अररिया उपचुनाव के बाद वायरल हुए कथित ‘देश विरोधी’ वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि के बिना उस पर सांप्रदायिकता भड़काने वाला कार्यक्रम करने के आरोप में एक पूर्व नौकरशाह ने ज़ी समूह के एक चैनल के ख़िलाफ़ न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी में शिकायत दर्ज करवाई है.
नई दिल्ली: अररिया उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद कुछ कथित राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थकों द्वारा देश-विरोधी नारे लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इस वीडियो में राजद सांसद सरफ़राज़ आलम की जीत का जश्न मना रहे कुछ लोग ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे हैं.
जैसा कि उम्मीद थी, इस वीडियो को समाचार चैनलों द्वारा भाजपा की उपचुनाव में हार पर चर्चा से बचने की उम्मीद और ‘ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों में हिंदू खतरे में हैं’ की कहानी बनाए रखने के लिए हाथों-हाथ लिया गया.
सरफराज आलम की जीत के बाद लगे थे पाक जिंदाबाद के नारे, FIR दर्ज
Live: https://t.co/fOz5QPkk43 #Khabardar pic.twitter.com/jiLt965hfd— AajTak (@aajtak) March 15, 2018
Moments after BJP loss in Araria, Bihar, locals were caught raising anti-India slogans. Ground report by Shyam pic.twitter.com/uizpqIL10J
— TIMES NOW (@TimesNow) March 16, 2018
Who are these chaps chanting 'Bharat Tere Tukde Honge' at Araria Bihar? Police have registered an FIR, must probe. What kind of a RJD victory chant is this? Identify, interrogate & punish these elements. Chants today could be something more sinister tomorrow. https://t.co/tgnPqct96D
— GAURAV C SAWANT (@gauravcsawant) March 15, 2018
हालांकि इस वीडियो में मौजूद लोगों के परिजनों और नेताओं द्वारा इस वीडियो की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया गया. पुलिस ने भी जांच पूरी हो जाने तक मीडिया को कयास न लगाने की सलाह दी.
इन लोगों के परिजनों का कहना है कि या तो ये नारे बैकग्राउंड में हैं या इन्हें ऊपर से डाला गया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार परिवारों द्वारा एक अन्य वीडियो भी प्रमाण के बतौर पर दिया गया है, जिसमें 3 व्यक्तियों को ‘कतनो करियो बाप बाप, लालटेन छाप’ कहते हुए सुना जा सकता है.
जहां समाचार चैनलों द्वारा इस वीडियो की विश्वसनीयता जांचने की कोशिश नहीं की गई, ऑल्ट न्यूज़ द्वारा इस वीडियो की जांच के बाद कई सवाल खड़े हुए.
16 मार्च को ज़ी समूह के समाचार चैनल ज़ी हिंदुस्तान ने ‘जीता मुसलमान… अब अररिया आतंकिस्तान’ नाम से एक चर्चा का प्रसारण किया. इस पूरे कार्यक्रम के दौरान न्यूज़ एंकर ने कई बार कहा कि चैनल इस वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता, लेकिन इस बात से पैनल में बैठकर तरह-तरह के कयास लगा रहे लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
हालांकि आश्चर्य इस बात का भी है कि बिना विश्वसनीयता के चैनल ने अररिया के ‘आतंकिस्तान’ बनने का निष्कर्ष कैसे निकाल लिया, जो शब्द उसने टैगलाइन के बतौर प्रयोग किया था?
इस वीडियो के वायरल होने से पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अररिया उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद कहा था, ‘…राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए राजद ने नई संस्कृति को जन्म दिया है… अररिया केवल सीमावर्ती जिला नहीं है, केवल बंगाल और नेपाल से जुड़ा नहीं है. एक कट्टरपंथी विचारधारा को उन्होंने जन्म दिया है, जो केवल बिहार के लिए खतरा नहीं होगा बल्कि आने वाले दिनों में देश के लिए खतरा होगा. वो आतंकवादियों का गढ़ बनेगा.’
