साक्षात्कार: उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी बहुमत मिला है. केंद्र और राज्य में अब भाजपा की सरकार है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भाजपा का बुनियादी मुद्दा रहा है. अयोध्या से पांच बार विधायक रहे और अभी फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह से राम मंदिर समेत तमाम दूसरे मुद्दों पर बातचीत.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मिली भारी जीत के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा की क्या योजना है?
अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो यह हर हिंदू बहुसंख्यक समाज की प्राथमिकता है. हम वहां से पांच बार विधायक और अब सांसद हैं. मेरा भी यही सपना है लेकिन अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. ऐसे में अदालत का जो भी फैसला आएगा हम उसके अनुसार कदम उठाएंगे.
क्या सरकार अदालत से बाहर संबंधित पक्षों में आम राय बनाने की कोशिश करेगी?
सरकार संवैधानिक दायरे में रहकर जो कुछ भी संभव है वह जरूर करेगी. भाजपा का हमेशा से कहना रहा है कि राम मंदिर निर्माण कार्य अयोध्या के साधू-संत समाज के लोगों का काम है, बीजेपी केवल इन लोगों का साथ देगी. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से पहले उसका विकास करना हमारा लक्ष्य है.
विवादित ढांचे से जुड़े दूसरे पक्ष का कहना है कि भाजपा और संघ जान-बूझकर इस मुद्दे को जिंदा रखे हुए हैं ताकि वो वोटबैंक की राजनीति कर सके. इस पर आपका क्या कहना है?
राम मंदिर को लेकर हमारी पार्टी का जो स्टैंड है वो जगजाहिर है. ऐसे में कौन क्या कह रहा है और किस मकसद से कह रहा है ये उसकी समस्या है. राम मंदिर को लेकर भाजपा की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. हमें अपनी पार्टी, नेता व संगठन पर पूरा भरोसा है. समय आने पर जो वादा हमने किया है वह पूरा किया जाएगा. लेकिन उससे पहले अयोध्या एक पौराणिक नगरी है. हाईकोर्ट ने भी यह मान लिया है कि अयोध्या राम की जन्मस्थली है, तो वहां का जनप्रतिनिधि होने के नाते वहां का सर्वांगीण विकास मेरा लक्ष्य है. ऐसा विकास जिसमें स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिल सके.
अयोध्या को लेकर आपकी और भाजपा सरकार की क्या योजनाएं हैं?
हमारा लक्ष्य है कि अयोध्या 2019 तक देश के पर्यटन के नक्शे पर प्रमुखता से उभर जाए. जैसे आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी में देशभर से श्रद्धालु जाते हैं वैसे ही अयोध्या में देशभर से श्रद्धालु आएं. इससे हमारे लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा. अभी तक हमारी बहुत सी योजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य सरकार अड़ंगा लगाती थी लेकिन अब प्रदेश में हमारी सरकार होने से इससे मुक्ति मिल गई है.
अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहले रेल मार्ग और सड़क मार्ग से सुचारु व्यवस्था शुरू की जाएगी. अयोध्या के लिए राम जानकी मार्ग, फैजाबाद से बलरामपुर राज्यमार्ग, 84 कोसी मार्ग जैसी कई सड़क परियोजनाओं को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल चुकी है.
राज्य में हमारी सरकार न होने की वजह से इस पर पूरी तरह से काम नहीं हो सका. इसके अलावा अयोध्या में देश का सर्वोत्तम रेलवे स्टेशन बनाए जाने के लिए 80 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत करने का प्रस्ताव हो चुका है. पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने एक बड़ी राशि अयोध्या में संग्रहालय और विकास के लिए दी है.
केंद्र की मोदी सरकार ने सत्तारूढ़ होने के बाद मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत अभियान समेत तमाम योजनाओं की शुरुआत की थी लेकिन करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी ये योजनाएं अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी हैं.
