भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं. कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम ने टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान किया.
अमरावती: तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से राजग छोड़ने का फैसला ले लिया.
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार से नाराज पार्टी के दो नेताओं के नरेंद्र मोदी की सरकार से हटने के कुछ दिनों बाद ही यह निर्णय लिया गया है.
पार्टी द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य के साथ हुए अन्याय के मद्देनजर पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.
पहले वाईएसआर कांग्रेस और फिर टीडीपी की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
उल्लेखनीय है कि पी अशोक गजपति राजू और वाई एस चौधरी ने आठ मार्च को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 पर प्रधानमंत्री के साथ बैठक करने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
पार्टी प्रमुख एवं आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के साथ एक टेलीकांफ्रेंस के जरिए टीडीपी पोलित ब्यूरो ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया.
उसने कहा कि तेलुगु देशम पार्टी शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव लाने के सबंध में एक नोटिस जारी करेगी.
पार्टी पोलितब्यूरो के एनडीए छोड़ने के निर्णय पर बैठक शुक्रवार शाम होनी थी लेकिन नायडू की पार्टी नेताओं के साथ शुक्रवार सुबह हुई दैनिक टेलीकॉन्फ्रेंस में ही औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं.
आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि टीडीपी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और राजग के अन्य घटकों को अपने निर्णय और उसके कारणों की जानकारी देने के लिए पत्र लिखेगी.
ममता बनर्जी ने किया स्वागत
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टीडीपी के एनडीए से अलग होने के फैसले का स्वागत करते हुए सभी विपक्षी पार्टियों से एक साथ आने और ‘अत्याचारों, आर्थिक विपत्तियों और राजनीतिक अस्थिरता’ के खिलाफ मिलकर काम करने की अपील की.
I welcome the TDP’s decision to leave the NDA. The current situation warrants such action to save the country from disaster. I appeal to all political parties in the Opposition to work closely together against atrocities, economic calamity&political instability: Mamata Banerjee pic.twitter.com/zRKBWMdKbL
— ANI (@ANI) March 16, 2018
टीएमसी प्रमुख ने ट्वीट किया,‘मैं टीडीपी के राजग छोड़ने के फैसला का स्वागत करती हूं. वर्तमान हालात में देश को विपत्तियों से बचाने के लिए ऐसे कदम आवश्यक हैं.’
ममता ने लिखा,‘मैं विपक्षी राजनीतिक दलों से अत्याचारों, आर्थिक विपत्तियों और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ निकटता से काम करने की अपील करती हूं.’
आम चुनावों से पहले भाजपा को झटका
2019 के आम चुनावों की तैयारी से पहले इसे भाजपा के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है. टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को कई विपक्षी दलों का समर्थन मिल गया है.
कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम जैसे बड़े दलों ने टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान किया है.
आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एन रघुवीरा रेड्डी ने कहा कि पार्टी केंद्र के खिलाफ टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस की ओर से लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी.
वामदलों ने भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन देने का ऐलान किया है. सीपीआईएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि आंध्र प्रदेश के साथ धोखे को माफ नहीं किया जा सकता है. नाकामी और संसदीय जिम्मेदारी को लेकर अब इस सरकार को अब सबके सामने लाने की जरूरत है.
हालांकि वर्तमान परिस्थिति में भाजपा अकेले दम पर बहुमत साबित करने की स्थिति में है, लेकिन बदले हुए राजनीतिक हालात में एनडीए के दूसरे सहयोगी दलों को भी साधने की कोशिश जारी है.
लोकसभा दिनभर के लिए स्थगित, नहीं पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव
शुक्रवार को लोकसभा में भारी हंगामा रहा. सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो टीआरएस सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी की.
स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने वाले सांसदों की गिनती करने के लिए प्रदर्शन कर रहे सदस्यों से अपनी सीट पर जाने को कहा, लेकिन सांसद तैयार नहीं हुए.
स्पीकर ने कहा कि हंगामे के बीच गिनती करना मुमकिन नहीं है. इस तरह लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए बिना ही सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. हालांकि सदन में कांग्रेस और सपा के सांसद प्रस्ताव के समर्थन में हाथ खड़े करते दिखे.
अब सोमवार को टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है.
आक्रामक मूड में है भाजपा
सरकार के खिलाफ ला जाए रहे अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘देखेंगे कि संसद में कौन-सा दल किसके साथ जाता है.’
उन्होंने कहा कि यह चुनावी साल है. हर राज्य की अपनी मांगें और मुद्दे हैं. मेरे लिए इस पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा. यह एक परंपरा है कि चुनाव से पहले संसद में एक ऐसा रिहर्सल होता है.
Will see what happens in Parl, which party chooses to go which way. In a way it is election year & every state has demands & issues, it is not right for us to comment on it. It is a custom, before actual elections there is always a rehearsal in Parl: MA Naqvi on BJP-TDP break-up pic.twitter.com/OZSVLLfh9X
— ANI (@ANI) March 16, 2018
वहीं, भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ट्वीट कर कहा, ‘टीडीपी का केंद्र के खिलाफ दुष्प्रचार के बाद उनका गठबंधन से अलग होना जरूरी बन पड़ा था.’
राव ने कहा, ‘आंध्र प्रदेश के लोगों को अब पता चल गया होगा कि टीडीपी अपनी अयोग्यता और निष्क्रिय शासन को छिपाने के लिए झूठ का सहारा ले रही है. गठबंधन से टीडीपी का अलग होना आंध्र प्रदेश में भाजपा के विकास के लिहाज से सही अवसर है.’
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
विपक्ष द्वारा संसद में केंद्र सरकार को गिराने या कमजोर करने के उद्देश्य से अविश्वास प्रस्ताव रखा जाता है. यह प्रस्ताव संसदीय मतदान (अविश्वास का मतदान) द्वारा पारित या अस्वीकार किया जाता है. सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव तभी लाया जा सकता है, जब इसे सदन में करीब 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त हो.
अभी के हालात में देखें तो केंद्र की सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एकजुट हुए सांसदों की संख्या 117 है. ऐसे में सदन में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए पर्याप्त बहुमत है.
अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष को स्वीकार करना होगा. यदि स्पीकर की ओर से इसे मंजूरी मिल जाती है तो 10 दिनों के अंदर इस पर सदन में चर्चा करनी होगी. चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है.
हालांकि अभी के हालात में सरकार गिराने के लिए उन्हें कुल 269 सांसदों के समर्थन की जरूरत है, लेकिन सदन में अकेले भाजपा के पास ही बहुमत की 269 सीटों से भी ज्यादा सीटें मौजूद हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)