लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम साल 2013 में लोकसभा और राज्यसभा की सहमति से पास हुआ था. लेकिन पिछले चार सालों में लोकपाल का चयन नहीं हो पाया है.
नई दिल्ली: लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार के उस निमंत्रण को ठुकरा दिया है. सरकार ने उन्हें गुरुवार को होने वाली चयन समिति की बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था.
खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लिखे पत्र में कहा है कि बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में आमंत्रण देकर विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है. खड़गे ने पत्र लिखकर सूचना दी है कि वह लोकपाल नियुक्ति पर होने वाली चयन समिति की बैठक में आमंत्रित व्यक्ति के रूप में हिस्सा नहीं लेंगे. लोकपाल की नियुक्ति की बैठक गुरुवार को ही है.
लोकपाल अधिनियम के तहत लोकपाल की चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, लोकसभा में विपक्ष के नेता और कानून के एक जानकार काे रखने का प्रावधान किया गया है.
ग़ौरतलब है पर्याप्त संख्या बल न होने की वजह से लोकसभा में इस वक़्त किसी को भी विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल नहीं है. कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और खड़गे सदन में उसके नेता हैं. खड़गे चूंकी विपक्ष के नेता नहीं है. इसलिए वह लोकपाल चयन समिति का भी हिस्सा नहीं हैं.
इस वजह से मोदी सरकार ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता को ‘विशेष आमंत्रण’ के तौर पर बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया है. बहरहाल इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पीएम नरेंद्र मोदी और सीजेआई दीपक मिश्रा भी हिस्सा ले रहे हैं.
पत्र में खड़गे ने कहा है, विशेष निमंत्रण लोकपाल चयन के मामले में विपक्ष की आवाज को अलग करने का एक सम्मिलित प्रयास है.
खड़गे ने अपने पत्र में लिखा है, ‘मतदान के अधिकार और अपना नज़रिया दर्ज कराने के अधिकार के बिना लोकपाल चयन समिति की बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर मेरी उपस्थिति एक ढकोसला होगी, जिसका लक्ष्य यह दिखाना है कि चयन प्रक्रिया में विपक्ष ने हिस्सा लिया था.’
INC COMMUNIQUE
Letter by LS LoP @MallikarjunINC to the Prime Minister declining invitation to the 'Selection Committee' of the Lokpal as a 'Special Invitee'. pic.twitter.com/zQgf0WL8HC
— INC Sandesh (@INCSandesh) March 1, 2018
खड़गे ने पत्र में लिखा, ‘इन परिस्थितियों में लोकपाल अधिनियिम 2013 की पवित्रता को बनाए रखने के लिए मुझे विशेष आमंत्रित व्यक्ति के निमंत्रण को जरूर अस्वीकार करना चाहिए क्योंकि मौजूदा प्रक्रिया ने एक पवित्र कार्यपद्धति को राजनीतिक उपस्थिति मात्र तक सीमित कर दिया है.’
गौरतलब है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून साल 2013 में दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) की सहमति से पास हुआ था. लेकिन पिछले चार सालों में लोकपाल का चयन नहीं हो पाया है.
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई भी हुई थी. एक गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने जनहित याचिका दायर करके लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. इसके लिए चयन समिति की बैठक एक मार्च को होने वाली है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अटॉर्नी जनरल की ओर से दी गई इस जानकारी के मद्देनज़र मामले की सुनवाई छह मार्च तक के लिए स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि चयनित लोकपाल को देश के शीर्ष अधिकारियों समेत प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)