मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि किसानों की मांगों को लेकर सकारात्मक है सरकार. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह सिर्फ़ महाराष्ट्र के नहीं, पूरे देश के किसानों का मुद्दा.
मुंबई: क़र्ज़ माफ़ी की मांग को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा का घेराव करने के लिए हज़ारों की संख्या में निकले किसान नासिक से पदयात्रा करके मुंबई पहुंच चुके हैं. दक्षिणी मुंबई के आज़ाद मैदान में जमा हो रहे हैं. किसान यहां अपनी तमाम मांगों को पूरा कराने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए एकत्रित हुए हैं.
पिछले छह दिन से तपती धूप में करीब 180 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बहुत बड़ी तादाद में मुंबई पहुंचे किसानों ने अपने हाथों में लाल झंडे थाम रखे हैं.
किसान बिना किसी शर्त के ऋणमाफी की मांग करते हुए विधानसभा परिसर को घेरने वाले हैं. ऋणमाफी के अलावा किसान आदिवासी किसानों को वनभूमि हस्तांतरण करने की भी मांग कर रहे हैं.
सायन क्षेत्र में केजे सोमैय्या मैदान में ठहरने के बाद किसान सोमवार तड़के आजाद मैदान पहुंचे. किसानों के इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे माकपा से संबद्ध ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने बताया कि इस बात पर विचार करेंगे कि सरकार को क्या पेशकश करना है.
माकपा नेता अशोक धावले ने बताया कि करीब 50,000 किसान इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. उन्होंने बताया, हम अपनी रैली सुबह 11 बजे शुरू करेंगे ताकि 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दे रहे छात्र-छात्राओं को कोई परेशानी का सामना न करना पड़े.
ठाणे जिले के आदिवासी किसानों ने भी नासिक जिले से आए किसानों के इस विरोध प्रदर्शन में शिरकत की.
एआईकेएस के सदस्य और माकपा के विधायक जीवा पांडू गावित ने कहा, ‘हम ऋण माफ़ी सहित सभी मांगों के पूरी होने की उम्मीद रखते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम राज्य सरकार के हमारी मांगें पूरी न करने तक शहर नहीं छोड़ेंगे और विधानसभा का घेराव करेंगे.’
मुंबई के डब्बावाले किसानों को भोजन कराकर करेंगे समर्थन
इस बीच, मुंबई के डब्बावालों ने नासिक से छह दिन की पैदल यात्रा कर यहां पहुंचे किसानों को भोजन मुहैया कराने का ऐलान किया है.
मुंबइ डब्बावाला एसोसिएशन के प्रवक्ता सुभाष तालेकर ने कहा, ‘हम भोजन के ज़रिये किसानों की मदद करेंगे क्योंकि वे अन्नदाता हैं और राज्य के दूरदराज़ इलाकों से यहां पहुंचे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमने दादर और कोलाबा के बीच काम करने वाले हमारे लोगों से भोजन लेने और आज़ाद मैदान में हमारे किसान भाइयों तक पहुंचाने को कहा है.’
शिवसेना ने भी किया समर्थन
हज़ारों किसानों के विरोध प्रदर्शन को शिवसेना ने सोमवार को अपना समर्थन दिया. पार्टी ने कहा है कि वह किसानों के हाथों में लाल झंडे के बावजूद भी उन्हें समर्थन देगी.
शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र को अलग राज्य बनाने के लिए हुए आंदोलन में वाम विचारधारा वाले नेताओं के आंदोलन को वह भूली नहीं है. माकपा से संबंधित अखिल भारतीय किसान सभा इस आंदोलन की अगुवाई कर रही है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा है, ‘यह संभव है कि सरकार किसानों को आश्वासन दे और यहां तक कि किसानों को भ्रम में डालने के लिए अपने कुछ मंत्रियों को भी वहां भेजे.’
मुखपत्र में कहा गया है, ‘हालांकि, किसानों की दृढ़ता से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह सरकार की इस चालबाज़ी में नहीं फंसेंगे.’
शिवसेना ने कहा कि इस बात को वह कोई महत्व नहीं देते हैं कि यह विरोध प्रदर्शन किस विचार, संगठन और रंग का प्रतिनिधित्व करता है.
किसान रैली के मद्देनज़र मुंबई में सुरक्षा कड़ी
पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) देवेन भारती ने कहा, ‘निकटवर्ती ज़िलों से कुछ किसानों के रैली में शामिल होने की संभावना है. पुलिसकर्मी मुस्तैद हैं और क़ानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में पर्याप्त सक्षम है.’
भारती ने कहा, ‘रैली देश की वित्तीय राजधानी तक शांतिपूर्वक पहुंची है.’ उन्होंने कहा कि पुलिस शांतिपूर्वक तरीके से ही प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की उम्मीद कर रही है.
अन्य एक अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के शहर में एकत्रित होने के मद्देनज़र पुलिस ने कड़ी नज़र बना रखी है ताकि कोई संभावित असामाजिक तत्व स्थिति का फायदा न उठा पाए.
उन्होंने बताया किसानों के रविवार को शहर में दाखिल होते ही सभी मार्गों पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए थे.
महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने रविवार को उपनरीय मुंलुंड में इस मार्च का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों की पहले वाली मांगों को पूरा किया है और अब वह नई मांगों पर भी विचार करेगी.
