ईवीएम की विश्वसनीयता पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने जताया भरोसा

कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने के बीच निर्वाचन आयोग के पूर्व प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया है कि मशीनों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती.

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कुछ राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने के बीच निर्वाचन आयोग के पूर्व प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया है कि मशीनों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एमएस गिल, वीएस संपत और एचएस ब्रह्म ने कहा कि मशीनें विश्वसनीय हैं. इनसे छेड़छाड़ नहीं हो सकती और राजनीतिक दलों को चुनाव हारने पर इनकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाने चाहिए.

उधर, बीते गुरुवार को निर्वाचन आयोग ने भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ होने के आरोपों को निराधार और अजीब करार देते हुए कड़ा बयान देकर ख़ारिज कर दिया था.

नवंबर 1998 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल पर जोर देने वाले गिल ने कहा, ‘लोगों को ईवीएम पर भरोसा है. दुर्भाग्य की बात है कि कुछ राजनीतिक दल इस भरोसे को नष्ट कर रहे हैं. हारने वाले दलों को अपनी हार की नाखुशी ईवीएम पर नहीं उतारनी चाहिए.’

उन्होंने कहा कि ये मशीनें पिछले 19 वर्षों से देश की लोकतांत्रिक प्रणाली की अपेक्षाओं पर खरी उतरी है.

गिल ने कहा, इन मशीनों ने भारत को एक शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रणाली दी है. मतपत्रों के दिनों को याद कीजिए और उस समय लगाए गए आरोपों को याद कीजिए.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मशीनों का इस्तेमाल किया गया था. 13 लाख मशीनें और 75 करोड़ मतदाता, लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं हुई.

उन्होंने कहा कि जे. जयललिता ने मद्रास हाईकोर्ट में ईवीएम के इस्तेमाल को चुनौती दी थी और बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी इसमें एक पक्ष बने थे. ईवीएम के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ इस मामले और कई अन्य मामलों को अदालतों ने ख़ारिज किया है.

इससे पहले पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी भी कह चुके हैं कि पारदर्शी चुनाव करवाने के लिए ईवीएम से बेहतर विकल्प नहीं.

उनका कहना था कि दुनिया के कई देशों के चुनावों में भारत की ईवीएम का उपयोग किया जाता है. कहीं से किसी भी तरह की शिकायत नहीं आई है.

उनके अनुसार, ईवीएम में गड़बड़ी करने की गुंजाइश होती तो फिर न उत्तर प्रदेश में सपा की हार होती, न उत्तराखंड में कांग्रेस की और न ही पंजाब में अकाली व भाजपा गठबंधन की. जिस पार्टी की जहां सरकार है, उसी सरकार के अधीन काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी ही तो चुनाव में भूमिका निभाते हैं. यदि गड़बड़ी करने की गुंजाइश रहे तो फिर कोई सत्तासीन पार्टी चुनाव नहीं हारेगी.

एक अन्य पूर्व सीईसी वीएस संपत ने कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर आपत्तियां नई नहीं हैं. वे (नेता) मन ही मन जानते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा, हारने वाले दल यह मामला उठाते हैं. जब तक मशीनों की सुरक्षा निर्वाचन आयोग के हाथ में है, इनसे छेड़छाड़ नहीं हो सकती. चुनाव से पहले उम्मीदवार या उनके एजेंट इनकी जांच करते हैं.

संपत ने कहा, चुनाव के बाद वे ईवीएम (कंटेनर) पर अपनी ख़ुद की सील लगा सकते हैं. इसके बाद इसे सशस्त्र गार्ड की पहरेदारी में सुरक्षित कक्ष में रखा जाता है. आप इनके साथ तब तक कुछ नहीं कर सकते, जब तक ये निगरानी में हैं.

निर्वाचन सदन में संपत के बाद कार्यभार संभालने वाले एचएस ब्रह्म ने कहा कि ईवीएम की विश्वसनीयता की 100 प्रतिशत गारंटी है. उन्होंने कहा, इन मशीनों ने अपनी उपयोगिता साबित की है. आप इनकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठा सकते.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)