पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से सैन्य हस्तक्षेप की मांग की. भारत और चीन ने अपने नागरिकों से मालदीव की यात्रा टालने को कहा है. अमेरिका ने राष्ट्रपति से क़ानून का सम्मान करने की अपील की.
माले/नई दिल्ली/बीजिंग/वॉशिंगटन: मालदीव में आपातकाल की घोषणा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के बीच मौजूदा संकट उस समय और गहरा गया जब सुरक्षा बलों ने शीर्ष अदालत परिसर पहुंचकर दो शीर्ष न्यायाधीशों को गिरफ़्तार कर लिया, इसमें से एक चीफ जस्टिस हैं.
यह छोटा सा पर्यटक द्वीपसमूह में आपातकाल लगाने से पहले यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक क़ैदियों की तत्काल रिहाई के आदेश को मानने से भी इनकार कर दिया था.
पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक क़ैदियों को तत्काल रिहा करने का आदेश देने के बाद से राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने कई लोगों की गिरफ़्तारी के आदेश दिए हैं.
सरकार ने सोमवार रात 15 दिन का आपातकाल घोषित कर दिया. इससे उसे गिरफ़्तारी, तलाशी तथा संपति ज़ब्त करने और लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने जैसी व्यापक शक्तियां मिल गई हैं.
यामीन वर्ष 2013 से सत्ता में आने के बाद से अपना विरोध करने वाले हर व्यक्ति को जेल में डाल रहे हैं.
आपातकाल घोषित किए जाने के कुछ घंटों बाद ही सुरक्षा बलों ने सुप्रीम कोर्ट परिसर पहुंचकर चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश को गिरफ़्तार कर लिया.
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि उन पर कौन सा मामला चलाया जाएगा. मंगलवार सुबह तक अदालत के दो अन्य न्यायाधीशों के ठिकानों की जानकारी भी मौजूद नहीं थी.
यामीन ने बीते सोमवार को अपने सौतेले भाई और पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गय्यूम की गिरफ़्तारी के भी आदेश दिया थे, जो मुख्य विपक्षी दल के पक्ष में हैं. विपक्ष का साथ देने वाले पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गय्यूम को उनके घर में नज़रबंद कर दिया गया.
गय्यूम की पुत्री युम्ना मौमून ने ट्विटर पर बताया कि 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से ले जाया गया. गय्यूम 2008 में देश का पहला लोकतांत्रिक चुनाव होने से पहले 30 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे.
गिरफ्तारी से कुछ देर पहले ही गय्यूम ने ट्विटर पर एक संदेश लिखा था कि भारी संख्या में पुलिस उनके घर को घेरे हुए है, ‘मेरी सुरक्षा के लिए या मेरी गिरफ़्तारी के लिए?’
उनके वकील मौमून हमीद ने कहा कि गय्यूम पर लगाए आरोपों में सरकार को सत्ता से हटाने का प्रयास और रिश्वत लेना शामिल है.
उधर, राष्ट्रपति के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद नशीद ने आपातकाल घोषणा की निंदा की और इसे ‘ग़ैरक़ानूनी आदेश’ क़रार देते हुए लोगों से इसका पालन न करने अपील की.
लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए देश के पहले नेता नशीद ने कहा, ‘यह घोषणा असंवैधानिक और ग़ैरक़ानूनी है.’ सुप्रीम कोर्ट ने जिन लोगों की रिहाई का आदेश दिया था, उसमें नशीद भी शामिल थे. नशीद अभी निर्वासन में रह रहे हैं.
यह दूसरा मौका है जब यामीन ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की है. उन्होंने इससे पहले नवंबर 2015 में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी, जब उनकी कथित तौर पर हत्या किए जाने का प्रयास किया गया था.
इस बीच, अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और कई देश की सरकारों ने मालदीव से अदालत के आदेश का पालन करने का आग्रह किया है.
उच्चतम न्यायालय ने गत गुरुवार को 12 सांसदों की सदस्यता बहाल कर दी थी. ये सांसद यामीन की पार्टी से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे. इससे 85 सदस्यीय संसद में विपक्ष का बहुमत हो गया था और राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाए जाने का ख़तरा मंडराने लगा था. राष्ट्रपति यामीन ने इन राजनीतिक क़ैदियों को रिहा करने से मना कर दिया है.