सच्चर कमेटी के पूर्व नोडल ऑफिसर और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के 15 बिंदु कार्यक्रम के हिस्सा रहे आशीष जोशी ने एक दोस्त द्वारा न्यूज़ चैनल के इस कार्यक्रम का वीडियो स्क्रीनशॉट मिलने के बाद न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) में चैनल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई है.
एनबीएसए न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की एक स्व-नियामक (सेल्फ-रेगुलेटरी) शिकायत निवारण इकाई है, जो निजी टीवी समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करती है.
द वायर से बात करते हुए आशीष ने बताया, ‘मैं इस कार्यक्रम के कट्टर सांप्रदायिक कैप्शन को देखकर हैरान था. ये भारतीय संविधान के खिलाफ भी है. यह आईपीसी की कई धाराओं का स्पष्ट उल्लंघन है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक बेहद खतरनाक ट्रेंड है क्योंकि मीडिया खबरों और जानकारियों को लोगों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह लोगों को भ्रमित कर रहा है, साथ ही इससे समाज पर गलत असर हो रहा है. अल्पसंख्यकों पर हमलों के कितने ही मामले सामने आ चुके हैं.’
एनबीएसए के उनकी शिकायत पर लापरवाह रवैये से परेशान आशीष ने बताया, ‘एनबीएसए और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जैसी कानून लागू करने वाली संस्थाओं का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के सुस्त रवैये से दुख होता है. सच्चर कमेटी का नोडल अधिकारी और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के 15 बिंदु कार्यक्रम के हिस्सा रहे होने के कारण मुझे हमारे किए काम का ये हश्र देखकर मुझे और बुरा लगता है. किसी भी देश में सरकार के कामकाज में अल्पसंख्यकों का निष्पक्ष भरोसा सरकार के लिए इम्तिहान के जैसा होता है.’
Ashish Joshi-NBSA mails by The Wire on Scribd
वही समाचार वेबसाइट न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा संपर्क करने पर ज़ी समूह के प्रसन्ना राघव ने दावा किया कि चैनल ने एनबीएसए की गाइडलाइन्स का उल्लंघन नहीं किया. साथ ही उन्होंने इस वेबसाइट पर ‘मानहानि का केस करने’ की बात भी कही.
राघव ने कहा, ‘ज़ी मीडिया कंपनी लिमिटेड (ज़ेडएमसीएल) के सभी चैनल जिम्मेदार न्यूज़ चैनल हैं और इस उल्लिखित न्यूज़ रिपोर्ट के बारे में जैसा आरोप लगाया जा रहा है, एनबीएसए की गाइडलाइन्स का उल्लंघन नहीं है. बताई गई न्यूज़ रिपोर्ट सोशल मीडिया पर उपलब्ध एक वीडियो के आधार पर प्रसारित की गई थी. इसके अलावा, इस मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर ली गयी है, साथ ही संबंधित अधिकारी का बयान भी ले लिया गया है. इस वीडियो को बिहार पुलिस द्वारा एफएसएल जांच के लिए भी भेज दिया गया है. यहां मैं यह भी साफ कर दूं कि अगर न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा गलत या तोड़े-मरोड़े गए तथ्यों पर आधारित कोई रिपोर्ट की गई, तब ज़ेडएमसीएल न्यूज़लॉन्ड्री के ख़िलाफ़ उचित कानूनी कदम लेगा.’
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब ज़ी समूह पर सांप्रदायिक एजेंडा फ़ैलाने का आरोप लगा है. सितंबर 2017 में एनबीएसए ने ज़ी न्यूज़ पर एक लाख का ज़ुर्माना लगाते हुए शायर और वैज्ञानिक गौहर रज़ा से माफी मांगने के लिए कहा था.
मार्च 2016 में गौहर रज़ा ने 51वें वार्षिक शंकर-शाद मुशायरे में एक नज़्म पढ़ी थी, जिसमें सत्ता पर कुछ सवाल थे. इसके बाद ज़ी न्यूज़ ने ‘अफ़जल प्रेमी गैंग का मुशायरा’ शीर्षक से एक कार्यक्रम प्रसारित किया था जिसमें गौहर रज़ा को ‘देशद्रोही’ बताते हुए उन्हें संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु का समर्थक कहा था.
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