सुप्रीम कोर्ट में मामले की सीबीआई जांच और पीड़िता को मुआवजा देने की मांग संबंधी याचिका दायर की गई है.
लखनऊ: उन्नाव में भाजपा विधायक द्वारा लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किए जाने और उक्त युवती के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के प्रकरण की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने मंगलवार को कहा, ‘एसआईटी इस घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करेगी.’
उधर बलात्कार के आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर को मंगलवार सुबह उन्नाव में गिरफ्तार कर लिया गया है. अतुल पर कथित बलात्कार पीड़ित युवती के पिता के साथ मारपीट का आरोप है.
राज्य पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर अपराध शाखा के एक दल ने अतुल को गिरफ्तार किया. 18 वर्षीय पीड़िता का आरोप है कि उसके साथ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाइयों ने बलात्कार किया है.
हालांकि, भाजपा विधायक ने आरोपों से इंकार करते हुए इसे विरोधियों की साजिश बताया.
अपर पुलिस महानिदेशक ने यह भी कहा कि इस प्रकरण में अभी तक किसी को क्लीन चिट नहीं दी गयी है. पीड़िता के पिता की सोमवार को उन्नाव में हिरासत में मौत हो गई. लड़की का आरोप है कि विधायक के इशारे पर उसके पिता की जेल में हत्या की गई है.
कुमार ने बताया कि एसआईटी का नेतृत्व अपर पुलिस महानिदेशक (लखनऊ जोन) करेंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक (अपराध शाखा) एसआईटी के सदस्य होंगे. एसआईटी मामले के विविध पहलुओं की जांच करेगी, जिसके बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
उन्नाव के मुख्य चिकित्साधिकारी एसपी चौधरी ने बताया कि पीड़िता के पिता की मौत संभवत: सदमे और सेप्टीसीमिया की वजह से हुई. इस सवाल पर कि क्या मृतक को यातना दिया जाना मौत का कारण है, कुमार ने कहा कि यह सब कैसे हुआ और कहां हुआ, यह न्यायिक जांच का विषय है.
उन्नाव की पुलिस अधीक्षक पुष्पांजलि देवी के मुताबिक लड़की के पिता को आठ अप्रैल को जिला जेल से अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान सोमवार को उनकी मौत हो गई.
पप्पू की पिटाई के प्रकरण में चार अप्रैल को दर्ज प्राथमिकी में चार लोग नामजद हैं. पुलिस इन चारों सोनू, बउवा, विनीत और शैलू को गिरफ्तार कर चुकी है. शिकायत लड़की की मां ने दर्ज करायी थी.
बलात्कार पीड़िता के पिता को पांच अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. पिता की विधायक के भाई ने कथित तौर पर पिटाई की थी. माखी थाना प्रभारी अशोक कुमार सिंह और पांच अन्य पुलिसकर्मियों को अब तक निलंबित किया जा चुका है.
दरअसल ये मामला उस समय प्रकाश में आया जब पीड़िता ने अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी. इसी बीच पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई.
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
एनडीटी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है. यह याचिका वकील एमएल शर्मा ने दाखिल की है. याचिका में मांग की गई है कि पीड़ित को मुआवजा दिया जाए साथ ही पीड़ित और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
याचिका में कहा गया कि आरोप सत्ताधारी पार्टी के विधायक और लगाया गया है इसलिए पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करेगी. याचिका में कहा गया है कि पीड़ित के पिता की मौत पुलिस टॉर्चर से हुई है इसलिए मामले की जांच सीबीआई से जांच कराई जाए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)