किसानों के रुख को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार भी सक्रिय हो गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने किसानों से बात करने के लिए 6 मंत्रियों की एक समिति का गठन किया है. इससे पहले उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.
फड़णवीस ने कहा, ‘हम उनसे बात करेंगे और उनके मुद्दों को सुलझाएंगे. सरकार उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक है. अधिकांश आंदोलनकारी आदिवासी हैं और उनकी मुख्य मांग वन भूमि पर अधिकार है. उनकी मांगों पर चर्चा के लिए हमने मंत्रियों की एक समिति बनायी है. हमने उन्हें (किसान नेताओं) को बातचीत के लिए बुलाया है.’
#Maharashtra: All India Kisan Sabha's protest march, demanding a complete loan waiver among other demands, arrives at Azad Maidan in #Mumbai, will proceed to state assembly later in the day pic.twitter.com/3BP50RlvJN
— ANI (@ANI) March 12, 2018
इस समिति में चंद्रकांत पाटिल, पांडुरंग फुडकर, गिरीश महाजन, विष्णु सवारा, सुभाष देशमुख और एकनाथ शिंदे शामिल हैं.
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन को किसानों से बात करने भेजा था, जिन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक है.
किसानों के मुद्दे को कांग्रेस के अलावा शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) समर्थन मिला है. मोर्चे के मुंबई पहुंचने पर शिवसेना की ओर से आदित्य ठाकरे ने किसानों को संबोधित किया.
ज्ञात हो कि पूर्ण ऋण माफी की मांग सहित अनेक मांगों को लेकर महाराष्ट्र के किसानों ने नासिक से मुंबई तक की यात्रा बीते मंगलवार को शुरू की थी.
उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक से निकले ये किसान एआईकेएस के आह्वान पर पूर्ण ऋण माफी और अन्य समस्याएं हल करने की मांग के साथ मुंबई तक के एक लंबे मार्च पर निकले थे.
किसान ऋण माफी के साथ ही बिजली के बिल माफ करने की भी मांग कर रहे हैं. साथ ही, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें भी लागू करने की उनकी मांग है.
एआईकेएस के सचिव राजू देसले ने मंगलवार को किसान यात्रा की शुरुआत के वक्त अपने संबोधन में कहा था, ‘हम ये भी चाहते हैं कि राज्य सरकार विकास परियोजनाओं के नाम पर सुपर हाइवे तथा बुलेट ट्रेन के लिए कृषि योग्य भूमि का जबरदस्ती अधिग्रहण न करे.’
देसले ने दावा किया कि भाजपा नीत राज्य सरकार द्वारा 34,000 करोड़ रुपये की सशर्त कृषि ऋण माफी की पिछले साल जून में घोषणा के बाद से अब तक 1,753 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
एआईकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों से किए गए वादों को पूरा न करके उनके साथ धोखा किया है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर ‘किसान-विरोधी’ नीति अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने केंद्र तथा राज्य सरकार पर किसान विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया.
वहीं इस पूरे मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह सिर्फ महाराष्ट्र के किसानों का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों का मुद्दा है.
पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार ने कृषि ऋणमाफी की घोषणा करते हुए इसे महाराष्ट्र के इतिहास में सबड़े बड़ी ऋणमाफी बताया था.
पिछले महीने राज्य के राज्यपाल विद्यासागर राव ने राज्य विधानसभा को बताया था कि सरकार ने 31 लाख किसानों के बैंक खातों में 12,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित की है.
प्रदर्शनरत किसान स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों की उत्पादन कुल लागत का डेढ़ गुना भुगतान किया जाए और इसी को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए.
ऐसी संभावना कम है कि सभी किसानों को आजाद मैदान से विधानसभा परिसर की ओर जाने दिया जाएगा लेकिन इन किसानों के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से मिलने की इजाजत दी जाए.
शाम तक दबाव आकर महाराष्ट्र सरकार ने मांगें मानी
विपक्ष और सहयोगी शिवसेना के दबाव में भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार ने आंदोलनरत किसानों की मांगें मान लीं जिसमें वन भूमि पर उनका अधिकार शामिल है. मांगों को लेकर हजारों किसान सोमवार को मुंबई पहुंचे थे.
राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उनकी ‘सभी मांगों’ को स्वीकार किया जा रहा है.
वह माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी की मौजूदगी में दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में धरना दे रहे किसानों को संबोधित कर रहे थे.
विधान भवन के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा, ‘कृषि उपयोग में लाई जाने वाली वन भूमि आदिवासियों और किसानों को सौंपने के लिए हम समिति बनाने पर सहमत हो गए हैं. विधान भवन में सोमवार को किसानों और आदिवासियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई. हम कृषि भूमि आदिवासियों को सौंपने के लिए समिति बनाने पर सहमत हो गए हैं बशर्ते वे 2005 से पहले ज़मीन पर कृषि करने के सबूत मुहैया कराएं. हमने उनकी लगभग सभी मांगें मान ली हैं.’
किसानों के लंबे मार्च पर विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णनवीस ने कहा, ‘इसमें हिस्सा लेने वाले करीब 90 से 95 फीसदी लोग गरीब आदिवासी हैं. वे वन भूमि पर अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. वे भूमिहीन हैं और खेती नहीं कर सकते. सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनशील और सकारात्मक है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)