हिंदुओं को एक होना होगा, भारत की ज़िम्मेदारी हम पर है: मोहन भागवत

मेरठ में हुए राष्ट्रोदय समागम में सभी हिंदुओं से साथ आने का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि संपूर्ण समाज को स्वयंसेवक बनना होगा.

/

मेरठ में हुए राष्ट्रोदय समागम में सभी हिंदुओं से साथ आने का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि संपूर्ण समाज को स्वयंसेवक बनना होगा.

Mohan Bhagwat Meerut FB
समागम में संघ प्रमुख मोहन भागवत (फोटो साभार: आरएसएस/फेसबुक)

मेरठ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत ही दुनिया को राह दिखा सकता है. देशवासियों को इसके लिए मिलकर प्रयास करने होंगे.

आरएसएस के ‘राष्ट्रोदय महासमागम’ में बतौर मुख्य अतिथि सरसंघचालक मोहन भागवत ने साफ कहा कि छल-कपट के बावजूद भी हम सभी को राष्ट्र के लिए एक होना होगा. राष्ट्र के उदय और अस्त दुनिया में होते रहते हैं. हमेशा उदय देखने को सूर्य की ओर पृथ्वी को अपना मुख करना पड़ता है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आरएसएस के इस समागम में हाल ही के सालों में हुए सभी समागमों की अपेक्षा सर्वाधिक करीब तीन लाख कार्यकर्ता इकट्ठे हुए थे. संघ प्रमुख ने अपनी पहचान और संस्कृति पर गर्व करने के बारे में कहा.

उन्होंने कहा, ‘हमारे एक होने में मुश्किल है कि हम जाति के आधार पर लड़ रहे हैं. हमें कहना होगा कि सभी हिंदू भाई हैं, चाहे वे जिस समुदाय से आते हों. जो भारत माता, उनकी संस्कृति में विश्वास करते हैं वे हिंदू हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि देश में एकता के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे. इसको लेकर षड्यंत्र होते रहे हैं, लेकिन हमें एकजुट होना है.

उन्होंने कट्टर हिंदुत्व को कट्टर अहिंसा के प्रति प्रतिबद्ध बताते हुए कहा कि कट्टरता, उदारता के लिए है. दुनिया भी अच्छी बातों को तभी मानती है, जब उसके पीछे कोई शक्ति खड़ी हो.’

उन्होंने ताकत के महत्त्व को बताते हुए कहा, ‘भगवान भी भेड़ की बलि लेते है क्योंकि वह शक्तिविहीन होती है. भगवान भी शक्तिहीन का सम्मान नहीं करते. यह शक्ति प्रदर्शन नहीं है. आपको ताकत दिखाने की जरूरत नहीं होती. यह होती है तो दिखती है.’

 द टेलीग्राफ के अनुसार उन्होंने कहा कि केवल एक संस्था लक्ष्य को पूरा करने के लिए काफी नहीं है. पूरे भारतीय समाज को आरएसएस से जुड़ना चाहिए. कोई और विकल्प नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं को एक होना होगा क्योंकि भारत उनकी जिम्मेदारी है. अगर देश अच्चा नहीं करता है, तो हिंदुओं से सवाल पूछे जाएंगे. उनके अनुसार समाज में बदलाव लाने के लिए यह जरूरी है.

उन्होंने एकता पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया में कई संप्रदाय है, लेकिन वे एक नहीं है. हिंदू एक है, गर्व से कहो कि हम हिंदू हैं. हिंदुओं का एक होना हमारा धर्म है. भारत संपूर्ण विश्व को सुख दे सकता है. संपूर्ण समाज एकजुट हो.

भागवत ने कहा कि आदर्श के लिए संस्कार देने पड़ते हैं. जो स्वयं के गौरव को नहीं जानता वह उन्नति नहीं कर सकता है. संपूर्ण दुनिया को समय समय पर धर्म देने वाला हमारा देश है. ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को केवल भारत मानता है. हमारे झगड़ों की आग पर सारी दुनिया अपने स्वार्थों की रोटी सेंकती है.

उन्होंने कहा कि भाषण नहीं आदत काम करती हैं. संकट के मुहाने पर अच्छा आचरण कोई भी करता है. बातें करना आसान है प्रत्यक्ष काम के लिए सामूहिकता चाहिए… संकट के समय देशहित में अपनी सेवाएं और आवश्यकता पर अपने प्राण देने के लिए स्वयंसेवक पहले पहुंच जाते हैं.

उन्होंने कहा कि संघ समरसता एकता की साधना है. संपूर्ण समाज को स्वयंसेवक बनना होगा. हितैषी के बजाय सहयोगी बनिये.

जूना अखाड़े के अध्यक्ष स्वामी अवधेशानंद महाराज ने कहा कि अगर हम संघ के साथ है तो हमें कोई तोड़ नहीं सकता. ऐसे में कोई संकट भी आए तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हमको तो अपने परिवार और अपनी संस्कृति को बचाना है.

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा, जनरल वीके सिंह, डॉ. सत्यपाल सिंह और प्रदेश सरकार के मंत्री चेतन चौहान, धर्म सिंह सैनी मौजूद थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)