आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठ के वरिष्ठ पीठाधिपति जयेंद्र सरस्वती दिवंगत श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद साल 1994 में इस शैव मठ के प्रमुख बने थे.
कांचीपुरम (तमिलनाडु): कांचीपुरम में बुधवार को श्री कांची कामकोटि पीठ (कांची मठ) के 69वें प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन हो गया. जयेंद्र सरस्वती स्वामिगल 82 वर्ष के थे. दिल का दौरा पड़ने के बाद उनकी मौत हो गई.
बैचेनी की शिकायत के बाद बुधवार को उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल के सूत्रों ने यह जानकारी दी.
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठ के वरिष्ठ पीठाधिपति जयेंद्र सरस्वती दिवंगत श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद साल 1994 में इस शैव मठ के प्रमुख बने थे.
जयेंद्र सरस्वती का स्थान कनिष्ठ पीठाधिपति विजयेंद्र सरस्वती लेंगे. इस मठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने करीब 2520 वर्ष पहले की थी.
वैदिक संवाद में इस संस्कार को वृंदावन प्रवेश कार्यकम कहा जाता है. मठ के मुताबिक ये कार्यक्रम गुरुवार से प्रारंभ होंगे.
मठ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया, ‘एचएच पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामीगल का वृंदावन प्रवेश कार्यक्रम गुरुवार सुबह आठ बजे से होगा.’
शंकराचार्य की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए कामकोटि पीठम में रखा गया है. मठ आने वाले श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे. उन्होंने शंकराचार्य को जगतगुरु बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी, द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन, पीएमके के संस्थापक एस. रामदास और अन्य ने शंकराचार्य के निधन पर शोक जताया.
हत्या के आरोप से बाइज़्ज़त बरी हुए थे शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती
तमिलनाडु में जयललिता के शासन के दौरान शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को वर्ष 2004 में शंकररमण की हत्या के सनसनीखेज मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
हत्या के इस मामले में पुडुचेरी की सत्र अदालत ने 2003 में उन्हें ने बरी कर दिया था.
श्री वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक ए. शंकररमण की तीन सितंबर, 2004 को धारदार हथियार से नृशंस हत्या कर दी गई थी.
उन्होंने जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ठ विजयेंद्र सरस्वती के ख़िलाफ़ मठ प्रशासन में वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप लगाए थे. विजयेंद्र सरस्वती अब उनके उत्तराधिकारी बनेंगे.
शंकररमण की हत्या की साज़िश रचने के आरोप में जयेंद्र सरस्वती को दीपावली की पूर्व संध्या पर 11 नवंबर 2004 को गिरफ़्तार किया गया था.
इन दो शंकराचार्यों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया था. विजयेंद्र सरस्वती को 10 जनवरी 2005 को मठ से गिरफ़्तार किया गया था और एक महीने बाद उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय से ज़मानत मिल गई थी.
शंकराचार्य ने उच्चतम न्यायालय का रुख़ कर मामले को पुडुचेरी की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि तमिलानाडु का माहौल ठीक नहीं है और ऐसी स्थिति मे वहां मुक़दमा की कार्यवाही निष्पक्ष ढंग से शायद नहीं चल पाए.
नवंबर 2013 में पुडुचेरी सत्र अदालत ने शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती और श्री विजयेंद्र सरस्वती को आरोपों से बरी कर दिया था. जयेंद्र शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती के अलावा मामले के 21 अन्य आरोपियों को भी पुडुचेरी के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीएस मुरुगन ने बरी कर दिया था.
इस मामले में कुल 24 लोगों को आरोपी बनाया गया था लेकिन उनमें से एक काथीरावन की 2013 में हत्या हो गई थी.