उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में राजनाथ सिंह, उमा भारती, मनोज सिन्हा, केशव मौर्या, योगी आदित्यनाथ समेत तमाम नामों पर चर्चा चल रही है. हालांकि इन कद्दावर नेताओं के अलावा कई अन्य नामों पर भी विचार चल रहा है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाया है. भाजपा का 15 साल पुराना वनवास खत्म हो गया है. भाजपा ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित किया है. यह पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे लड़ा और जीता गया. अब उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने सबसे बड़ा सवाल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का है. भाजपा की तरफ से सबसे पहले नंबर पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह का नाम चल रहा है.
राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के आखिरी मुख्यमंत्री थे. 2002 के पहले वह राज्य की राजनीति में बहुत सक्रिय थे. हालांकि उसके बाद पार्टी ने उन्हें केंद्र की राजनीति के लिए बुला लिया. वह दो बार केंद्रीय मंत्री रहे और लंबे समय तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.
राजनीतिक अनुभव के मामले में प्रदेश के किसी भी दूसरे नेता के मुकाबले में भारी पड़ेंगे. उन्होंने इस विधानसभा चुनाव के दौरान करीब 150 रैलियां की है. संघ के साथ उनका बेहतरीन तालमेल उन्हें इस पद के दावेदार के रूप में सबसे मुफीद बनाता है.
हालांकि जानकारों के एक धड़े का मानना है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी. इससे राज्य में उनकी पकड़ ढीली होगी.
माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की इस बड़ी जीत में गैर यादव ओबीसी और दलित जातियों का बड़ा हाथ रहा है, इसलिए भाजपा किसी ओबीसी को मुख्यमंत्री बना सकती है. इसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. प्रदेश में भाजपा की जीत में उनके रोल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
वर्तमान में वह फूलपुर से सांसद हैं. हालांकि सारे समीकरण उनके पक्ष में होने के बावजूद प्रशासकीय अनुभव न होना उनके लिए कमजोर कड़ी साबित हो सकता है. भाजपा उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी किसी कम अनुभवी नेता को नहीं सौपना चाहेगी.
कुछ महिला नेताओं का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहा है. इसमें उमा भारती और स्मृति ईरानी प्रमुख रूप से हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, हालांकि उस समय पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन ओबीसी वर्ग से आने वाली साध्वी इस बार भाजपा के लिए मुफीद दिख रही हैं. उमा भारती ने स्टार प्रचारक के रूप में विधानसभा चुनाव के दौरान काफी चुनाव प्रचार किया है.
हालांकि केंद्रीय मंत्री के रूप में उनका कामकाज उनके लिए कमजोर कड़ी साबित हो रहा है. ऐसे में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी उन पर दांव नहीं लगाना चाहेगी.
वहीं दूसरी ओर स्मृति ईरानी के समर्थक लगातार उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते रहे हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह की करीबी रही स्मृति ईरानी ने उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि वह चुनाव हार गई लेकिन अमेठी से नाता उन्होंने नहीं तोड़ा. वो अमेठी के बहाने प्रदेश की राजनीति में लगातार सक्रिय रही.
विधानसभा चुनाव के दौरान बार-बार उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की अफवाह भी उड़ती रही. हालांकि लंबा प्रशासनिक अनुभव नहीं होना उनकी मुख्यमंत्री बनने की संभावना को कमजोर करता है.
मुख्यमंत्री पद की रेस में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का नाम भी जोर-शोर से लिया जा रहा है. आईआईटी बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल करने वाले मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है.
संगठन का लंबा अनुभव रखने वाले मनोज सिन्हा भूमिहार जाति से हैं. उनकी जाति ही मुख्यमंत्री पद की रेस में पिछड़ने का कारण बन सकती है. उत्तर प्रदेश को जातीय राजनीति की प्रयोगशाला माना जाता है. ऐसे में मुख्यमंत्री का चुनाव करते समय भाजपा नेतृत्व इसका ध्यान रखेगी.
इसके अलावा गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग लगातार उनके समर्थकों द्वारा की जाती रही है. फेसबुक समेत दूसरे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर तमाम पेज बनाए गए हैं.
विधानसभा चुनाव के दौरान स्टार प्रचारक के रूप में उन्होंने पूरे प्रदेश में रैलियों को संबोधित भी किया है. हालांकि उनकी उग्र हिंदूवादी छवि उनकी मुख्यमंत्री बनने की राह में बाधा है.
हालांकि अभी भाजपा के तमाम बड़े नेता मुख्यमंत्री पद के लिए किसी का नाम नहीं ले रहे हैं. उनका कहना हैै कि मुख्यमंत्री का नाम पार्टी की संसदीय समिति की बैठक में तय किया जाएगा. वहीं दूसरी ओर जानकारों के एक धड़े का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भी मुख्यमंत्री का चुनाव झारखंड और हरियाणा की तर्ज पर किया जाएगा. संघ से जुड़े किसी पुराने नेता को प्रदेश की कमान सौंपकर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी परदे के पीछे से सरकार चलाएगी.