भाजपा सचेतक ने कहा, ‘जहां विधानसभा है, वहां श्मशान था. मृत बच्चे दफ़नाए जाते थे. हो सकता है कि कोई आत्मा हो, जिसे शांति न मिली हो. इसीलिए सदन में कभी एक साथ 200 विधायक नहीं रहे.’
जयपुर: जन प्रतिनिधियों से उम्मीद की जाती है कि वे समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोष देते हुए तर्कशील बनाएं और रुढ़िवाद व अंधविश्वास के खिलाफ कानून लाएं. लेकिन गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में बिल्कुल विपरीत नजारा देखा गया. विधानसभा सदस्य भूत-प्रेत और आत्माओं के अस्तित्व को न सिर्फ स्वीकराते हुए देखे गए बल्कि उन्होंने राजस्थान विधानसभा पर बुरी आत्माओं का साया है, ऐसा कहकर यज्ञ और हवन की भी मांग कर डाली.
गत छह महीने में दो विधायकों के निधन के बाद राजस्थान के विधायक यह मानने लगे हैं कि विधानसभा भवन में बुरी आत्माओं का साया है और उन्होंने शुद्धि के लिए इमारत में हवन कराने की हिमायत की है.
नागौर से भाजपा विधायक हबीबुर्रहमान अशरफी ने बताया कि उन्होंने बुधवार को मुख्यमंत्री से कहा है कि विधानसभा भवन में शुद्धि के लिए हवन कराया जाए.
उन्होंने कहा कि विधानसभा भवन जिस भूमि पर बना है वहां पहले श्मशान और कब्रिस्तान हुआ करते थे और बुरी आत्माओं के प्रभाव से ऐसा हो रहा होगा.
सरकार के मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर ने भी सदस्यों के निधन से सदन के सदस्यों के असहज होने की बात स्वीकारी है. उन्हें भी ऐसा लगता है.
गुर्जर ने सदन के परिसर में संवादाताओं से कहा कि कल सदन के सदस्यों के मन में प्रश्न उठ रहा था कि सदस्यों की मौत क्यों हो रही है? उन्होंने अपने विचार और सुझाव दिए हैं.
ऐसा कहा जाता है कि विधानसभा भवन श्मशान की जमीन पर बनाया गया है. कुछ नकारात्मक असर के चलते परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं.
गौरतलब है कि नाथद्वारा के विधायक कल्याण सिंह चौहान का कल उदयपुर के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया था, जबकि भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से विधायक कीर्ति कुमारी का पिछले वर्ष अगस्त में स्वाइन फ्लू के कारण निधन हो गया था.
दोनों विधायक सत्ताधारी पार्टी के सदस्य थे. देश के आधुनिक विधानसभा भवनों में एक राजस्थान विधानसभा भवन 16.96 एकड़ जमीन पर बना है. इसका निर्माण 1994 में शुरू हुआ था और मार्च 2001 में भवन का निर्माण पूर्ण हो गया था.
लाल कोठी श्मशान गृह विधानसभा भवन के बगल में स्थित है, जिसके चलते लोगों में भ्रम है कि भवन में किसी प्रकार का वास्तु दोष हो सकता है.
विधानसभा भवन में 260 सदस्यों के बैठने की क्षमता है. इसी तरह की क्षमता वाला एक हॉल पांचवी मंजिल पर है. इस भवन से पूर्व विधानसभा हवा महल के पास स्थित सवाई मान सिंह टाउन हॉल में संचालित होती थी.
पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, विधायक हबीबुर्रहमान ने कहा कि विधानसभा भवन स्थल अपशकुनी है. जब से विधानसभा बनी है 200 विधायक एक साथ कभी भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं. इस तरफ ध्यान देना होगा. जिस जगह विधानसभा भवन है, वहां पहले श्मशान और कब्रिस्तान हुआ करता था. विधानसभा भवन के निर्माण के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत को भी इस मामले में भी आगाह किया था.
साथ ही हबीबुर्रहमान ने भारतीय संस्कृति का हवाला देते हुए यह भी कहा कि हमारी संस्कृति में ऐसी परंपरा है कि श्मशान की भूमि पर भवन नहीं होना चाहिए.
वहीं, एक अन्य भाजपा विधायक भवानी सिंह राजावत ने भी शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कराने की मांग की.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर ने कहा, ‘जहां विधानसभा है, वहां श्मशान था. मृत बच्चे दफनाए जाते थे. हो सकता है कि कोई आत्मा हो, जिसे शांति न मिली हो. वह नुकसान पहुंचा रही हो. इसीलिए सदन में कभी एक साथ 200 विधायक नहीं रहे. सीएम के सामने बात रखी है, हवन कराने को कहा है. ‘
इस बीच कांग्रेस विधायक धीरज गुर्जर ने सदन में विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि भाजपा विधायक व सचेतक अंधविश्वास फैला रहे हैं. उनके बयानों से प्रदेश भर में हड़कंप मचा है.
फरवरी 2001 से नए विधानसभा में कामकाज चालू हुआ था. 25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन को इसका उद्घाटन करने आना था, लेकिन बीमार होने की वजह से वे नहीं आ सके और बिना उद्घाटन के ही विधानसभा शुरू हो गई. तब से अब तक यहां आठ विधायकों की मृत्यु हो चुकी है और चार जेल जा चुके हैं.
गौरतलब है कि राजस्थान से पहले मध्य प्रदेश के विधायकों ने भी अपने विधानसभा भवन के वास्तु पर सवाल खड़े किए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ
विधायक केपी सिंह ने चौदहवीं विधानसभा में 9 विधायकों की मृत्यु को लेकर विधानसभा भवन में वास्तु दोष की आशंका जाहिर की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)