सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 12 लोगों को इस मामले में सबूतों के अभाव में बाइज़्ज़त बरी कर दिया.
रांची: चारा घोटाले के तीन मामलों में सज़ा पाने के बाद रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सोमवार को विशेष सीबीआई अदालत ने दुमका कोषागार से तीन करोड़ 13 लाख रुपये का गबन के मामले में भी दोषी क़रार दिया.
अदालत ने बिहार के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 12 लोगों को इस मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में सज़ा 21 से 23 मार्च के बीच सुनाई जाएगी.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने लालू समेत 19 लोगों को दोषी क़रार दिया. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व विधायक ध्रुव भगत, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पूर्व विधायक आर के राणा समेत 12 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू को दोषी क़रार देने और जगन्नाथ मिश्रा को बरी करने फैसले को सीबीआई का खेल बताया है और कहा कि राजद इस मामले में भी झारखंड उच्च न्यायालय जाएगी.
चारा घोटाले के तीन मामलों में पहले ही सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव को देवघर कोषागार एवं चाईबासा कोषागार के गबन के दो मामलों में क्रमशः 23 दिसंबर एवं 24 जनवरी को दोषी ठहराया जा चुका है.
देवघर मामले में उनकी जमानत याचिका उच्च न्यायालय खारिज कर चुका है, वहीं चाईबासा कोषागार मामले में उनकी जमानत याचिका विचाराधीन है, जिस पर सुनवाई 23 मार्च को होगी.
इस बीच चारा घोटाले के तीन मामलों में सज़ा पाने के बाद रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद राजद प्रमुख बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को शनिवार को तबियत खराब होने की वजह से राजेन्द्र आयुर्विग्यान संस्थान (रिम्स) के हृदय रोग विभाग में भर्ती कराया गया था. अस्पताल से ही उन्हें फैसला सुनने के लिए अदालत लाया गया था.
अदालत ने इस मामले में तत्कालीन आयकर आयुक्त अधीषचंद्र चौधरी, पूर्व आईएएस अधिकारी बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद तथा तत्कालीन मंडलायुक्त एमसी सुबर्णो को भी बरी कर दिया.
दूसरी ओर अदालत ने एक अन्य आईएएस अधिकारी फूलचंद्र सिंह, पशुपालन विभाग के कुछ अधिकारियों एवं चारा आपूर्तिकर्ताओं को दोषी क़रार दिया.
इस मामले में कुछ 47 आरोपी थे जिनमें से 14 की मौत हो चुकी है और दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए.
इससे पूर्व अदालत ने शुक्रवार को बिहार के तत्कालीन महालेखा परीक्षक समेत महालेखाकार कार्यालय के तीन अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी इस मामले में मुक़दमा चलाने की लालू यादव की याचिका स्वीकार करते हुए तीनों को समन जारी किए थे.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने चारा घोटाले के दुमका कोषागार से तीन करोड़, 13 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले में पांच मार्च को सुनवाई पूरी की थी.
लालू यादव एवं अन्य के खिलाफ रांची में चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार से बड़ी राशि गबन के मामले में एक अन्य मामले में सुनवाई जारी है और उसमें भी अगले कुछ माह में फैसला आ सकता है.
इस बीच लालू यादव ने 23 दिसंबर को आए सीबीआई अदालत के फैसले के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय में अपील भी की थी जिसे 23 फरवरी को न्यायालय ने खारिज कर दिया.
अदालत ने कहा कि अभी इस मामले में हुई सज़ा की आधी अवधि भी लालू ने जेल में नहीं काटी है लिहाज़ा उन्हें ज़मानत नहीं दी जा सकती है.
इससे पहले 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हज़ार रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को बीते जनवरी महीने में रांची की सीबीआई अदालत साढ़े तीन वर्ष की क़ैद एवं दस लाख जुर्माने की सज़ा सुना चुकी है.
अदालत ने लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की क़ैद एवं बीस लाख रुपये के जुर्माने एवं बिहार के पूर्व मंत्री आरके राणा को साढ़े तीन वर्ष की क़ैद एवं दस लाख जुर्माने की सज़ा सुनाई थी.
इससे पहले साल 2013 के अक्टूबर महीने में चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद यादव और सहित 22 लोगों को सज़ा सुनाई गई थी. हालांकि लालू यादव ने इस फैसले के ख़िलाफ़ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी जिसके बाद उन्हें ज़मानत मिल गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)