चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने दावा किया है कि उन्होंने संसदीय सचिव के पद पर रहते हुए कोई वित्तीय लाभ या सुविधाएं नहीं लीं.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) के अयोग्य घोषित किए गए विधायकों से पूछा कि पद क्यों बनाए गए थे. दरअसल, इन विधायकों ने दावा किया है कि उन्होंने संसदीय सचिवों के पद पर रहते हुए कोई वित्तीय लाभ, सरकारी वाहन सहित अन्य सुविधाएं नहीं प्राप्त की.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्र शेखर की सदस्यता वाली एक पीठ ने कहा कि यदि पद बनाए गए थे तो इसका मतलब है कि विधायक उन मंत्रालयों के प्रशासनिक कामकाज की अनदेखी कर रहे थे, जहां वे पदस्थ थे.
पीठ ने कहा, ‘आपके लिए पद क्यों बनाए गए थे? आपको उनसे क्या मिल रहा था? यदि आपको पद दिया गया तो इसका मतलब है कि आप आएंगे और वहां समय देंगे. आप बुनियादी ढांचे का भी इस्तेमाल करेंगे. आप वहां बैठे थे जिसका मतलब है कि आप मंत्रालय के मामलों और कामकाज की अनदेखी कर रहे थे.’
अदालत ने आप के 20 विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. उन्होंने लाभ का पद रखने को लेकर खुद को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को चुनौती दी थी.
उच्च न्यायालय ने विधायकों को अयोग्य करार देने की केंद्र की अधिसूचना पर 24 जनवरी को रोक लगाने से इनकार कर दिया था. चुनाव अयोग ने 19 जनवरी को आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी.