एससी/एसटी एक्ट पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल की पुनर्विचार याचिका

क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'मोदी सरकार दलितों के समर्थन में है. हमने एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका लगाई है, उसे सरकार के वरिष्ठ वकीलों द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा.'

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(फोटो: पीटीआई)

क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘मोदी सरकार दलितों के समर्थन में है. हमने एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका लगाई है, उसे सरकार के वरिष्ठ वकीलों द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा.’

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सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एससी/एसटी एक्‍ट के संबंध में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ सोमवार को केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं थी. इसलिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है.

एनडीटीवी के अनुसार, प्रसाद ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार और एनडीए सरकार दलितों के समर्थन में हैं. उन्‍होंने कहा कि आज कांग्रेस सरकार से सवाल कर रही है और हल्‍ला बोल रही है. उसी कांग्रेस ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के मरने के इतने साल बाद भारत रत्‍न दिया. उन्‍होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की 1956 में मृत्‍यु हो गई थी लेकिन वी पी सिंह की सरकार ने उन्‍हें 1989 में भारत रत्‍न दिया.’

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सबसे अधिक दलित विधायक और सांसद भाजपा के हैं. देश के प्रतिष्ठित नेता को राष्‍ट्रपति भी भाजपा की मोदी सरकार ने ही बनाया है.

सरकार ने पुनर्विचार याचिका में कहा है कि एससी-एसटी के कथित उत्पीड़न को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस कानून को कमजोर करेगा.

एएनआई के अनुसार, रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘मैं बताना चाहूंगा कि आज हमने एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले पर एक याचिका दायर की है. हमने जो व्यापक समीक्षा याचिका लगाई है उसे सरकार के वरिष्ठ वकीलों के द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा.’

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री राजना सिंह ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल कर चुके हैं. मैं सभी राजनीतिक दलों और समूहों से अपील करता हूं कि वे शांति बनाए रखें और हिंसा को बढ़ावा न दें.

गौरलतब है कि एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और समूहों ने शीर्ष अदालत के फैसले का विरोध करने के लिए 2 अप्रैल सोमवार को भारत बंद का ऐलान किया था.

इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा की खबरें आ रहे हैं. मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में कर्फ्यू लगाना पड़ा तो मुरैना में प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की है. वहीं, राजस्थान से खबर है कि दलित समूहों और करणी सेना के बीच हुई झड़प में पच्चीस लोग घायल हो गए.

उत्तर प्रदेश के मेरठ और हापुड़ में भी हिंसक प्रदर्शन हुआ है, वहीं पंजाब से भी हिंसा की खबरें हैं.