राज्य में भाजपा के सहयोगी आईपीएफटी के प्रमुख एनसी देबबर्मा ने आशंका जताते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि बड़ा घटक दल होने के कारण भाजपा महत्वपूर्ण विभाग हमारे विधायकों को नहीं देगी.
अगरतला: अपने चुनावी सहयोगी भाजपा पर दबाव बनाते हुए इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने सोमवार को कहा कि अगर उसे मंत्रिपरिषद में सम्मानजनक स्थान नहीं मिला तो वह नई सरकार को बाहर से समर्थन देगा.
सम्मानजनक स्थान का अर्थ स्पष्ट करते हुए आईपीएफटी प्रमुख एनसी देबबर्मा ने कहा कि इसका अर्थ कैबिनेट में आईपीएफटी विधायकों को अनुपात के अनुसार प्रतिनिधित्व और प्रमुख विभागों का आवंटन है.
उन्होंने कहा कि उनके विधायकों को जब तक राज्य कैबिनेट में सम्मानजनक स्थान नहीं दिया जाता, आईपीएफटी विधानसभा में उसके विधायकों के लिए अलग जगह मांगेगा.
भाजपा और आईपीएफटी ने मिलकर राज्य में 59 सीटों पर हुए चुनावों में से 43 सीटें जीती हैं. इसमें से भाजपा ने 35 जबकि आईपीएफटी ने आठ सीटों पर कब्जा किया है. चारिलाम (सुरक्षित) सीट पर चुनाव माकपा के उम्मीदवार की मौत के कारण रद्द कर दिया गया था.
देबबर्मा ने समाचार एजेंसी भाषा से बात करते हुए कहा, ‘ऐसी चिंता है कि हो सकता है कि कैबिनेट में हमें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिले और महत्वपूर्ण विभाग हमें आवंटित नहीं हों क्योंकि भाजपा बड़ा घटक दल है और उसने 35 सीटें अकेले जीती हैं.’
उन्होंने कहा कि भाजपा और आईपीएफटी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था जिसका एकमात्र उद्देश्य माकपा को हराना था और यह लक्ष्य हासिल भी कर लिया गया. उन्होंने कहा, ‘अब अगर हमें सम्मानजनक स्थान नहीं मिला तो हम सरकार को बाहर से समर्थन देंगे.’
इससे पहले देबबर्मा ने यह भी मांग की थी कि मुख्यमंत्री आदिवासी विधायकों में से होना चाहिए और पूर्वोत्तर की यह परंपरा रही है कि मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय से चुनाव जाता है.
भाजपा नेतृत्व ने आईपीएफटी की मांग पर कोई टिप्पणी नहीं की है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिप्लब देब ने कहा कि भाजपा और आईपीएफटी के 43 विधायकों की संयुक्त बैठक मंगलवार को आयोजित होगी जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहेंगे.