ग़ैर सरकारी संगठन ऑक्सफेम इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 101 अरबपतियों की संपत्ति जीडीपी के 15 प्रतिशत के बराबर है.
नई दिल्ली: ग़ैर सरकारी संगठन ऑक्सफेम ने अपनी एक रपट में कहा कि भारत में आर्थिक असमानता बीते तीन दशकों से बढ़ रही है. ग़रीब और ग़रीब हो रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, हालत यह है कि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 15 प्रतिशत हिस्सा भारतीय अरबपतियों के खाते में है. पांच साल पहले इन अरबपतियों का हिस्सा 10 प्रतिशत था.
बीते गुरुवार को जारी ‘द वाइडेनिंग गैप्स: इंडिया इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2018’ नाम की इस रपट में कहा गया है कि आय, उपभोग और धन के मानकों पर भारत विश्व के असमान स्थिति वाले देशों में शुमार है और इन हालातों के लिए सरकारों की असंतुलित नीतियों को ज़िम्मेदार बताया गया है.
इसमें कहा गया है कि भारत में धनाढ्यों ने देश में सृजित संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा ‘सांठ गांठ वाले पूंजीवाद’ या ‘बपौती’ में हासिल किया है. वहीं आय पिरामिड के नीचे के तबके का आय में हिस्सा लगातार कम होता जा रहा है.
ऑक्सफेम इंडिया की सीईओ निशा अग्रवाल ने कहा, ‘ये असमानताएं 1991 के बहुप्रचारित उदारीकरण के दौरान अपनाए गए सुधार पैकेजों तथा उसके बाद अपनाई गई नीतियों का परिणाम हैं.’
रपट में कहा गया है कि ताज़ा अनुमानों के अनुसार भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति देश की जीडीपी के 15 प्रतिशत के बराबर है. यह केवल पांच साल पहले ही जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर थी.
इसके अनुसार 2017 में भारत में 101 अरबपति थे जिनकी हैसियत 65 अरब रुपये या उससे अधिक है.
इस रिपोर्ट के लेखक प्रो. हिमांशु का कहना है, ‘जाति, धर्म, क्षेत्रीयता और लिंग के आधार पर बंटे भारत के संदर्भ में आर्थिक असमानता और अधिक चिंतित करने वाली है.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते विकास के दौर में आर्थिक असमानता को रोका जा सकता है. लैटिन अमेरिका और पूर्व एशियाई देशों में आर्थिक असमानता कम और घट रही है. जबकि भारत उन देशों की कतार में खड़ा है जहां आर्थिक असमानता पहले से बढ़ी हुई है तथा जो और तेज़ी से बढ़ रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अचानक से नहीं हो रहा है. श्रम की जगह पूंजी को समर्थन देने वाली विशिष्ट नीतियों और अकुशल श्रम की जगह कुशल श्रम को बढ़ावा देने वाली नीतियों के चुनाव भारत में इस विकास के लिए ज़िम्मेदार है.
आॅक्सफेम इंडिया की सीईओ निशा अग्रवाल ने कहा, ‘धन और विरासत कर’ लागू कर विकास की इस धारा को बदला जा सकता है और उस कर का इस्तेमात ग़रीबों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण पर किया जाए. ख़ासकार ग़रीब बच्चों के विकास को ध्यान में रखते हुए इस कर को ख़र्च किया जाए.
अग्रवाल ने कहा कि ऐसा करके ही और अधिक समान अवसर वाला देश बनाने की कल्पना की जा सकती है.
बीते जनवरी महीने में दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक से ठीक पहले आॅक्सफेम इंडिया ने एक और रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें कहा गया था कि भारत में 2017 में कुल संपत्ति के सृजन का 73 प्रतिशत हिस्सा केवल एक प्रतिशत अमीर लोगों के हाथों में है. सर्वेक्षण में भारत की आय में असामनता की चिंताजनक तस्वीर पेश की गई थी.
भारत के संबंध में इसमें कहा गया है कि पिछले साल 17 नए अरबपति बने है. इसके साथ अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है. 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में भारतीय अमीरों की संपत्ति 4.89 लाख करोड़ बढ़कर 20.7 लाख करोड़ रुपये हो गई है. यह 4.89 लाख करोड़ कई राज्यों के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट का 85 प्रतिशत है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)