आरोप है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके एनजीओ सबरंग ने 2010 और 2013 के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 1.4 करोड़ रुपये की राशि पाने के लिए धोखाधड़ी की.
अहमदाबाद: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के ख़िलाफ़ अपने एनजीओ ‘सबरंग’ के लिए 2010 और 2013 के बीच कथित रूप से धोखाधड़ी कर 1.4 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता हासिल करने का मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने बताया कि अहमदाबाद अपराध शाखा ने शुक्रवार रात सीतलवाड़ और ‘सबरंग’ ट्रस्टियों के ख़िलाफ़ सीतलवाड़ के एक पूर्व सहयोगी रईस ख़ान पठान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर एक मामला दर्ज किया.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राजदीप सिंह ज़ाला ने कहा, ‘हमें एक शिकायत मिली थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीतलवाड़ और उनके एनजीओ के ट्रस्टी ने 2010 और 2013 के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 1.4 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त करने में धोखाधड़ी की. उसके आधार पर हमने सीतलवाड़ और उनके एनजीओ के ख़िलाफ़ एक प्राथमिकी दर्ज की.’
शिकायतकर्ता के अनुसार, सीतलवाड़ के एनजीओ को शैक्षिक उद्देश्यों के लिए अनुदान दिया गया था. एनजीओ ने ऐसे मुद्रित सामग्री वितरित की जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता था.
आरोपियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 403 (संपत्ति का गबन करना), 406 और 409 (लोकसेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन) तथा भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि शुरुआती तौर पर सीतलवाड़ के ख़िलाफ़ धर्म के आधार पर घृणा फैलाने और आईपीसी की धारा 153ए और 153बी के तहत केस बनता है, जिसके बाद अपराध शाखा ने यह केस दर्ज किया है.
सूत्रों ने कहा है कि अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के उपसचिव से संपर्क कर शिकायत को लेकर बिंदुवार जवाब देने को कहा था.
पठान ने पिछले साल नंवबर में तीस्ता सीतलवाड़ उनके पति जावेद आनंद, सबरंग ट्रस्ट के अधिकारियों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के ख़िलाफ़ अहमदाबाद अपराध शाखा से शिकायत की थी.
पठान ने आरोप लगाया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी फंड का इस्तेमाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सबरंग ट्रस्ट की ‘खोज’ परियोजना के तहत महाराष्ट्र में और पीस बिल्डिंग एंड कनफ्लिक्ट रिज़ोल्यूशन परियोजना के तहत गुजरात में इस्तेमाल किया गया था.
उनके अनुसार, यह परियोजना तीस्ता के एनजीओ की ओर से महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ ज़िलों में शुरू की गई थी.
पठान ने दावा किया था कि मामले की जांच कर रही समिति जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिजीत भट्टाचार्य, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एसए बारी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी गया प्रसाद शामिल हैं, ने इस बात की पुष्टि की थी कि उस समय मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के साथ सबरंग ट्रस्ट के ट्रस्टियों की मिलीभगत से सर्व शिक्षा अभियान के तहत अवैध रूप से फंड जारी किया गया था.
अपनी शिकायत में पठान ने कहा है, ‘इस फंड का एक बड़ा हिस्सा सबरंग ट्रस्ट से सिटिजेंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) और तीस्ता के एक दूसरे एनजीओ को चंदे के रूप में दिया गया, जिसे गुजरात के आॅफिस कर्मचारियों की तनख़्वाह, गुजरात दंगा पीड़ितों से मिलने में, वकीलों की फीस और गुजरात सरकार के ख़िलाफ़ विभिन्न अभियान चलाने में ख़र्च किया गया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)