रोटोमैक पेन के मालिक पर बैंकों के 800 करोड़ डकारने का आरोप

कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. उन्होंने ऋण के ब्याज तक का भुगतान नहीं किया है. उन पर बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ओवरसीज बैंक का भा कर्ज़ है.

विक्रम कोठारी (फोटो: फेसबुक/विक्रम कोठरी)

विक्रम कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. उन्होंने ऋण के ब्याज तक का भुगतान नहीं किया है. उन पर बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ओवरसीज बैंक का भी कर्ज़ है.

विक्रम कोठारी (फोटो: फेसबुक/विक्रम कोठरी)
विक्रम कोठारी (फोटो: फेसबुक/विक्रम कोठरी)

नई दिल्ली: बैंकों से कर्ज लेकर न लौटाने वाले कारोबारियों की सूची में अब एक और नाम जुड़ गया है. रोटोमैक कलम बनाने वाली कंपनी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विक्रम कोठारी के ऊपर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सार्वजनिक बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

सूत्रों ने बताया कि कानपुर के कारोबारी और रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख व प्रबंध निदेशक कोठारी ने सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंकों से 800 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने रोटोमैक कलम को ऋण देने के लिए नियमों के पालन में ढिलाई बरती.

कोठारी ने मुंबई की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और कनपुर की इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. कोठारी ने एक साल बाद भी ऋण के ब्याज तक का भुगतान नहीं किया.

ऋण देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को पिछले साल जानबूझकर ऋण चूक करने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित किया था.

इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी. जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दिया था.

न्यायालय में कंपनी की ओर से पक्ष रखा गया था कि ऋण चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी, बैंक को गलत तरीके से सूची में डाला गया है.

रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक प्राधिकृत समिति ने 27 फरवरी 2017 को पारित आदेश में कंपनी को जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया था.

यह जानकारी ऐसे समय सामने आई है जब महज एक सप्ताह पहले पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी खुलासा हुआ है.

इससे पहले नीरव मोदी की ही तरह विक्रम कोठारी के भी देश छोड़ने की अफवाहें उड़ी थीं. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके कानपुर के माल रोड़ स्थित कंपनी कार्यालय कई दिनों से बंद पाया गया.

हालांकि रविवार शाम को उन्होंने मीडिया के सामने आकर अपने देश में ही होने की पुष्टि की और पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, उन्होंने अपने बचाव में कहा, ‘पहली बात तो इसे घोटाला न कहें. मैं देश नहीं छोड़ रहा हूं. मैं कानपुर में ही हूं. मैंने बैंकों से लोन लिया है. ये गलत है कि चुकता नहीं किया है. मेरा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के अंदर इस संबंध में केस चल रहा है. जो विवाद है उसमें पूरा निष्कर्ष निकलेगा.’

मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज कर लिया है.

गौरतलब है कि यह मामला उस समय प्रकाश में आया है जब हीरा कारोबारी नीरव मोदी विभिन्न बैंकों को 11000 करोड़ रुपये का चूना लगाकर विदेश भाग गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)