गुजरात में बुलेट ट्रेन के लिए भू-अधिग्रहण प्रक्रिया के ख़िलाफ़ किसानों का प्रदर्शन

भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर आयोजित मीटिंग में शामिल किसानों ने दावा किया कि बैठक का एजेंडा और उद्देश्य स्पष्ट नहीं है. अधिकारी इसे दूसरी बैठक बता रहे हैं जबकि किसी को पता ही नहीं है कि पहली मीटिंग कब हुई थी.

(फोटो: रॉयटर्स)

भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर आयोजित मीटिंग में शामिल किसानों ने दावा किया कि बैठक का एजेंडा और उद्देश्य स्पष्ट नहीं है. अधिकारी इसे दूसरी बैठक बता रहे हैं जबकि किसी को पता ही नहीं है कि पहली मीटिंग कब हुई थी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

वडोदरा: किसानों के एक समूह ने अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड रेल परियोजना के लिए हो रहे जमीन अधिग्रहण के लिए आयोजित परामर्श बैठक का विरोध किया और आरोप लगाया कि बैठक बहुत संक्षिप्त सूचना पर बुलाई गई थी. बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम कर रहे नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसी) ने रविवार अखबारों में नोटिस प्रकाशित कर इस बैठक के बार में प्रभावित किसानों को सूचित किया था.

इस नोटिस में कहा गया कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ‘दूसरी हितधारक परामर्श बैठक’ आयोजित की जाएगी लेकिन किसानों ने इस पर विरोध जताया और दावा किया कि दरअसल, इससे पहले तो कोई बैठक ही नहीं हुई. महात्मा गांधी नगर में बैठक स्थल पर पहुंचे किसानों ने मांग की कि एनएचएसआरसी के अधिकारी बैठक के पहले दौर का ब्योरा उनके साथ साझा करें.

एक किसान प्रतिनिधि ने कहा , ‘बैठक का एजेंडा और मकसद स्पष्ट नहीं है, जिसे अधिकारी दूसरे दौर की कह रहे हैं. यह बहुत कम समय के नोटिस पर बुलाई गई और किसी को यह नहीं पता कि पहली बैठक कब हुई थी.’ प्रदर्शनकारी किसानों ने वडोदरा और भरूच के कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा और कहा कि नोटिस का आशय केवल औपचारिकता मात्र था और इसका मकसद प्रभावित किसानों को सूचित करना नहीं था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, किसानों के प्रतिनिधि कृष्णकांत ने कहा, ‘बैठक का एजेंडा और उद्देश्य स्पष्ट नहीं है. अधिकारी इसे दूसरी बैठक बता रहे हैं जबकि किसी को पता ही नहीं है कि पहली मीटिंग कब हुई थी. कम समय में सूचना दिए जाने के कारण बड़ी संख्या में किसान मीटिंग में पहुंच नहीं पाए.’

वहीं एनएचएसआरसी के प्रतिनिधि द्वैपायन दत्ता ने कहा कि किसान समय पर सूचित नहीं करने की शिकायत जरूर कर रहे हैं लेकिन 60 से 70 प्रतिशत किसान बैठक में आए थे.

गौरतलब है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसके लिए 1,400 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, जिसमें ज्यादातर गुजरात के हिस्से में आएगी.

क्या है परियोजना

इस परियोजना की कुल लंबाई 508.90 किमी है. जिसमें 487 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर और 22 किमी सुरंग बननी है. प्रस्तावित 12 स्टेशन में से आठ का निर्माण गुजरात में होना है. गुजरात में इसकी लंबाई 349.03 किमी है जबकि महाराष्ट्र में 154.76 किमी है. वहीं 4.3 किमी यह दादरा एवं नगर हवेली से गुजरेगी.

इस पूरी परियोजना के लिए गुजरात में 612.17 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 246.42 हेक्टेयर और दादरा नगर हवेली में 7.52 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है. केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को 15 अगस्त 2022 तक शुरू कर देना चाहती है.

गौरतलब है कि उच्च गति से चलने वाली यह ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद की 500 किमी की दूरी को तीन घंटे से कम समय में पूरा करेगी, जिसके लिए अभी सात घंटे लगते हैं.

बाजार दरों से अधिक मुआवजा दिए जाने की बात

इससे पहले एनएचएसआरसी के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने बताया था कि दिल्ली, मुंबई और जापान के इंजीनियरों ने पुलों और सुरंगों के डिजाइन का करीब 80 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया है. प्रस्तावित गलियारा मुंबई में बांद्रा- कुर्ला कॉम्प्लेक्स( बीकेसी) से शुरू होकर अहमदाबाद के साबरमती रेलवे स्टेशन पर खत्म होगा.

खरे ने कहा कि मार्ग और मृदा परीक्षण के सर्वेक्षण का काम चल रहा है. दोनों राज्यों में भूमि अधिग्रहण का काम शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी जमीन दे देंगे उन्हें मौजूदा बाजार दरों से अधिक मुआवजा दिया जाएगा. जो लोग अपनी जमीन नहीं देंगे, उनकी भूमि को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुर्नस्थापन अधिनियम 2013 की धारा 19 के तहत अधिगृहीत किया जाएगा.

खरे ने कहा कि पूरी परियोजना अग्नि और भूंकपरोधी होगी. भूंकप संवेदनशील क्षेत्रों में सिस्मोमीटर (भूकंपमाफी) और हवा मापने वाली प्रणाली लगाई जाएगी. ट्रेन की गति हवा के वेग पर निर्भर करेगी और यदि हवा का बहाव 30 मीटर प्रति सेकेंड होगा तो ट्रेन का परिचालन बंद हो जाएगा. व्यस्त घंटों में तीन ट्रेन और कम व्यस्त घंटों में दो ट्रेन चलाने की योजना होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)