नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने रिपोर्ट में आशंका जताई है कि दिल्ली में एफसीआई गोदामों से राशन का वितरण हुआ ही नहीं और अनाज चोरी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है.
नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राजधानी दिल्ली में राशन के संबंध में बड़ी गड़बड़ी होने का खुलासा किया है.
मंगलवार को दिल्ली विधानसभा सदन के पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के चारा घोटाले की तरह दिल्ली में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से बाइक और टेंपो पर अनाज ढोया गया है.
इतना ही नहीं एफसीआई के गोदाम से राशन वितरण केंद्रों पर 1589 क्विंटल राशन की ढुलाई के लिए आठ ऐसे वाहनों का इस्तेमाल किया गया, जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर टेंपो, बस और स्कूटर-बाइक का था.
रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि इन गाड़ियों ने इतनी बड़ी मात्रा में अनाज की ढुलाई नहीं हो सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 में राशन ढोने के लिए जिन 207 गाड़ियों को इस्तेमाल किया गया, उनमें से 42 वाहनों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं है.
इस आधार पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने रिपोर्ट में आशंका जताई है कि एफसीआई गोदामों से राशन का वितरण हुआ ही नहीं और अनाज चोरी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है.
बहरहाल कैग के इस खुलासे से दिल्ली की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.
Exemplary action will be taken against the guilty in each case of corruption or irregularity pointed by CAG. No one will be spared.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 3, 2018
इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि राशन माफिया को बचा रहे हैं.
उधर, पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने इस संबंध में दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘चार लाख फ़र्ज़ी राशन कार्ड से 150 करोड़ रुपये प्रति माह का राशन एडजस्ट करने की कोशिश हुई है.’ साथ ही बताया कि फरवरी में चार लाख़ फ़र्ज़ी कार्ड पकड़े गए हैं.
केजरीवाल का राशन डिलीवरी घोटाला
A. नकली गाड़ियों से राशन उठाया
B. 4 लाख नकली कार्डो से एडजस्ट किया
C. 150 करोड़ महीना
D. तीन साल में 150X12x3= ₹5400 करोड़Watch this – pic.twitter.com/rrkNLdQVOP
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) April 4, 2018
बहरहाल सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ऐसे मामलों को सीबीआई जांच के लिए भेजने पर विचार कर रही है.
मालूम हो कि यह सब ऐसे समय हुआ है जब आप सरकार और नौकरशाहों के बीच मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर फरवरी में मुख्यमंत्री के निवास पर आप विधायकों द्वारा कथित रूप से हमला किए जाने के बाद से टकराव की स्थिति बनी हुई है.
केजरीवाल ने बीते मंगलवार को ट्वीट किया, ‘कैग द्वारा उजागर भ्रष्टाचार या अनियमितता के हर मामले में दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.’
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कैग रिपोर्ट में अब तक 50 मामलों की पहचान की है तथा सीबीआई जांच के लिए भेजे जाने वाले ऐसे और मामलों के लिए रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है.
उपराज्यपाल राशन माफिया को बचा रहे हैं: केजरीवाल
सार्वजनिक विरतण प्रणाली की ‘ख़ामियां’ उजागर करने वाली कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए केजरीवाल ने यहां लोगों के घरों तक राशन की आपूर्ति के आप सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल पर हमला बोला और उन पर दिल्ली में राशन ‘माफिया’ को बचाने का आरोप लगाया.
Extract from CAG report. This is what LG trying to protect when he rejects Doorstep delivery of rations. Entire ration system in grip of mafia protected by political masters. Doorstep delivery wud hv destroyed this mafia. pic.twitter.com/ZytNFgc0XF
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 3, 2018
दिल्ली विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश करने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी नगर निगम की सड़कों और सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़ी रिपोर्ट के निष्कर्ष को लेकर बैजल और नौकरशाहों पर हमला किया.
विभिन्न खामियों के संबंध में कैग की रिपोर्ट के अंश का हवाला देते हुए केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘जब वह लोगों के घरों तक राशन आपूर्ति को खारिज करते हैं, तो यह वही है, जिसे उपराज्यपाल बचाने की कोशिश करते हैं. पूरी राशन प्रणाली माफिया की जकड़ में है, जिसे राजनीतिक मास्टरों का संरक्षण प्राप्त है.’
उधर, सिसोदिया ने कहा, ‘कैग रिपोर्ट ने हमें इस व्यवस्था की कठोरताओं की पहचान करने में मदद की है. हम कमियों को दूर करेंगे तथा जो लोग ज़िम्मेदार हैं, चाहे मंत्री हों या अधिकारी, उनके विरुद्ध कार्रवाई करेंगे.’
स्वच्छ भारत मिशन के तहत दिल्ली में एक भी शौचालय नहीं बना: कैग
कैग की रिपोर्ट में मंगलवार कहा गया है कि साढ़े तीन साल पहले स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत होने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है और इस उद्देश्य के लिए निर्धारित 40.31 करोड़ रुपये का कोष बेकार पड़ा है.
दिल्ली विधानसभा में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी नीत दिल्ली सरकार ने कार्यान्वयन एजेंसियों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक मिशन का कोष आवंटित नहीं किया.
