प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा से संबंधित एयर इंडिया के बिल सार्वजनिक किए जाएं: सीआईसी

मुख्य सूचना आयुक्त ने विदेश मंत्रालय को कहा है कि इन रिकॉर्डों को राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व का बताकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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Davos: Prime Minister Narendra Modi emplanes for India after attending the World Economic Forum Summit, in Davos on Wednesday. PTI Photo (PTI1_24_2018_000041B)
Davos: Prime Minister Narendra Modi emplanes for India after attending the World Economic Forum Summit, in Davos on Wednesday. PTI Photo (PTI1_24_2018_000041B)

मुख्य सूचना आयुक्त ने विदेश मंत्रालय को कहा है कि इन रिकॉर्डों को राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व का बताकर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने से इनकार नहीं किया जा सकता.

Davos: Prime Minister Narendra Modi emplanes for India after attending the World Economic Forum Summit, in Davos on Wednesday. PTI Photo (PTI1_24_2018_000041B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सूचना आयोग ने विदेश मंत्रालय को साल 2013 से 2017 के बीच प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के दौरान प्रयुक्त एयर इंडिया के चार्टर्ड विमान पर आए खर्च से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है.

मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने मंत्रालय की इस दलील को खारिज कर दी कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा के लिए भारतीय वायुसेना और एयर इंडिया द्वारा किए गए बिल की राशि, संदर्भ संख्या और बिल की तारीख से जुड़े विवरण से संबधित दस्तावेज एक स्थान पर संकलित नहीं हैं और आवेदक द्वारा मांगी गई सूचना को एकत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में अधिकारियों को लगाना पड़ेगा.

मामले में कोमोडोर (सेवानिवृत्त) लोकेश बत्रा ने वित्त वर्ष 2013-2014 से 2016-2017 के बीच की प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं से संबंधित बिलों, चालानों और अन्य दस्तावेजों की जानकारी मांगी थी. सुनवाई के दौरान बत्रा ने कहा कि उन्हें मंत्रालय द्वारा अधूरी जानकारी दी गई, जिसके बाद उन्होंने आयोग से संपर्क साधा जो सूचना के अधिकार से संबंधित मामलों में शीर्ष अपीलीय प्राधिकारी है.

उन्होंने कहा, ‘वह चाहते थे कि आम जनता को यह सूचना मिले कि किस चरण में और किस सार्वजनिक प्राधिकरण के तहत ये बिल और चालान भुगतान के लिए लंबित हैं.’

बत्रा ने कहा, ‘एयर इंडिया नकदी की तंगी से जूझ रही एयरलाइन है, जो लाभ नहीं कमाती. इसलिए, इन बिलों के निपटारे में देरी से ब्याज की राशि में बढ़ोतरी होगी जिसे करदाताओं की जेब से भरा जाएगा.’

बत्रा ने कहा, ‘इन रिकॉर्डों को राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व का बताकर सूचना के अधिकार के तहत देने से अलग नहीं किया जा सकता. क्योंकि यह एयर इंडिया द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के लिए भुगतान करने संबंधी उपभोक्ता की देनदारियों की प्रकृति में आता है.’

गौरतलब है कि सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा अक्सर मांगी गई सूचना को न देने के संबंध में कहा जाता है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व की है.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद माथुर ने कहा कि बकाया देय राशि का भुगतान करने के लिए अंतत: इन बिल और चालानों को इकट्ठा करने की आवश्यकता होगी ही. और ऐसा कहकर उन्होंने विदेश मंत्रालय के तर्कों को खारिज कर दिया.

मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा, ‘अगर इन बिलों का भुगतान भी किया जा चुका है तो वह भी इन बिल या चालानों के संकलन के बाद ही किया गया होगा.’ उन्होंने कहा, ‘आगे जो भी भुगतान किया जाना है, उसे बिल/चालानों को एकत्र करने के बाद किया जाना चाहिए. यह देखते हुए आयोग का मत है कि विदेश मंत्रालय द्वारा याचिकाकर्ता को वित्तीय वर्ष 2013-2014 से 2016-2017 के बीच के एयर इंडिया से संबंधित प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के बिल उपलब्ध कराए जाने चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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