राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि साल 2017 में पीएनबी ने नीरव मोदी से जुड़ी कंपनियों के लिए लगभग 54 अरब रुपये के 150 फ़र्ज़ी एलओयू जारी किए.
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पंजाब नेशनल बैंक( पीएनबी) घोटाले से सबक लेते हुए गारंटी पत्र यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिये बैंक गारंटी जारी करने की सुविधा पर मंगलवार को रोक लगा दी.
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके संबंधी मेहुल चोकसी ने आयात के लिए उपलब्ध इस सुविधा का दुरुपयोग कर देश में बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया था. इसको देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
आरबीआई ने एलओयू के साथ ही आश्वस्ति पत्र (लेटर ऑफ कम्फर्ट) जारी करने पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. लेटर ऑफ कम्फर्ट भी एलओयू की तरह ही होता है. इन पत्रों का इस्तेमाल आयातकों द्वारा विदेशों में की जाने वाली खरीद के वित्त पोषण में किया जाता है.
आरबीआई ने जारी बयान में कहा कि कुछ तय शर्तों के साथ साख पत्र (लेटर ऑफ क्रेडिट) तथा बैंक गारंटी जारी किया जाना बरकरार रहेगा. रिजर्व बैंक ने कहा कि एलओयू पर रोक लगाने का निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू है.
हालांकि रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि आयात करने वालों को व्यापारिक कर्ज के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) और बैंक गारंटी की व्यवस्था जारी रह सकती है, बशर्ते एलसी या बैंक गारंटी हासिल करने वाला तमाम कायदे-कानून का पालन कर रहा हो और बैंक की शर्तों को पूरा करता हो.
आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा, ‘दिशा-निर्देशों की समीक्षा के बाद आयात के लिए बैंकों द्वारा एलओयू जारी किये जाने की सुविधा पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है.’
साल 2011 से पीएनबी ने जारी किए 1,213 फर्जी एलओयू
वहीं मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में पीएनबी द्वारा जारी किए गए एलओयू के बारे में जानकारी साझा की.
बिज़नेस स्टैंडर्ड के अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक लिखित जवाब में बताया कि (पीएनबी) की मुंबई शाखा ने मार्च 2011 से नीरव मोदी से जुड़ी विभिन्न कंपनियों को 1,213 एलओयू जारी किए थे.
जेटली ने कहा कि बैंक द्वारा सौंपे गए कथित घोटाले के विवरण के अनुसार मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा के अधिकारियों ने 5 मार्च 2011 को भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं के लिए एलओयू जारी करने शुरू किए थे.
शुरुआती कुछ एलओयू शाखा अधिकारियों द्वारा नीरव मोदी की कंपनियों से जुड़ी फर्मों के साथ परामर्श के बाद जारी किए गए थे और वे वास्तविक लेनदेन से संबंधित थे, वहीं पीएनबी द्वारा 53 असली एलओयू मार्च 2011 और अक्टूबर 2017 के बीच जारी किए गए.
जहां पीएनबी ने 2016 तक जारी एलओयू के लिए अन्य भारतीय बैंकों को देय राशि का भुगतान कर दिया, वहीं उसके द्वारा 2017 के बाद जारी एलओयू के लिए बकाया का निपटान अभी भी नहीं किया गया है.
साल 2017 में पीएनबी ने नीरव मोदी से जुड़ी समूह कंपनियों के लिए लगभग 54 अरब रुपये के 150 फर्जी एलओयू जारी किए. इसके अलावा, 1.2 अरब रुपये मूल्य के 6 वास्तविक एलओयू वर्ष 2017 में जारी किए गए थे.
क्या होता है एलओयू?
एलओयू एक गारंटी पत्र होता है, जो बैंक गारंटी की तरह काम करता है. मान लीजिये कि बैंक द्वारा आयातक को एलओयू जारी किया गया. अब आयातक डिस्काउंट पर अन्य बैंकों को बेच सकता है. आयातक रकम या लेटर ऑफ क्रेडिट प्राप्त करता है और अपने ग्राहक को भुगतान करता है.
एलओयू जारी करने वाला बैंक स्विफ्ट नेटवर्क के जरिये अन्य बैंकों की वैश्विक शाखाओं को संदेश भेजता है और वह बैंक एलओयू के मार्फत ग्राहक को तुरंत भुगतान करता है. एलओयू धारक बैंक तब जारीकर्ता बैंक (इस मामले में पीएनबी) के पास लाता है और बकाया हासिल करता है.
जारीकर्ता बैंक (यहां पीएनबी) अपने ग्राहक (मोदी) से एलओयू के तहत अपना बकाया वसूलता है. चूंकि एलओयू का इस्तेमाल सामान के आयात के लिए किया गया और ये विदेशी मुद्रा से जुड़े हुए हैं, इसलिए नोस्ट्रो अकाउंट (क्लाइंट का वैश्विक खाता) का इस्तेमाल एलओयू स्वीकार कर बैंक द्वारा ऋण जमा करने के लिए किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)