सूखे के चलते तमिलनाडु में पिछले चार महीने में 400 किसानों की मौत हो गई है. राज्य के किसान कर्ज माफी और सूखा राहत पैकेज की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
गौरतलब है कि तमिलनाडु के 170 से ज्यादा किसान केंद्र सरकार से राज्य के किसानों के लिए कर्ज माफी और सूखा राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
हमारी बात अभी अय्याकन्नु से चल ही रही थी कि प्रदर्शन कर रहे एक किसान रामालिंगा बेहोश होकर गिर जाते हैं. सारे किसान दौड़कर उनके मुंह पर पानी के छीटें मारते हैं और एंबुलेंस से अस्पताल भेजते हैं.
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कपड़ों के नाम पर सिर्फ धोती पहन रखी है और उस पर पत्ते बांध रखे हैं. वहीं, महिलाओं ने सिर्फ पेटीकोट पहन रखा है. कुछ पुरुषों के हाथ में आत्महत्या करने वाले किसानों के कंकाल हैं तो कुछ के हाथ में कटोरा है.
गौरतलब है कि जनवरी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसानों की लगातार मौत से चिंतित होकर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया था. द हिंदू अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार,’ मानवाधिकार आयोग ने तमिलनाडु में एक महीने में 106 किसानों की मौत की मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लेकर राज्य सरकार को नोटिस भेजा है.’
वहीं जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे किसान रामास्वामी कहते हैं, ‘यहां पर प्रदर्शन करने वाले किसानों के पास ज्यादा खेत नहीं है. ऐसे में मुआवजे की रकम इतनी थोड़ी है कि गुजारा मुश्किल है. मामले की गंभीरता को समझते हुए केंद्र सरकार को तत्काल राहत पैकेज भेजना चाहिए. इसके अलावा हमारी कुछ और मांगे भी हैं. जैसेकि तमिलनाडु को रेगिस्तान बनने से रोकना. कावेरी नदी को सूखने से रोकना. कावेरी नदी के लिए प्रबंधन समिति का गठन. मदुरै इंजीनियर एसी कामराज के स्मार्ट जलमार्ग परियोजना द्वारा सभी नदियों को जोड़ना और कृषि उत्पादों के लिए उचित और लाभदायक मूल्य का निर्धारण करना प्रमुख है.’
वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार ने केंद्र से सूखा राहत के लिए 39,565 करोड़ रुपये के पैकेज दिए जाने की मांग की है.