बहरहाल राष्ट्रपति यामीन की इस कार्रवाई ने छुट्टियों के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले इस देश की छवि को ख़ासा नुकसान पहुंचाया है. पर्यटन मालदीव का सबसे बड़ा उद्योग है. यह देश की कुल जीडीपी का पांचवां हिस्सा है और इससे यहां करोड़ों डॉलर का राजस्व आता है. पिछले साल हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह में 14 लाख लोग घूमने आए थे.
मालदीव संकट पर नशीद ने की भारतीय सैन्य हस्तक्षेप की मांग
कोलंबो/माले: मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मंगलवार को इस द्वीपीय राष्ट्र में चल रहे संकट के हल के लिए भारत की तरफ से कूटनीतिक और सैन्य हस्तक्षेप की मांग की है. यहां राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल की घोषणा की है और सेना ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गिरफ़्तार कर लिया है.
नशीद अपनी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) का संचालन कोलंबो से करते हैं. उन्होंने भारत से मदद का अनुरोध किया है.
एमडीपी द्वारा जारी एक बयान में नशीद ने कहा, ‘हम चाहेंगे कि भारत सरकार न्यायाधीशों और पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गय्यूम समेत हिरासत में लिए गए राजनेताओं को मुक्त कराने के लिए अपनी सेना के साथ एक दूत भेजे. जिससे इन्हें हिरासत से छुड़ाया जाए और वापस उनके घर लाया जा सके.’
नशीद ने कहा कि राष्ट्रपति यामीन ने अवैध रूप से आपातकाल की घोषणा की है.
नशीद ने कहा कि राष्ट्रपति यामीन का ऐलान मालदीव में आपातकाल की घोषणा असंवैधानिक और अवैध है. मालदीव में किसी को भी इस ग़ैरक़ानूनी आदेश को मानने की ज़रूरत नहीं है और उन्हें नहीं मानना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हमें उन्हें सत्ता से हटा देना चाहिए. मालदीव के लोगों की दुनिया की सरकारों से प्रार्थना है, ख़ासतौर पर भारत और अमेरिका से.’
इससे पहले भी नशीद ने सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक बंदियों की तत्काल रिहाई के आदेश के अमल में जान-बूझकर की जा रही देरी पर चिंता जताई थी.
नशीद ने कहा कि राष्ट्रपति यामीन ने अवैध ढंग से मार्शल लॉ घोषित कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट अपनी शक्तियों से आगे निकल रहा है: मालदीव के राष्ट्रपति
आपातकाल लागू करने के बाद द्वीपीय देश मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं के एक समूह की रिहाई का आदेश देने में अपने अधिकारों की सीमा रेखा लांघ ली.
राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गय्यूम ने अदालत को लिखे एक पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार की शक्तियों का अतिक्रमण किया और यह राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित का उल्लंघन है. उन्होंने अदालत से सरकार की चिंताओं पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया.
यह पत्र उनके कार्यालय द्वारा जारी किया गया है.
इससे पहले, क़ानून मंत्री अजीमा शकूर ने कहा, ‘सरकार यह नहीं मानती है कि राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू किया जा सकता है.’
सरकार का यह बयान ऐसे वक़्त पर आया है जब पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि विरोधी नेताओं को दोषी ठहराने वाले फैसले राजनीति रूप से प्रेरित हैं.
भारत ने अपने नागरिकों को मालदीव की यात्रा टालने को कहा
मालदीव में आपातकाल लागू होने के बाद भारत ने वहां के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और क़ानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता प्रकट की और अपने नागरिकों से अगली सूचना तक हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश की सभी ग़ैरज़रूरी यात्रा टालने को कहा है.
परामर्श में विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव में भारतीय प्रवासियों को भी सुरक्षा के बारे में चौकस रहने और सार्वजनिक स्थानों पर जाने और जमा होने से बचने को कहा है.
परामर्श में कहा गया, ‘मालदीव में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम और उसके बाद क़ानून-व्यवस्था की स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय है. इसलिए, भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक माले और अन्य द्वीपों की सभी ग़ैरज़रूरी यात्राएं टालने की सलाह दी जाती है.’
