एनसीपी नेता ने बताया कि महाभियोग प्रस्ताव के लिए विपक्षी दलों के 20 नेता दस्तख़त कर चुके हैं.
केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सोच रहा विपक्ष देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के भी खिलाफ भी महाभियोग का प्रस्ताव लाने की सोच रहा है.
विपक्ष ने इसके लिए कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गयी है, लेकिन बताया जा रहा है कि विपक्षी दलों के सांसदों के हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और वामदल के कुछ नेता ने महाभियोग के प्रस्ताव पर दस्तखत कर चुके हैं.
राकंपा नेता माजिद मेमन ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा, ‘सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है.’
लेकिन यह पूछने पर कि कितने और नेताओं ने इस पर दस्तखत किए हैं, उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि ये सवाल कांग्रेस से किया जाना चाहिए.
एनडीटीवी के अनुसार 20 सांसद अब तक इस प्रस्ताव पर साइन कर चुके हैं, जिसमें कांग्रेस के गुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल और अहमद पटेल समेत एनसीपी के 5 सांसद हैं.
समाजवादी पार्टी भी महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन कर रही है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सपा नेता घनश्याम तिवारी ने कहा, ‘न्यायपालिका में स्वतंत्रता और निष्ठा लाने के लिए सपा इस महाभियोग प्रस्ताव के साथ है.’
SP stands with impeachment motion which is about bringing independence & unquestionable integrity to the judiciary: Ghanshyam Tiwari, SP on reports of a draft proposal for moving an impeachment motion against CJI Dipak Misra pic.twitter.com/JhWjU3Q4W6
— ANI (@ANI) March 28, 2018
राकंपा के अन्य सांसद डीपी त्रिपाठी ने बताया, ‘मैंने हस्ताक्षर किए हैं. दूसरे भी हस्ताक्षर कर रहे हैं और यह सिलसिला चल रहा है.’
उन्होंने यह भी बताया कि (सीजेआई के खिलाफ) केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं हैं, बल्कि आरोप ‘बेहद गंभीर हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के उस पत्र से भी यह प्रकट होता है, जो उन्होंने जनवरी महीने में लिखकर कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा है.
नियम के मुताबिक सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए लोकसभा में 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है.
सूत्रों ने बताया कि विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से मंगलवार को मुलाकात करके मुद्दे पर चर्चा की. हालांकि आजाद के कार्यालय से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी कि ऐसी कोई बैठक वहां हुई थी.
दैनिक जागरण के अनुसार इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट वकील प्रशांत भूषण ने तैयार किया. बताया जा रहा है कि मंगलवार को ममता बनर्जी ने कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं के अलावा भूषण से मुलाकात कर इस मसले पर चर्चा की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)