सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में सीबीआई अब तक 15 लोगों को आरोप मुक्त कर चुकी हैं जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गुजरात एटीएस के पूर्व अधिकारी डीजी वंज़ारा भी शामिल हैं.
मुंबई: कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए सोहराबुद्दीन शेख़ के भाई रुबाबुद्दीन शेख़ के वकील ने बीते गुरुवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया कि सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी. और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की हत्या गुजरात एवं राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से रची गई साज़िश का नतीजा थी.
रुबाबुद्दीन के वकील गौतम तिवारी ने आरोप लगाया कि सभी मुख्य आरोपियों- गुजरात एटीएस के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंज़ारा एवं राजकुमार पांडियन और राजस्थान के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन को इस मामले में आरोप-मुक्त कर दिया गया जबकि उन्होंने फ़र्ज़ी मुठभेड़ों की साज़िश को अंजाम दिया था.
वकील गौतम तिवारी ने अदालत में सोहराबुद्दीन शेख़ कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में उदयपुर के तत्कालीन एसपी दिनेश एमएन की महत्वपूर्ण भूमिका होने की बात कही. उन्होंने बताया कि इस वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को आरोप-मुक्त कर दिया गया, जबकि एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम में शामिल आरोपी जूनियर अधिकारियों को आरोप-मुक्त नहीं किया गया है.
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बॉम्बे उच्च न्यायालय गुजरात के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, राजस्थान के पुलिस अधिकारी दिनेश एमएन और गुजरात पुलिस के एक अधिकारी राजकुमार पांडियन को आरोप मुक्त किए जाने को लेकर रुबाबुद्दीन शेख़ की ओर से दाख़िल तीन याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है.
इसके साथ ही उच्च न्यायालय सीबीआई द्वारा राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ और गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन को बरी करने के ख़िलाफ़ दो याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रहा है.
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दिनेश एमएन को आरोप-मुक्त करने के ख़िलाफ़ दलील देते हुए तिवारी ने दावा किया कि नवंबर 2005 में उदयपुर के पुलिस अधीक्षक रह चुके यह पुलिस अधिकारी सोहराबुद्दीन एवं उसकी पत्नी को गिरफ़्तार करने और फिर मारने की ‘साज़िश का हिस्सा’ रहे अन्य पुलिस अधिकारियों से मिलने के लिए अहमदाबाद गए थे.
तिवारी ने कहा कि दिनेश एमएन का दावा है कि वह आधिकारिक प्रशिक्षण के लिए अहमदाबाद गए थे जबकि राजस्थान पुलिस के महानिरीक्षक सहित उनके अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को उस वक़्त किसी ऐसे प्रशिक्षण के बारे में पता ही नहीं है.
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वकील गौतम तिवारी ने कहा, ‘इसके अलावा, दिनेश एमएन का दावा है कि उन्हें सोहराबुद्दीन के बारे में सूचना मिली थी. उनका कहना है कि वह उसे गिरफ़्तार करने गए थे क्योंकि उदयपुर में दर्ज एक मामले में उसकी तलाश थी. फिर दिनेश एमएन अपने साथ संबंधित पुलिस अधिकारियों को लेकर क्यों नहीं गए? इसकी बजाय उन्होंने अपने तीन कनिष्ठ कर्मचारियों को साथ लिया जो हमेशा उनके इर्द-गिर्द रहने वाले लोग थे.’
उन्होंने कहा, ‘गवाहों के बयानों से यह साबित होता है कि दिनेश ने वंज़ारा और पांडियन के साथ मिलकर मुठभेड़ों की साज़िश रचने और उन्हें अंजाम देने में अभिन्न भूमिका निभाई.’
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साल 2005 में गुजरात पुलिस की ओर से किए गए एक कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन शेख़ को मार गिराया गया था. उनकी पत्नी कौसर बी. रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी और आरोप लगा कि पुलिस ने उन्हें भी मार डाला. इन हत्याओं के गवाह रहे तुलसीराम प्रजापति को एक अन्य कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में दिसंबर 2006 में मार गिराया गया था.
सीबीआई ने इस मामले में वंज़ारा, पांडियन, दिनेश और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित 38 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर किया था. लेकिन वंज़ारा, पांडियन, दिनेश और अमित शाह सहित 15 लोगों को आरोप-मुक्त किया जा चुका है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)