इसमें कहा गया है कि दिल्ली की तीनों नगर निगम, दिल्ली शहर आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) समेत कार्यान्वयन एजेंसियों को राज्य का हिस्सा 10.08 करोड़ रुपये सहित 40.31 करोड़ रुपये प्राप्त हुए लेकिन मार्च 2017 तक इस पैसे का इस्तेमाल नहीं किया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीएमसी, एसडीएमसी और डीसीबी घरेलू शौचालयों की ज़रूरत का आकलन नहीं कर पाई लेकिन घरेलू शौचालयों के निर्माण के लिए उन्हें 16.92 करोड़ रुपये जारी किए गए.
इसने कहा कि शहर में झुग्गी झोपड़ी और जेजे क्लस्टर को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए ज़िम्मेदार एजेंसी डीयूएसआईबी को दिल्ली सरकार से राज्य सरकार का हिस्सा नहीं मिला.
रिपोर्ट के मुताबिक, डीयूएसआईबी को (जनवरी 2016 तक) 6.86 करोड़ रुपये मिले जिसमें राज्य का 1.71 करोड़ रुपये (कुल लागत का 25 फीसदी) का हिस्सा भी शामिल था, जबकि उसे 41.49 करोड़ रुपये की ज़रूरत थी.
दिल्ली सीवर बिछाने के काम में 10 साल की देरी: कैग
कैग रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में 10.85 करोड़ रुपये के ख़र्च के बावजूद यथोचित परिश्रम की कमी और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से समयसीमा का पालन नहीं करने की वजह से शहर में सीवर लाइन बिछाने में देरी हुई.
रिपोर्ट में सीवर के काम की योजना बनाने में दिल्ली जल बोर्ड की चूक को लेकर भी उसे फटकारा गया है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यथोचित परिश्रम और समय सीमा का पालन नहीं करने तथा तदर्थ योजना और प्रबंधन में चूक की वजह से सीवर लाइन बिछाने का जो काम सितंबर 2007 में पूरा हो जाना था वह 30 जून2017 तक प्रगति पर था.
इसमें कहा गया है कि ऐसे पांच स्थल है जहां सड़क खोदने के लिए अनुमति की ज़रूरत थी लेकिन बोर्ड ने चार स्थलों के लिए इज़ाज़त ली.
कैग ने 534 करोड़ रुपये के ग़ैर-ज़रूरी ख़र्च को लेकर एफसीआई की खिंचाई की
कैग ने 534 करोड़ रुपये के ग़ैर-ज़रूरी ख़र्च को लेकर एफसीआई की खिंचाई की है. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने यह राशि जूट की बोरियां खरीदने और खाद्यान के परिवहन में खर्च की.
कैग ने पंजाब में बोरियों के प्रबंधन में अनियमितता और पूर्वोत्तर राज्यों में भंडार के एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में समुचित योजना का अभाव पाया.
आॅडिटर ने लोकसभा में मंगलवार को पेश अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है, ‘एफसीआई के कामकाज के संदर्भ में अनुपालन आॅडिट में पाया गया कि निगम ने 534.04 करोड़ रुपये ग़ैर-ज़रूरी ख़र्च किए गए. यह ख़र्च निर्देशों का अनुपालन नहीं करने तथा बोरियों की ख़रीद तथा अनाज के परिवहन में कुशल योजना की कमी का नतीजा है.’
बोरियों के प्रबंधन के संदर्भ में कैग ने कहा कि एफसीआई के पंजाब क्षेत्र ने 2012-13 से 2016-17 के दौरान 1,147.53 करोड़ रुपये मूल्य के 25.87 करोड़ जूट की बोरियां ख़रीदी.
आॅडिट में कैग ने पाया कि एफसीआई राज्य सरकार की एजेंसियों को बोरियां ख़रीद के लिए दी गयी अग्रिम राशि पर 223.58 करोड़ रुपये का ब्याज वसूलने में नाकाम रहा. साथ ही बोरियों के लिए निर्धारित कीमत से अधिक भुगतान किया गया.
कैग पंजाब के चार ज़िलों के मार्च 2017 को समाप्त पांच साल के खातों की जांच की.
राज्य में कुल ख़रीद में इन चारों राज्यों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत है. आॅडिट का मक़सद यह पता लगाना था कि क्या मांग और ख़रीद वास्तविक ज़रूरतों के मुताबिक थे.
एफसीआई 2.86 करोड़ रुपये कंटेनर कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया से भी वसूल नहीं पाया. वह ख़राब, छोटे आकार के तथा बारिश से प्रभावित बोरियों के संदर्भ में लंबित दावों के लिए उपयुक्त क़दम उठाने में विफल रहा.
इसके अलावा आॅडिटर ने पाया कि एफसीआई ने बैंक गारंटी के मुद्दे का सत्यापन राज्य सरकार से नहीं किया. इससे गारंटी फी के रूप में 145.74 करोड़ रुपये की राशि का ‘रिम्बर्समेंट’ अनियमित तौर पर हुआ.
असम तथा एनईएफ शिलांग क्षेत्र में खाद्यान्न के परिवहन के आॅडिट में कैग ने पाया कि एफसीआई को 117.10 करोड़ रुपये का ग़ैर-ज़रूरी ख़र्च किया. एनईएफ शिलांग क्षेत्र में मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)