गंभीर अपराध में मुक़दमे का सामना कर रहे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाए: निर्वाचन आयोग

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामे के ज़रिये आयोग ने कहा कि राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में और प्रभावी क़दम उठाने के लिए क़ानून में संशोधन की ज़रूरत होगी जो चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

New Delhi: A general view of Election Commission of India building in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Vijay Verma (PTI1_23_2018_000047B)
चुनाव आयोग (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामे के ज़रिये आयोग ने कहा कि राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में और प्रभावी क़दम उठाने के लिए क़ानून में संशोधन की ज़रूरत होगी जो चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

New Delhi: A general view of Election Commission of India building in New Delhi on Tuesday. PTI Photo by Vijay Verma (PTI1_23_2018_000047B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने केंद्र के समक्ष कानून में संशोधन कर कम-से-कम पांच वर्ष की सजा के प्रावधान वाले अपराध के आरोपी को अदालत द्वारा आरोप तय किये जाने के बाद चुनाव लड़ने से रोकने का प्रस्ताव रखा है.

शीर्ष न्यायालय में एक हलफनामे के जरिये आयोग ने कहा कि उसने राजनीति को अपराध मुक्त बनाने के लिए सक्रियता के साथ कदम उठाए हैं और सिफारिश की है, लेकिन राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में और प्रभावी कदम उठाने के लिए कानून में संशोधन की जरूरत होगी जो चुनाव निकाय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

उसने कहा कि ऐसे लोग जिनके खिलाफ कम-से-कम पांच वर्ष की सजा के प्रावधान वाले अपराध में अदालत द्वारा आरोप तय किये जा चुके हैं, उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए. बशर्ते मामला चुनाव से छह महीने पहले दर्ज किया गया हो.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी.

हलफनामे में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों का पंजीकरण खत्म करने की शक्ति दी जानी चाहिए और उन्हें दलों का पंजीकरण करने और पंजीकरण खत्म करने को विनियमित करने के लिए आवश्यक आदेश देने की शक्ति दी जानी चाहिए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव सुधारों के लिए 22 प्रस्तावों का एक सेट 2004 में केंद्र को भेजा गया था, जो एक साल बाद व्यक्तिगत, सार्वजनिक शिकायतों, कानून और न्याय की स्थायी समिति के पास भेजा दिया गया था.

2010 में भी कानून मंत्रालय ने कहा था कि निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों का पंजीकरण ख़त्म करने की शक्ति दी जानी चाहिए. कानून आयोग ने भी इसी तरह का सुझाव दिया था.

2016 में निर्वाचन आयोग ने खुद ये पता लगाने लगी कि देश में 2005-2015 के बीच ऐसी कौन सी पार्टी है, जिसने किसी भी चुनाव में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा है. आयोग ऐसे दलों का पंजीकरण ख़त्म करना चाहती है, जो सिर्फ कागज़ पर राजनीतिक दल बनाकर आयकर का फायदा ले रही है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर यह हलफनामा दायर किया गया.

उन्होंने दोषी ठहराये गए लोगों द्वारा राजनीतिक दल के गठन करने और ऐसे लोगों के चुनाव नियमों के तहत अयोग्यता की अवधि में पदाधिकारी बनने पर रोक लगाने की मांग की गयी है.

शीर्ष न्यायालय ने आठ जनवरी को केंद्र और चुनाव अयोग को मामले पर गंभीरता से विचार करने और अपना जवाब दाखिल करने को कहा था.

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)