योगी के गढ़ गोरखपुर में हारी भाजपा, उपमुख्यमंत्री मौर्य की फूलपुर सीट पर भी सपा की जीत. बिहार में लालू की ग़ैर-मौजूदगी में भी सीट बचाने में कामयाब हुआ राजद.
नई दिल्ली/लखनऊ/इलाहाबाद/पटना: भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बुधवार को एक चौंका देने वाला झटका लगा क्योंकि लोकसभा की उन तीनों सीटों पर उसके उम्मीदवार हार गए जिनके लिए उपचुनाव हुआ था. इन तीन सीटों में उत्तर प्रदेश में उसका गढ़ रहा गोरखपुर और फूलपुर तथा बिहार में अररिया शामिल है.
भाजपा के लिए यह चौंकाने वाला चुनाव परिणाम त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में उसकी शानदार जीत के कुछ ही दिन बाद आया है. भाजपा ने त्रिपुरा में वाम दल के क़िले को ढहा दिया था, जहां वह पिछले 25 वर्ष सत्ता में था. भाजपा ने अपने क्षेत्रीय सहयोगी दलों के साथ मिलकर नगालैंड और मेघालय में भी सरकार बना ली थी.
अन्य पिछड़ वर्ग (ओबीसी), दलित और मुस्लिम वोटों का एकीकरण होने से सपा उम्मीदवारों को गोरखपुर और फूलपुर में जीत मिली.
गोरखपुर सीट का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच बार किया जबकि फूलपुर सीट पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. भाजपा ने तब पहली बार फूलपुर सीट जीती थी. दोनों ने अपनी सीटें तीन लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीती थीं.
गोरखपुर में सपा के प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21961 वोट से हराया, वहीं सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने फूलपुर सीट पर भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 59,460 वोट से हराया.
गोरखपुर सीट पर भाजपा को 28 साल बाद हार झेलनी पड़ी है. 1991 से ही यह सीट भाजपा के पास थी. 1991 में हिंदू महासभा के नेता रहे गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ ने भाजपा के टिकट पर यहां जीत दर्ज की थी. इससे पहले (1989-90) वह इस सीट पर हिंदू महासभा के टिकट पर सांसद चुके गए थे.
इसके बाद 1996 में भी वह जीते. फिर 1998 में उनके शिष्य और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांसद बने और तब से बीते साल तक वह इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था और वह विधानपरिषद के सदस्य बन गए.
इसी तरह फूलपुर सीट पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को 2014 के पिछले लोकसभा उपचुनाव में 5,03,564 वोट मिले थे. वहीं सपा और बसपा के प्रत्याशी को मिलाकर 358970 वोट मिले थे. साफ़ है कि दोनों को मिलाकर भी अंतर 144594 वोटों का था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के ‘अति आत्मविश्वास’ को हार का ज़िम्मेदार ठहराया और इसके कारणों के लिए गहरी समीक्षा की बात कही.
गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में जीत के साथ ही लोकसभा में सपा सांसदों की संख्या बढ़कर सात हो गई है.
गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद दिये गये त्यागपत्र के कारण रिक्त हुई थी.
गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के लिए मतदान गत 11 मार्च को हुआ था. इस दौरान क्रमशः 47.75 प्रतिशत और 37.39 फीसद मतदान हुआ था. गोरखपुर सीट के लिये 10 तथा फूलपुर सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में थे.
जीत के बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष और गोरखपुर से सपा प्रत्याशी प्रवीण के पिता संजय निषाद ने कहा, ‘यह न ही योगी आदित्यनाथ की हार है और न ही गोरखनाथ मठ की. हम सब गोरखनाथ मठ और नाथ संप्रदाय के संस्थापक मछेन्दर नाथ का सम्मान करते हैं. मेरा मानना है कि जनता ने भाजपा की नोटबंदी और जीएसटी की नीतियों के ख़िलाफ़ मतदान किया.’
उन्होंने कहा कि यह हार केंद्र की नरेंद्र मोदी की पराजय और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में किए गए विकास कार्यों और उनकी अच्छी नीतियों की जीत है.
बहरहाल सपा राज्य में आगामी राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार का समर्थन कर रही है. उत्तर प्रदेश में राजनीति के मैदान में भाजपा के अलावा सपा और बसपा मुख्य पात्र हैं.
सपा और बसपा ने 1993 में तब गठबंधन सरकार बनाई थी जब भाजपा बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद हुए चुनाव में अकेली सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी.
गोरखपुर में ओबीसी, दलित और मुस्लिम वोटों का एकसाथ आने की वजह से सपा उम्मीदवार ने जीत अपने पाले में कर ली. ये वोट पहले सपा और बसपा के अलावा छोटे दलों जैसे निषाद पार्टी और पीस पार्टी के बीच बंट जाते थे.
निषाद पार्टी का क्षेत्र में निषाद समुदाय में काफी प्रभाव है जबकि पीस पार्टी का क्षेत्र में मुस्लिमों में काफी प्रभाव है.
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा की जीत बसपा की अपने वोट सपा को हस्तांतरित करने की क्षमता का परिणाम है.
उपचुनाव की यह जीत आम चुनाव से पहले धर्मनिरपेक्ष दलों को राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी एक व्यापक गठबंधन बनाने के लिए प्रेरित करेगी.
ऐसी ही एक संभावना का पता लगाने के लिए बीते मंगलवार को संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से दिए गए भोज में 20 विपक्षी दलों के नेता एकत्रित हुए थे.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने परिणामों को भाजपा के ख़िलाफ़ जनता के आक्रोष का एक प्रतिबिंब बताया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज के उपचुनावों में जीतने वाले उम्मीदवारों को बधाई. नतीजों से स्पष्ट है कि मतदाताओं में भाजपा के प्रति बहुत क्रोध है और वो उस ग़ैर भाजपाई उम्मीदवार के लिए वोट करेंगे जिसके जीतने की संभावना सबसे ज़्यादा हो. कांग्रेस यूपी में नवनिर्माण के लिए तत्पर है, ये रातों रात नहीं होगा.’