इन तीन सालों के दौरान तमाम राज्यों में चुनाव होते रहे. हमारी सरकार चुनावों में व्यस्त रही. हम मानते हैं इन योजनाओं की प्रगति धीमी रही है लेकिन अभी दो साल बाकी है हम अपने लक्ष्यों को हासिल करेंगे और वादों को पूरा करेंगे.
दरअसल कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों के चलते हमारे पास संसाधनों की भी कमी हो गई थी. अब सरकार संसाधन भी जुटा रही है. ऐसे में इन योजनाओं की शुरुआत धीमी रही. हमारी नियति ठीक है जनता को इस बात का भरोसा है.
भाजपा के तमाम नेता समय-समय पर भड़काऊ बयान देते रहे हैं. इससे एक खास वर्ग में असुरक्षा की भावना जन्म लेती है. इस पर आपका क्या कहना है?
ये एक बहुत छोटा सा वर्ग है. हमारे नेता नरेंद्र मोदी का कहना है सबका साथ, सबका विकास. हमारी पार्टी, हमारे संगठन और हमारे आदर्श ऐसा बिल्कुल नहीं है. अब अगर हमारी सरकार उज्जवला योजना लेकर आई तो उसमें यह भेदभाव नहीं किया गया कि कौन ईसाई है, कौन मुसलमान और कौन दलित है. सबको इसका फायदा मिला. यह कहना बिल्कुल गलत है. हमारे आदर्श राम हैं. उन्होंने सम्राट की पदवी छोड़कर निषादराज को गले लगाया. शबरी के जूठे बेर खाए.
भाजपा महंगाई का मुद्दा बनाकर सरकार में आई थी, लेकिन अभी महंगाई चरम पर है. क्या महंगाई अब भाजपा के लिए मुद्दा नहीं है?
विकास करना है, बहुत सारी योजनाएं लानी हैं तो इसके लिए पैसे की जरूरत पड़ती है. इसलिए महंगाई थोड़ी-बहुत बढ़ी है, लेकिन नरेंद्र मोदी पर देश को भरोसा है. वह इस पैसे का सदुपयोग करेंगे. थोड़ी महंगाई अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से आई है.
क्या विश्वविद्यालयों में जिस तरह से दूसरी विचारधारा वाले लोगों को भाजपा के छात्र संगठन एबीबीपी द्वारा दबाया जा रहा है, वो गलत नहीं है?
जिन बातों से राष्ट्र का अहित लगता है उसका विरोध करना देश के हित में है. वैचारिक रूप से यह देश हित में हैं. यहां विचारधारा की बात नहीं है. आप रहते हिंदुस्तान में हैं, खाते हिंदुस्तान में हैं और बात आतंकवादियों की करते हैं ये कौन सी विचारधारा है.
जेएनयू में जो होता रहा है छात्र हॉस्टलों में आप नहीं जानते हैं? आप तो दिल्ली में रहते हैं. हम पढ़ने आए हैं हमारे आपके माता-पिता कितना कष्ट उठाकर पैसा भेजते हैं. हम यहां पर आकर जो कर रहे हैं. वो किसी भी विद्यार्थी के लिए, किसी भी शिक्षा संस्थान के लिए, किसी भी नौजवान के लिए कौन बेहतर मानेगा?
विश्वविद्यालयों ने इस देश की राजनीति को दिशा दी है. तमाम बड़े नेता यहीं से निकले हैं. ऐसे में विश्वविद्यालयों की राजनीति पर लगाम लगाना कहां तक जायज है?
जितने नेता विश्वविद्यालय से निकले हैं वो कोई ऐसी बात नहीं करते थे जिस बात में राष्ट्रद्रोह की बात हो, जिससे देश की गरिमा को ठेस पहुंचे. इसके अलावा हमें नहीं लगता कि कहीं लगाम लग रही है लेकिन जहां बात देश के बाहर की होने लगती है. वहीं समाज आक्रोशित होता है, नौजवान आक्रोशित होता है. अगर आप चीन-रूस की विचारधारा को थोपना चाहते हैं तो कैसे चलेगा?