कश्मीर में आतंकवादी संगठन आईएस की मौजूदगी नहीं: गृह मंत्रालय

आतंकी संगठन आईएस ने बीते रविवार को जम्मू कश्मीर में फ़ारूक़ अहमद यातू नाम के एक पुलिसकर्मी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी.

(फोटो: पीटीआई)

आतंकी संगठन आईएस ने बीते रविवार को जम्मू कश्मीर में फ़ारूक़ अहमद यातू नाम के एक पुलिसकर्मी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की मौजूदगी के मुद्दे को तवज्जो न देते हुए बुधवार को कहा कि घाटी में इसका कोई वजूद नहीं है.

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘घाटी में आईएस का कोई भौतिक बुनियादी ढांचा या सदस्य नहीं है. घाटी में इसका वजूद नहीं है.’

केंद्र सरकार ने यह टिप्पणी तब की है जब आईएस ने रविवार को जम्मू कश्मीर में फारूक अहमद यातू नाम के एक पुलिसकर्मी की हत्या की जिम्मेदारी ली.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा पुलिसकर्मी पर हमले के पीछे हो सकता है और एशा फजली नाम का एक स्थानीय आतंकवादी इस मामले में मुख्य संदिग्ध के तौर पर उभरा है.

फजली पहले हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था और बाद में उसने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति अपनी वफादारी जताई थी.

बहरहाल, जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसपी वैद्य ने श्रीनगर में कहा है कि यह ‘वास्तव में चिंताजनक संकेत है.’

नवंबर 2017 में ऐसी खबरें थी कि वैश्विक आतंकवादी संगठन आईएस श्रीनगर में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में शामिल रहा है, जिसमें मुगीस नाम का एक आतंकवादी मारा गया था और इमरान टाक नाम का एक सब-इंस्पेक्टर शहीद हुआ था.

आईएस की आधिकारिक न्यूज एजेंसी ‘अमक’ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी.

पृष्ठभूमि में आईएस के झंडे के साथ मुगीस की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई थीं. दफनाए जाने के समय उसका शव आतंकवादी संगठन के झंडे में लिपटा हुआ था.

बहरहाल, सुरक्षा अधिकारियों ने उस वक्त दावा किया था कि मुगीस तहरीक-उल-मुजाहिदीन नाम के एक चरमपंथी संगठन से संबंध रखता है और पुलवामा जिले में इस संगठन का कमांडर था.

तहरीक-उल-मुजाहिदीन 1990 के दशक के शुरुआती वर्षों में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के पैर पसारने के वक्त सामने आए शुरुआती आतंकवादी संगठनों में से एक है.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पुलिस को दोनों के बीच कोई संबंध नहीं मिले हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस संगठन के सदस्यों की संख्या काफी कम है और वह हथियारों की कमी का भी सामना कर रहा है.

उन्होंने कहा कि तहरीक-उल-मुजाहिदीन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन की स्थापना से बहुत पहले स्थापित हो चुका था. मुगीस के मारे जाने के बाद आदिल अहमद को पुलवामा में संगठन का कमांडर नियुक्त किया गया था.

कश्मीर में आईएस के हमले के दावे की जांच करनी होगी: डीजीपी

जम्मू: जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसपी वैद्य ने कहा कि कश्मीर में आईएसआईएस की मौजूदगी के कोई संकेत नहीं दिख रहे, लेकिन उससे प्रेरित ‘लोन वूल्फ’ नाम के आतंकवादी की ओर से हमले को अंजाम देने की आशंका है.

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब आईएस ने रविवार को एक पुलिसकर्मी की हत्या की जिम्मेदारी ली. इसे चिंता का विषय बताते हुए डीजीपी ने कहा कि आतंकवादी संगठन के दावे की जांच करनी होगी.

आईएस की प्रचार शाखाएं ‘अमक’ और ‘अल-करार’ ने दावा किया था कि श्रीनगर में कांस्टेबल फारूक अहमद की हत्या के लिए आतंकवादी संगठन जिम्मेदार है और चेताया था कि एक ‘युद्ध’ अभी शुरू हुआ है.

अहमद की हत्या के बाद हमलावर उनकी सर्विस राइफल लेकर फरार हो गए थे. वैद्य ने बताया, ‘आईएस ने अपनी वेबसाइट अल-करार पर दावा किया है कि वे यहां (कश्मीर में) हैं. जमीनी स्तर पर इसके सत्यापन की जरूरत है. यह चिंता की बात है.’

डीजीपी ने कहा कि पुलिस छानबीन कर दावे का सत्यापन करेगी. वैद्य ने कहा कि उन्होंने न सिर्फ पुलिसकर्मी की हत्या का दावा किया है बल्कि हथियार भी दिखाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने पिछले साल नवंबर में भी दावा किया था. जमीनी स्तर पर इसके सत्यापन की जरूरत है. इसमें (संदेह का) तत्व है.’

पुलिस प्रमुख ने कहा कि अब तक जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा जिससे लगे कि कश्मीर में आईएस की कोई बड़ी मौजूदगी है.

उन्होंने कहा, ‘जमीनी स्तर पर भले ही कोई संकेत नहीं दिख रहे हों, लेकिन आतंकवादी लोन वूल्फ की ओर से हमले को अंजाम दिया जा सकता है. (इसकी मौजूदगी की) संभावना है.’

वैद्य ने कहा कि हो सकता है कुछ लोग सोशल मीडिया पर आईएस के प्रचार से प्रभावित हो गए हों, जैसे जाकिर मूसा अल-कायदा की तरफ आकर्षित हो गया था.

पहले भी आईएस घाटी में हुए हमलों में अपना हाथ होने का दावा करता रहा है. घाटी में कभी-कभी, खासकर आतंकवादियों के जनाजे में, आईएस के झंडे नजर आते रहे हैं.

अतीत में सुरक्षा एजेंसियां घाटी में आईएस की मौजूदगी के दावे को खारिज करती रही हैं. पुलिस भी ऐसे दावों को खारिज करती रही है और ऐसे दावों को उनका दुष्प्रचार करार देती रही है.

डीजीपी वैद्य ने कहा कि अब तक जमीनी स्तर पर आईएस की ठोस मौजूदगी नहीं दिखी है और उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग सतर्क रहेंगे ताकि यह दूसरा सीरिया नहीं बनने पाए.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)