अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, बच्ची का अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए रची गई एक सोची-समझी साज़िश थी.
कठुआ (जम्मू कश्मीर): कठुआ में एक बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने के मामले में आरोपी आठ लोगों ने सोमवार को ख़ुद को बेक़सूर बताते हुए ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश से नार्को टेस्ट कराने का अनुरोध किया.
मामले में सोमवार को सुनवाई शुरू होने के बाद ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश संजय गुप्ता ने राज्य अपराध शाखा से आरोपियों को आरोप पत्र की प्रतियां देने का आदेश दिया और अगली सुनवाई की तारीख़ 28 अप्रैल तय की.
मामले में आठवां आरोपी नाबालिग है, जिसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष ज़मानत के लिये अर्ज़ी दायर की है. इस पर 26 अप्रैल को सुनवाई होगी.
अल्पसंख्यक घुमंतू बकरवाल समुदाय की आठ साल की बच्ची का कथित तौर पर अपहरण कर उसे कठुआ ज़िले के रसाना गांव के एक छोटे से मंदिर में क़रीब एक सप्ताह तक रखा गया. इस दौरान नशे की गोलियां देकर उसे बेहोश रखा गया और हत्या करने से पहले उसका बार-बार बलात्कार किया गया.
मामला इस साल जनवरी का है. वह 10 जनवरी को जंगल से अपने जानवरों को वापस लाने के लिए निकली थी उसके बाद घर नहीं लौटी. एक सप्ताह बाद 17 जनवरी को उसकी लाश मिली थी. मासूम की हत्या पत्थर से कूचकर की गई थी.
आरोपियों के वकील ने अपराध शाखा द्वारा नौ अप्रैल को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर आरोप पत्र की प्रति मांगी है. सत्र न्यायालय में संक्षिप्त सुनवाई के बाद सातों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.
बच्ची से कथित तौर पर बार-बार दुष्कर्म के आरोपी विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने पुलिस वैन से संवाददाताओं को बताया कि वह नार्को परीक्षण और सीबीआई जांच की मांग कर रहा है.
जैसे ही अदालत के अंदर सुनवाई शुरू हुई, सांजी राम की बेटी मधु शर्मा ने बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया और मामले में सीबीआई जांच की मांग की.
अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, बच्ची का अपहरण, बलात्कार और हत्या अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए रची गई एक सोची-समझी साज़िश थी. नाबालिग के लिए एक अलग आरोप पत्र दायर किया गया है.
कठुआ में एक गांव के ‘देवीस्थान’ की देखरेख करने वाले सांजी राम को इस अपराध के पीछे का मुख्य साज़िशकर्ता बताया गया है.
इस अपराध में विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, दोस्त प्रवेश कुमार उर्फ मन्नू, सांजी राम का भतीजा, बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ ‘शम्मा’ और एक नाबालिग शामिल थे.
आरोप पत्र में जांच अधिकारी हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्ता का भी नाम है जिन्होंने कथित तौर पर राम से चार लाख रुपये लिये और अहम साक्ष्य नष्ट किए.
आरोपियों को चालान या आरोप पत्र की प्रतियां मुहैया कराने का मुद्दा वकील अंकुश शर्मा की तरफ़ से न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया. वह अदालत में सांजीराम, उसके बेटे और अन्य का पक्ष रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आरोप पत्र अदालत में नौ अप्रैल को दायर किया गया था लेकिन उसकी प्रति अब तक उन्हें मुहैया नहीं कराई गई है.
सांजीराम ने न्यायाधीश से कहा कि वह नार्को टेस्ट चाहते हैं और उसके लिए तैयार हैं.
न्यायाधीश ने आरोपियों से पूछा कि क्या उन्हें आरोप पत्र की प्रतियां दी गई हैं, जो 400 पन्नों की हैं.
आरोपी तिलक राज का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एके साहनी ने संवाददाताओं से कहा कि जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती फास्ट ट्रैक सुनवाई की बात कर रही हैं लेकिन आरोप पत्र की प्रति उन्हें अब तक मुहैया नहीं कराई गई है.
कठुआ अदालत परिसर में नौ अप्रैल को हुए तनाव के मद्देनज़र सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे. नौ अप्रैल को यहां स्थानीय बार एसोसिएशन ने अपराध शाखा को कथित तौर पर चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप-पत्र दायर नहीं करने दिया था.
इसे लेकर भी पुलिस ने बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ताओं के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर लिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)