पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ब्रिगेड में स्थानीय युवाओं को शामिल करने से सूचना-तंत्र मजबूत होगा और नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में वे काफी कारगर साबित होंगे.
बस्तर: नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों से लोहा लेने के लिए स्थानीय आदिवासियों को सुरक्षा बलों से जोड़ने की नई कवायद शुरु हुई है. जिसका नाम ‘बस्तरिया ब्रिगेड’ या ‘बस्तरिया बटालियन’ रखा गया है. जिसमें बस्तर क्षेत्र के आम युवाओं को ट्रेनिंग देने के बाद शामिल किया जाएगा. साथ ही नियुक्ति के लिए तय नियमों के इतर कद-काठी में भी उन्हें रियायत दी गई है.
पत्रिका की खबर के अनुसार, कुछ ही दिनों में इस ब्रिगेड के युवा जंगल में माओवादियों से आमना- सामना करते दिखाई देंगे. कोंडागांव जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव इन युवाओं को ट्रेनिंग देकर तैयार कर रहे हैं.
पत्रिका से बातचीत में अभिषेक पल्लव कहते हैं, ‘अंदरुनी क्षेत्र में पुलिस व प्रशासन की पहुंच न होने का फायदा उठाकर युवाओं को माओवादी अपने साथ शामिल करते हैं. अबकी बार अंदरुनी क्षेत्र के युवाओं को ट्रेनिंग देकर हम टीम बना रहे हैं. इन्हें डीआरजी, सीएएफ, डीएएफ भर्ती के लिए तैयार किया जा रहा है. इसी के मुताबिक ट्रेनिंग दी जा रही है. वे पटवारी, शिक्षाकर्मी समेत अन्य शासकीय सेवाओं में भी जा सकते हैं.’
पत्रिका ने अपनी खबर में लिखा है कि माओवादियों के लिए सबसे बड़े हथियार स्थानीय युवा रहते हैं. आतंकवादी ट्रेनिंग देकर उन्हें संघम सदस्य, जन मिलिशिया व एलओएस की टीम में शामिल करते हैं. उनके लिए यह बाहरी ढाल की तरह काम करते हैं. माओवादियों की इसी रणनीति को भेदने के लिए एसपी अभिषेक पल्लव कोडागांव जिले के अंदरुनी क्षेत्र के 800 युवाओं को विशेष ट्रेनिंग देकर सीएएफ, डीएएफ व डीआरजी में पदस्थापना के लिए तैयार कर रहे हैं.
चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद इनकी तैनाती अंदरुनी क्षेत्रों में की जाएगी.
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि युवाओं के यहां के हालात से वाकिफ होने से सूचना-तंत्र मजबूत होगा और लड़ाई में यह बस्तरिया ब्रिगेड काफी कारगर साबित होगी.
युवाओं को प्रशिक्षण देने पुलिस विभाग ने मर्दापाल, बयानार, बड़े डोंगर, उरंदाबेड़ा, धनोरा व ईरागांव में केंद्र बनाए गए हैं. डीएसपी व एसआई रैंक के अधिकारी इन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ‘बटालियन में सभी नियुक्तियां बस्तर क्षेत्र के चार जिलों बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा से की गई हैं और 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए रखा गया है. बस्तरिया ब्रिगेड को बस्तर क्षेत्र में पांच साल की अवधि के लिए तैनात किया जाएगा.’
दैनिक भास्कर की एक अन्य खबर के मुताबिक इनको सीआरपीएफ जवानों के बराबर वेतन दिया जाएगा.
गौरतलब है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की इस बटालियन को केंद्रीय गृह मंत्रालय की अनुमति प्राप्त है. 2016 में बटालियन के गठन की घोषणा के समय छत्तीसगढ़ में ही दशक भर पहले सरकार के संरक्षण में शुरू हुए सलवा जुडूम के खिलाफ याचिका लगाने वाले मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने बीबीसी से बीतचीत में ‘बस्तरिया ब्रिगेड’ के गठन पर आपत्ति दर्ज कराई थी.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में दशक भर पहले सलवा जुडूम नाम का एक संगठन अस्तित्व में आया था जिसमें स्थानीय लोगों की तैनाती स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) के तौर पर की गई थी और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में उन्हें झोंक दिया गया था. सलवा जुडूम को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक और भयावह बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था.