भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपी संभाजी को पद्मश्री देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने की थी सिफ़ारिश

समिति के सदस्य और आवास मंत्री ने निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में अगर संभाजी के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज है तो यह बड़ा मुद्दा नहीं, क्योंकि मैं भी कई सारे मामलों का सामना कर रहा हूं.

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संभाजी भिड़े. (फोटो: पीटीआई)

समिति के सदस्य और आवास मंत्री ने निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में अगर संभाजी के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज है तो यह बड़ा मुद्दा नहीं, क्योंकि मैं भी कई सारे मामलों का सामना कर रहा हूं.

संभाजी भिड़े. (फोटो: पीटीआई)
संभाजी भिड़े. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: इस साल जनवरी में महाराष्ट्र में हुए भीमा-कोरेगांव जातीय हिंसा के आरोपी संभाजी भिड़े को पद्मश्री देने के लिए महाराष्ट्र की भाजपा सरकार द्वारा सिफारिश की गई थी. हिंदुस्तान टाइम्स की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इसका पता चला है.

महाराष्ट्र सरकार के 11 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने संभाजी भिड़े के नाम की सिफ़ारिश पद्मश्री पुरस्कार के लिए की थी. समिति ने अपने विवेक के आधार पर खुद से यह निर्णय लिया था.

हालांकि सरकार को इस संबंध में कोई आवेदन नहीं मिला था. हिंदुस्तान टाइम्स ने संबंधित दस्तावेज राज्य सरकार के प्रोटोकॉल विभाग से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त किए गए थे.

84 वर्ष के संभाजी भिड़े जिन्हें भिड़े गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है, एक विवादास्पद व्यक्ति हैं. इस साल एक जनवरी को पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज एफआईआर में संभाजी और दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे का नाम शामिल है.

दोनों पर हिंसा भड़काने का आरोप है. संभाजी शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान नाम की संगठन के संस्थापक हैं, जो पिछले तीन दशकों से शिवाजी महाराज के बारे में जागरूकता फैला रहा है. संभाजी आरएसएस के स्वयंसेवक भी रहे हैं.

साल 2008 में संभाजी पर सांगली ज़िले के मिराज-सांगली में सांप्रदायिक दंगे भड़काने का आरोप है. आरोप है गणपति विसर्जन के दौरान अफ़ज़ल ख़ान का क़त्ल होता हुआ पोस्टर लगाए थे. संभाजी की गिरफ़्तारी की मांग की गई थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस-राकांपा सरकार ने उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की.

साल 2008 में फिल्म जोधा-अकबर के विरोध के दौरान सिनेमाघर जलाने और तोड़-फोड़ करने की वजह से भिड़े का संगठन चर्चा में आया था. भिड़े महाराष्ट्र के युवाओं में लोकप्रिय हैं और पश्चिम महाराष्ट्र में काफी प्रभाव रखते हैं.

10 मंत्रियों और राज्य सरकार के प्रोटोकॉल विभाग के एक सचिव की 11 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति पद्म पुरस्कारों के लिए हर साल मिलने वाले आवेदनों में से राज्य की तरफ़ से भेजे जाने वाले लोगों के नामों का चयन कर करती है.

समिति के पास यह अधिकार होता है कि वह उन लोगों के नाम की भी सिफ़ारिश कर सकती है, जिनकी ओर से उसे आवेदन न मिला हो. आवास मंत्री प्रकाश मेहता की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने कुल 15 लोगों की सिफ़ारिश पद्म पुरस्कारों के लिए की थी. 12 अक्टूबर 2015 को इन सिफ़ारिशों को केंद्र सरकार के पास भेजा गया था.

दलित नेता और बीआर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार के क़दम को मानसिक दिवालियापन कहते हुए निंदा की है. उन्होंने कहा, ‘संभाजी भिड़े को न कांग्रेस सरकार ने गिरफ़्तार करने की हिम्मत दिखाई और न ही एफआईआर में नाम होने के बावजूद फड़णवीस सरकार गिरफ़्तार कर रही है.’

हालांकि मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति को भिड़े के नाम की सिफ़ारिश करने में कुछ भी ग़लत नहीं लग रहा है. समिति के सदस्य और महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन का कहना है, ‘मैं उन्हें निजी तौर पर जानता हूं. वे शिवाजी महाराज के प्रबल अनुयायी हैं और एक आदर्शवादी युवा पीढ़ी के निर्माण के उद्देश्य से काम कर रहे हैं. वह एक विनम्र और निस्वार्थ जीवन जी रहे हैं. मुझे उस समिति की बैठक के पूरे विवरण के बारे में याद नहीं है, लेकिन अगर हमने नाम की सिफारिश की है तो मैं उस निर्णय के समर्थन में हूं. भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में अगर उनके ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज है तो यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है क्योंकि मैं भी कई सारे मामलों का सामना कर रहा हूं.

शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के कार्यवाहक अध्यक्ष नितिन चौगुले ने कहा, ‘ये बात सच है कि गुरुजी को पद्म पुरस्कार के लिए पूछा गया था, लेकिन उन्होंने साफ़ तौर पर मना कर दिया. उन्होंने कहा कि ये उनके उसूलों, छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के इच्छा के खिलाफ होगा. मुझे नहीं मालूम की उनके मना करने के बावजूद सरकार ने उनके नाम की सिफारिश की है.’

भिड़े के अलावा जल संरक्षण कार्यकर्ता पोपटराव पवार, स्वास्थ्य क्षेत्र से डॉ. अनिल कुमार, डॉ. रूमी फरदु बेहरामजी, डॉ. अश्विन मेहता, डॉ रागिनी पारेख. कला क्षेत्र से अभिनेता प्रशांत दामले और अभिनेत्री आशा पारेख.

केंद्र सरकार ने 2016 में 66 नामों में से तीन और 2017 में भेजे गए 44 नामों में से एक नाम का चयन किया गया था. साल 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने 84 नामों की सिफ़ारिश की थी, जिसमें से तीन लोगों को पद्म पुरस्कार दिया गया.