मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत पर साल 2009 में आदिम जाति कल्याण विभाग का प्रमुख सचिव रहते हुए अपात्र लोगों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ देने का आरोप लगा था.
मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के ख़िलाफ़ नौ साल पुरानी शिकायत की जांच राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा बंद कर दिए जाने का मामला सामने आया है.
मध्य प्रदेश के कार्मिक विभाग की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के ख़िलाफ़ जांच बंद किए की वजह उनका रिटायर होना और शिकायतकर्ता का नाम-पता पूरा न होना, बताई गई है.
राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2009 के मई महीने में यह शिकायत राज्य के सिवनी ज़िले में ‘अजाक्स संगठन के सदस्य ब्राह्मणे’ के नाम से मुख्य सचिव से की गई थी.
शिकायत में ओपी रावत और उनके अधीनस्त अधिकारी सुरेंद्र सिंह भंडारी पर आरोप लगाए गए थे. मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे रावत उस वक़्त आदिम कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव थे.
शिकायत में इस पद पर रहते हुए अपात्र लोगों को अनुसूचित जाति का ग़लत तरीके से फ़ायदा पहुंचाने का आरोप ओपी रावत पर लगाया गया था.
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, शिकायत में कहा गया था कि 14 सितंबर 2008 को बघेल और बागड़ी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करने का फैसला हुआ था लेकिन ओपी रावत ने आदेश जारी नहीं किए और इन जातियों को आरक्षित वर्ग का फायदा मिलता रहा.
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले से मध्य प्रदेश के रीवा और पन्ना आए कुम्हार प्रजापति समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति का लाभ दे दिया गया जो कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन था.
बहरहाल मुख्य चुनाव आयुक्त के ख़िलाफ़ शिकायत की जांच बंद करने का प्रस्ताव मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के दिन यानी बीते 24 फरवरी को दिया गया था.
कार्मिक विभाग ने प्रस्ताव को मुख्य सचिव बीपी सिंह को भेजा, जिन्होंने इस प्रस्ताव पर सहमति की मुहर लगा दी, जिसके बाद बीते एक मार्च को मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के ख़िलाफ़ जांच बंद की दी गई.
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, कार्मिक विभाग ने रावत के ख़िलाफ़ शिकायत के निस्तारण के संबंध में उनकी सेवानिवृत्ति को आधार बनाया है. विभाग की ओर से कहा गया है कि रावत 31 दिसंबर 2013 को आदिम कल्याण विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ऐसे में पेशन नियमों के तहत उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
विभाग की ओर से यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने अपना पूरा नाम और पता नहीं लिखा है, इसलिए शिकायत पर संज्ञान लेना उचित नहीं है.
इस संबंध में राजस्थान पत्रिका से बात करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा है, ‘इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है कि मेरे ख़िलाफ़ कोई शिकायत की गई थी. जब शिकायत के बारे में जानकारी नहीं है तो जांच बंद होने पर कैसे कहूं.’
मालूम हो कि मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग काफी सख़्त नज़र आया था. चुनाव प्रचार के दौरान आयोग ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संभलकर बोलने की नसीहत दी थी.
इसके अलावा मतदाताओं को धमकी देने का दोषी मानते हुए आयोग ने वरिष्ठ भाजपा नेत्री यशोधरा राजे को भी चेतावनी दी थी. मंत्री माया सिंह को नोटिस जारी करने के अलावा अशोकनगर कलेक्टर को हटा दिया गया था. हालांकि इन दोनों ही सीटों पर भाजपा को हार का सामना पड़ा था.