उत्तर प्रदेश: बदलेगा बाबा साहेब आंबेडकर का नाम, जोड़ा जाएगा पिता का नाम ‘रामजी’ भी

प्रमुख सचिव द्वारा जारी निर्देश में दर्ज है कि संविधान की आठवीं सूची में डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम 'डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर' लिखा हुआ है. राज्य सरकार के समस्त अभिलेखों में अब उनका सही नाम दर्ज होगा.

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प्रमुख सचिव द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि संविधान की आठवीं सूची में डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ लिखा हुआ है. राज्य सरकार के समस्त अभिलेखों में अब उनका सही नाम दर्ज होगा.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का नाम बदले जाने की तैयारी है.

डॉ. आंबेडकर के नाम के साथ अब उनके पिता का भी नाम जोड़ा जाएगा. उनके पिता का नाम ‘रामजी मालोजी सकपाल’ था. अब आंबेडकर के नाम में आधिकारिक रूप से उनके पिता के नाम में से ‘रामजी’ शब्द जोड़े जाने की तैयारी है.

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यपाल राम नाइक की सलाह के बाद योगी सरकार ने ये फैसला लिया है. अब बाबा साहेब का नाम डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर होगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने बुधवार को सभी विभागों और लखनऊ व इलाहाबाद की हाईकोर्ट बेंचों को अपने दस्तावेजों और रिकॉर्ड में डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रयोग को डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के साथ स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जैसा कि संविधान के पृष्ठों पर उन्होंने हस्ताक्षर किया था.

वहीं, अंग्रेजी में अंबेडकर (Ambedkar) नाम की स्पेलिंग में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन हिंदी में बदलाव होगा उनका नाम ‘आंबेडकर’ पुकारा जाएगा.

बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर महासभा के निदेशक डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा, ‘इस अभियान की शुरुआत राज्यपाल राम नाइक द्वारा दिसंबर 2017 में की गई थी, उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महासभा को पत्र लिखकर अंबेडकर की प्रचलित गलत वर्तनी पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया था.’

उन्होंने कहा, ‘मुख्य बिंदु यह है कि नाम को किस तरह पुकारा जाता है. हालांकि, नाम की अंग्रेजी स्पेलिंग सही है, स्पेलिंग को पुकारे जाने के लिए हिंदी में बदले जाने की जरूरत है. रामजी उनके पिता का नाम था. महाराष्ट्र के प्रचलन के अनुसार, पिता का नाम बेटे के नाम के बीच में प्रयोग किया जाता है.’

UP Gov Letter Ambedkar
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव द्वारा जारी किया गया आदेश पत्र

प्रमुख सचिव (सामान्य प्रशासन) जितेन्द्र कुमार ने प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों को बुधवार को जारी शासनादेश में कहा है कि संविधान की आठवीं अनुसूची (अनुच्छेद 344(1) और-351) भाषाएं में अंकित नाम का संज्ञान लेते हुए शासन ने विचार के बाद उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित सभी दस्तावेजों में अंकित ‘डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर’ का नाम संशोधित करके ‘डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर’ करने का निर्णय लिया है.

शासनादेश में सम्बन्धित सभी अधिकारियों से अपने-अपने विभाग के अभिलेखों में ‘अम्बेडकर’ का नाम संशोधित करके भीमराव रामजी आंबेडकर करने के निर्देश दिये गये हैं.

शासनादेश की प्रति राज्यपाल राम नाईक के प्रमुख सचिव, सभी मण्डलायुक्तों और सभी जिलाधिकारियों को भी भेजी गई है.

मालूम हो कि राज्यपाल नाइक पूर्व में भी ‘अम्बेडकर’ के स्थान पर ‘आंबेडकर’ लिखने की यह कहते हुए वकालत कर चुके हैं कि इस महापुरुष ने संविधान के दस्तावेज पर जो हस्ताक्षर किये थे उसमें अम्बेडकर के बजाय आंबेडकर ही लिखा था.

आज तक के अनुसार, इस फैसले पर भाजपा सांसद उदित राज ने आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अांबेडकर के नाम के बीच में रामजी लिखे जाने से अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है. जिससे दलित भी नाराज हैं. उदित राज का कहना है कि इसका प्रतिकूल असर पड़ता दिख रहा है और सुबह से ही लगातार चल रहा है कि नाम क्यों बदला गया है?

बहरहाल, राज्य सरकार के इस कदम की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है.

समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अनुराग भदौरिया ने सरकार पर आंबेडकर के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि वह दलित मतदाताओं को लुभाने के लिये ऐसा कर रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि भाजपा सिर्फ नामों का अनुसरण करती है, उस व्यक्ति के काम का अनुसरण नहीं करती. सिर्फ नाम पर काम करना चाहते हैं. बेहतर है कि भाजपा संविधान को बचाने और उसे मजबूत करने का काम करे. संविधान को कमजोर करके आंबेडकर की शोहरत नहीं हो सकती.

इस बीच, राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि लोगों को देखना चाहिये संविधान की आठवीं अनुसूची में बाबा साहेब ने किस तरह अपने हस्ताक्षर किये हैं. जो जिसका सही नाम है, उस सही नाम से ही लिखा करें. बस, इतना ही भाजपा ने किया है.

सिंह ने कहा कि जो लोग उनके सिद्धान्तों के दिखावे का छल करते हैं, वे उनका सही नाम ले ही नहीं पा रहे थे. आज वह सही तरीके से बुलाया जा रहा है. कम से कम जो सही किया गया है उसकी सराहना करें. राज्यपाल ने पूर्ववर्ती सपा सरकार को भी आंबेडकर का नाम ठीक लिखने का सुझाव दिया था. उस सरकार ने यह सुझाव क्यों नहीं माना.

उन्होंने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र में पिता का नाम बीच में लिखा जाता है. इसमें भी अगर विपक्ष को अयोध्या दिखता है तो इससे पता लगता है कि उसकी राजनीति कितनी गिर चुकी है. हमें खुशी है कि हमने आंबेडकर का सही नाम लिखा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)