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने कहा था कि मालदीव सरकार के सभी अंग देश के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने के प्रति बाध्यकारी है.
अमेरिका ने यामीन से क़ानून का सम्मान करने की अपील की
अमेरिका ने आपातकाल लगाने के मालदीव सरकार के फैसले पर निराशा और चिंता जताते हुए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन से क़ानून का पालन करने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की अपील की है.
वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा, ‘अमेरिका, मालदीव के राष्ट्रपति यामीन द्वारा आपातकाल घोषित किए जाने की ख़बर से चिंतित एवं निराश है.’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति, सेना और पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने में विफल रही, जो संविधान एवं क़ानून के शासन के ख़िलाफ़ है.
हीथर ने कहा, ‘अमेरिका राष्ट्रपति यामीन, सेना और पुलिस से क़ानून का पालन करने, सु्प्रीम कोर्ट और आपराधिक अदालत के फैसले को लागू करने, संसद की उचित कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने और मालदीव के लोगों एवं संस्थाओं को संविधान में प्रदत्त अधिकारों को बहाल करने की मांग करता हैं.’
चीन ने अपने नागरिकों से मालदीव की यात्रा नहीं करने को कहा
चीन ने सोमवार को अपने नागरिकों को राजनीतिक अशांति के कारण मालदीव की यात्रा नहीं करने को कहा है. मालदीव की अर्थव्यवस्था काफी हद तक चीनी पर्यटकों पर निर्भर है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने बीजिंग में मीडिया से कहा, ‘चीन मालदीव में घटनाक्रमों पर क़रीबी नज़र रखे हुए है.’ उन्होंने राष्ट्रीय स्थिरता और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हुए वार्ता के ज़रिये मालदीव सरकार और राजनीतिक दलों से अपने मतभेद दूर करने को कहा.
हालांकि, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और भारत की तरह आह्वान नहीं किया कि यामीन उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करें. यामीन को चीन का समर्थक माना जाता है.
उन्होंने कहा, ‘मालदीव में जो हुआ, वह उसका आंतरिक मामला है. चीन मालदीव में राष्ट्रीय स्थिरता और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हुए संबंधित दलों के बीच वार्ता और विचार विमर्श के ज़रिये अपने मतभेद दूर करने का समर्थन करता है.’
साथ ही, चीन ने सुरक्षा के प्रति अपने पर्यटकों को आगाह करते हुए उन्हें हालात को देखते हुए मालदीव की यात्रा नहीं करने को कहा है.
चीन का यात्रा परामर्श 15 फरवरी से शुरू हो रहे चीनी नव वर्ष की आगामी छुट्टियों से पहले आया है. चीन मालदीव में पर्यटकों का मुख्य स्रोत है. यहां आने वाले कुल पर्यटकों में चीनी पर्यटकों की संख्या करीब 30 फीसद रहती है.
विपक्षी नेताओं ने वैश्विक समुदाय से मालदीव के राष्ट्रपति पर दबाव बनाने का आग्रह किया
मालदीव के विपक्षी नेताओं ने बीते सोमवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन पर राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और लोकतंत्र बहाल करने के अदालत के एक आदेश का पालन करने का दबाव बनाया जाए.
आपालकाल लागू करने से पहले बीते रविवार को पुलिस ने दो विपक्षी सांसदों को गिरफ़्तार कर लिया जो स्वदेश लौटे थे. इस द्वीपीय देश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है.
मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने कहा कि इसके सांसदों ने संसद को निलंबित करने के सप्ताहांत के एक आदेश की अवज्ञा में एक बैठक करने की कोशिश की लेकिन सशस्त्र बलों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया.
राष्ट्रीय संसद ‘पीपुल्स मजलिस’ के अंदर पिछले साल मार्च से सशस्त्र बल तैनात हैं जब यामीन ने उन्हें असंतुष्ट सांसदों को निकालने का आदेश दिया था.
असंतुष्टों के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति की कार्रवाई से इस छोटे से पर्यटक द्वीपसमूह की छवि को ख़ासा नुकसान पहुंचा है. संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने अनुभवहीन लोकतंत्र में विधि के शासन को बहाल करने की अपील की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा, एपी, एएफपी से इनपुट के साथ)