना चाहिए.

UP Shia Central Waqf Board Chief Waseem Rizvi addresses the media outside the Supreme Court in New Delhi on December 5, 2017. (PTI)
उत्तर प्रदेश के शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी. (फोटो: पीटीआई)

फैजाबाद (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले मुस्लिमों को ‘पाकिस्तान या बांग्लादेश’ चले जाना चाहिए.

उच्चतम न्यायालय राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आठ फरवरी से सुनवाई करने वाला है.

रिज़वी ने शुक्रवार को अयोध्या में विवादित ज़मीन के पास नमाज़ पढ़ी और राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास से मुलाकात की.

इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘जो लोग अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर बनाने का विरोध कर रहे हैं और बाबरी मस्जिद चाहते हैं… ऐसे कट्टर मानसिकता वाले लोगों को पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाना चाहिए. ऐसे मुसलमानों के लिए भारत में कोई स्थान नहीं है.’

रिजवी ने बताया, ‘मस्जिद के नाम पर जो जिहाद फैलाना चाहते हैं उन्हें ज़रूर चले जाना चाहिए और आईएसआईएस प्रमुख अबू बकर अल बगदादी के गुट में शामिल होना चाहिए.’

उन्होंने आरोप लगाया कि कट्टरपंथी मुस्लिम मौलवी देश को तोड़ना चाहते हैं और उन्हें पाकिस्तान और अफगानिस्तान चले जाना चाहिए.

रिज़वी के बयान पर भड़के शिया धर्मगुरुओं ने कहा कि उन्हें सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार कर जेल में डाल देना चाहिए.

शिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष इफ़्तेख़ार हुसैन इंक़लाबी ने कहा, ‘रिज़वी एक अपराधी हैं जिन्होंने वक़्फ़ की संपत्तियों पर कब्ज़ा किया है और उसे अवैध तरीके से बेचा है.’ उन्होंने कहा, ‘सीबी-सीआईडी ने रिज़वी के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल किया है और क़ानूनी पंजे से छुटकारा पाने के लिए वह बड़ा ड्रामा कर रहे हैं.’

ग़ौरतलब है कि बीते जनवरी महीने में शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने दावा किया था कि देश के अधिकतर मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं हैं और ऐसे संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम छात्र बेरोज़गारी की ओर बढ़ रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्होंने अनुरोध किया था कि देश में मदरसों को बंद कर दिया जाए. बोर्ड ने आरोप लगाया है कि ऐसे इस्लामी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा छात्रों को आतंकवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है.

उन्होंने आरोप लगाया था कि मदरसों के संचालन के लिए पैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी आते हैं तथा कुछ आतंकवादी संगठन भी उनकी मदद कर रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)