माल्या और मोदी को वापस लाने पर हुए ख़र्च के ख़ुलासे से सीबीआई का इनकार

सीबीआई ने जानकारी न देने के पीछे तर्क दिया है कि 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार उसे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने से छूट प्राप्त है.

विजय माल्या और ललित मोदी (फोटो: रायटर्स)

सीबीआई ने जानकारी न देने के पीछे तर्क दिया है कि 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार उसे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने से छूट प्राप्त है.

विजय माल्या और ललित मोदी (फोटो: रायटर्स)
विजय माल्या और ललित मोदी (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सीबीआई ने आरटीआई अधिनियम के तहत खुलासों से मिली छूट का दावा करते हुए भगौड़े कारोबारियों ललित मोदी और विजय माल्या को भारत लाने पर हुए खर्च का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया.

पुणे के कार्यकर्ता विहार धुर्वे ने सूचना के अधिकार के तहत सीबीआई से 9,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों को लेकर भारत में वांछित माल्या और धनशोधन के मामले में जांच का सामना कर रहे मोदी को देश वापस लाने पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था.

वित्त मंत्रालय ने सीबीआई के पास आरटीआई आवेदन भेजा था. एजेंसी ने उसे इस तरह के मामलों की जांच करने वाले विशेष जांच दल के पास भेजा.

आरटीआई आवेदन के जवाब में सीबीआई ने कहा कि उसे 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के जरिए आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी तरह का खुलासा करने से छूट मिली हुई है.

अधिनियम की धारा 24 के तहत कुछ संगठनों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत छूट मिली हुई है.

हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इससे पहले रेखांकित किया था कि धारा 24 के तहत सूचीबद्ध संगठन भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से जुड़ी सूचना होने पर  खुलासे से छूट का दावा नहीं कर सकते.

स्क्रॉल के अनुसार ललित मोदी को प्रवर्तन निदेशालय काफी वक़्त से यूनाईटेड किंगडम (यूके) से वापस लाने का प्रयास कर रहा है. बीसीसीआई (भारत में क्रिकेट का संचालन करने वाली संस्था) ने आरोप लगाया है कि बतौर आईपीएल चेयरमैन अपने कार्यकाल में मोदी ने 470 करोड़ का घोटाला किया था. चेन्नई पुलिस ने मोदी और अन्य छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

शराब कारोबारी विजय माल्या पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय बैंकों के लगभग 9000 करोड़ रुपये डकार लिए हैं. वे मार्च 2016 से लंदन में हैं और भारतीय जांच एजेंसियां उन्हें भारत वापस लाने के लिए प्रयास कर रही हैं.

विदेश मंत्रालय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के लिए फरवरी 2017 में वहां की सरकार से अर्जी भी लगा चुका है. यह अर्जी 1992 में विभिन्न देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के तहत लगाई गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)