सपा अध्यक्ष अखिलेख यादव ने जीत को ‘सामाजिक न्याय’ में से एक बताया और इसके लिए भाजपा को धन्यवाद दिया.
समाजवादी पार्टी ने फूलपुर लोकसभा उपचुनाव 59,460 मतों के अंतर से जीता
समाजवादी पार्टी के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने भारतीय जनता पार्टी के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 59,460 मतों के अंतर से हराकर फूलपुर लोकसभा उपचुनाव जीत लिया. सपा ने मतगणना के प्रथम दौर से ही भाजपा पर बढ़त बनाए रखी.
इलाहाबाद के मुंडेरा मंडी स्थित मतगणना स्थल पर बुधवार शाम अंतिम नतीजे घोषित किए गए. सपा उम्मीदवार नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को 3,42,922 मत मिले, जबकि भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 2,83,462 मत प्राप्त हुए.
वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार मनीष मिश्र को 19,353 मत मिले और वह चौथे स्थान पर रहे, जबकि बाहुबली नेता अतीक़ अहमद को कुल 48,094 मत प्राप्त हुए. देवरिया जेल में बंद अतीक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर यह चुनाव लड़ा था.
उल्लेखनीय है कि फूलपुर संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र फूलपुर, फाफामऊ, सोरांव, इलाहाबाद पश्चिम और इलाहाबाद उत्तर आते हैं और इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 19,63,543 मतदाताओं में से महज़ 7,29,126 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. गत 11 मार्च को हुए मतदान का प्रतिशत 37.13 था.
दिलचस्प है कि फूलपुर संसदीय सीट के लिए इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी आदि ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में जमकर प्रचार किया था.
गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य 2014 के आम चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट से 3 लाख से अधिक मतों से विजयी हुए थे. 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद उन्हें प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने फूलपुर सीट से त्यागपत्र दे दिया था जिससे यह सीट खाली हुई थी.
उपचुनाव में जीत के बाद सपा मुख्यालय में जश्न का माहौल
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की जीत के बाद पार्टी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. सपा कार्यकर्ताओं में सबसे ज़्यादा इस बात की ख़ुशी है कि पार्टी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त की गई लोकसभा सीटों पर क़ब्ज़ा किया है.
सपा मुख्यालय पर ‘बुआ-भतीजा ज़िंदाबाद’ के नारे भी लग रहे हैं. यहीं नहीं सपा कार्यालय पर कुछ कार्यकर्ता सपा के साथ-साथ बसपा का नीला झंडा भी लहरा रहे है. जीत से उत्साहित कार्यकर्ता गुलाल खेल कर ख़ुशियां मना रहे हैं और मिठाइयां बांट रहे हैं.
उधर, भाजपा कार्यालय पर सुबह तो कार्यकर्ताओं की थोड़ी भीड़ भी थी जो दोपहर आते आते कम हो गई. भाजपा के नेताओं ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष महेंद्र पांडे अचानक दिल्ली चले गए हैं.
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने बताया, ‘सपा और बसपा का समझौता था जिसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को आज हरा दिया. जब 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां गठजोड़ कर लड़ेंगी तो हम केंद्र में प्रधानमंत्री को हराएंगे. यह बस एक बानगी भर है. आगे-आगे देखिये होता है क्या.’
सपा के विधानपरिषद सदस्य आनंद भदौरिया ने कहा, ‘सबसे ज़्यादा ख़ुशी इस बात की है कि हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सीटें उनसे छीनी हैं, जो उनके लिए सबसे प्रतिष्ठा वाली सीटें थीं.’
अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा सीट राजद की झोली में, भभुआ से भाजपा प्रत्याशी विजयी
लालू प्रसाद की राजद ने अररिया लोकसभा सीट बरक़रार रखी, जहां उसके उम्मीदवार सरफ़राज़ आलम ने भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 60 हज़ार से अधिक वोट से हराया.
यह जदयू-भाजपा गठबंधन के लिए एक झटका है, जो कि नीतीश कुमार के राजग में वापसी के बाद पहली बार चुनाव में उतरा था.
भाजपा को थोड़ी राहत इस रूप में मिली कि उसकी उम्मीदवार रिंकी रानी पांडेय ने भभुआ विधानसभा सीट पार्टी के लिए बरक़रार रखी. रिंकी रानी पांडेय ने कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी शंभु सिंह पटेल को करीब 14000 वोट से हराया.
राजद ने जहानाबाद विधानसभा सीट बरक़रार रखी, जहां उसके उम्मीदवार सुदय यादव ने अपने प्रतिद्वंद्वी जदयू के अभिराम शर्मा को 30,000 वोटों के अंतर से हराया.
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जदयू उम्मीदवार अभिराम शर्मा को 35,333 मतों से हराया.
यादव को 76,598 मत प्राप्त हुए वहीं शर्मा को 41,265 मत हासिल हुए जबकि भाकपा माले उम्मीवार कुंती देवी 8,498 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.
भभुआ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रिंकी रानी पांडेय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवर शंभू पटेल को 14,866 मतों से परास्त किया.
रिंकी को 64, 413 मत प्राप्त हुए वहीं पटेल को 49547 मत मिले, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार धर्मेंद्र सिंह 3,690 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे.
अररिया से सात उम्मीदवार, जहानाबाद से 14 उम्मीदवार तथा भभुआ से 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)