कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर 14 करोड़ रुपये बतौर मुआवज़ा देने की मांग की है. उन्होंने यह रकम मानसिक रूप से प्रताड़ित और अपमान सहने के लिए मांगी है.
जस्टिस कर्णन ने यह पत्र चीफ जस्टिस जेएस खेहर के अलावा सुप्रीम कोर्ट के अन्य छह न्यायाधीशों को पत्र लिखा है.
जस्टिस कर्णन के ख़िलाफ़ पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवमानना करने के मामले में उनके नाम वारंट जारी किया गया था. यह वारंट सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले में पेश न होने की वजह से निकाला गया था.
इससे पहले जस्टिस कर्णन ने मीडिया को यह बयान भी दे चुके हैं कि उनके दलित होने के नाते उनके साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है.
बहरहाल विवाद तब शुरू हुआ जब जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मद्रास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के 20 न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मामले की जांच करवाने की मांग की थी.
इसके बाद आठ फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कर्णन को कारण बताओ नोटिस भेजा जिसमें पूछा गया कि उनके इस कदम को कोर्ट की अवमानना क्यों न मानी जाए?
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 31 मार्च तक अदालत में पेश होने के लिए कहा पर जस्टिस कर्णन ने साफ़ कह दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हो सकते.
उन्होंने अपने ख़िलाफ़ जारी वारंट को असंवैधानिक बताया है और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास एक कार्यरत न्यायाधीश के ख़िलाफ़ ज़मानती वारंट जारी करने का कोई अधिकार नहीं है.
जस्टिस कर्णन ने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखकर अपने ख़िलाफ़ जारी वारंट को रद्द करने की भी मांग की है. न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ इस तरह का वारंट जारी किया गया है.
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा संसद राम जेठमलानी ने एक खुले पत्र में जस्टिस कर्णन की आलोचना की है. उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि जस्टिस कर्णन अपना दिमागी संतुलन खो चुके हैं.