अगर सीलिंग के कारण व्यापारी बेरोज़गार हुए तो क़ानून-व्यवस्था पर असर पड़ेगा: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी को पत्र लिखकर सीलिंग मुद्दे के समाधान के लिए मिलने का समय मांगा है. उन्होंने कहा कि अगर 31 मार्च तक सीलिंग नहीं रुकी तो वे भूख हड़ताल करेंगे.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी को पत्र लिखकर सीलिंग मुद्दे के समाधान के लिए मिलने का समय मांगा है. उन्होंने कहा कि अगर 31 मार्च तक सीलिंग नहीं रुकी तो वे भूख हड़ताल करेंगे.

फोटो: पीटीआई
फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में दुकानों की सीलिंग के मुद्दे के समाधान के लिए उनसे मुलाकात का वक्त मांगा है.

प्रधानमंत्री को एक पत्र में उन्होंने वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों की सीलिंग को लेकर कानून में विसंगतियों को खत्म करने के लिए संसद में विधेयक लाने पर जोर दिया और आगाह किया कि इस अभियान से शहर में कानून- व्यवस्था की स्थिति पर असर पड़ेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा,‘ सीलिंग के लिए कानून में विसंगति जिम्मेदार है. इन विसंगतियों को हटाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है.’

इससे पहले केजरीवाल ने शुक्रवार को आगाह किया था कि अगर 31 मार्च तक सीलिंग अभियान नहीं रूका तो वह भूख हड़ताल करेंगे.

उन्होंने कहा कि व्यापारी ईमानदारी से रोजी-रोटी कमाते हैं और कर अदा करते हैं लेकिन वे सीलिंग के कारण नुकसान झेल रहे हैं. अब केवल एक समाधान है. कानून में विसंगति दूर करने और व्यापारियों को बेरोजगारी से बचाने के लिए संसद में एक विधेयक लाया जाए.

मोदी को अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा,‘व्यापारी भुखमरी के कगार पर हैं और हर दुकान से कई लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है. अगर( सीलिंग के कारण) वे सभी बेरोजगार हुए तो इससे कानून-व्यवस्था पर असर पड़ेगा.’

प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए वक्त मांगते हुए केजरीवाल ने कहा है कि सीलिंग अभियान रोकने के लिए संसद में फौरन एक विधेयक लाना चाहिए.

राहुल गांधी को अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने उनसे भेंट का वक्त मांगा है और कहा कि वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के सीलिंग अभियान से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं.

केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखा है,‘ राजनीति से ऊपर उठकर इस समस्या का समाधान निकाला जाना चाहिए. संसद में जोरदार तरीके से यह मुद्दा उठाए जाने की जरूरत है और एक विधेयक लाने के लिए केंद्र पर दबाव बनाया जाना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)