हरियाणा के मानेसर स्थित मारुति सुजूकी प्लांट में हुई हिंसा के लिए स्थानीय अदालत ने 13 मज़दूरों को आजीवन कारावास और चार मज़दूरों को पांच साल की सज़ा सुनाई है.
मारुति प्लांट में साल 2012 में हुई हिंसा में शनिवार को फैसला सुनाते हुए हरियाणा की एक स्थानीय अदालत ने 13 मजदूरों पर हत्या, हत्या की कोशिश और सबूतों से छेड़छाड़ और आपराधिक षड्यंत्र रचने का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई.
बाकी बचे 18 मज़दूरों में से चार को पांच साल कारावास की सज़ा मिली है और 14 मज़दूरों को 2500 रुपये प्रति मज़दूर के मुचलके पर कोर्ट ने रिहा करने का फैसला सुनाया है.
जिन 13 मज़दूरों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई उनमें राम मेहर, संदीप ढिल्लन, राम बिलास, सरबजीत सिंह, पवन कुमार, सोहन कुमार, प्रदीप गुर्जर, योगेश कुमार, अजमेर सिंह, जिया लाल, अमरजीत, प्रदीप कुमार और धनराज भांबी शामिल हैं.
गुड़गांव से तकरीबन 20 किमी. दूर मानेसर स्थित मारुति सुजुकी के प्लांट में 18 जुलाई, 2012 को हड़ताल के दौरान हुई हिंसा में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर अवनीश कुमार देव की जिंदा जल जाने से मौत हो गई थी जबकि करीब 100 लोग घायल हुए थे.
घायलों में पुलिसकर्मी भी शामिल थे. इस दौरान परिसर में जमकर तोड़फोड़ हुई थी, जबकि संयंत्र को अधिकतर हिस्सा जलकर खाक हो गया था. इस घटना के बाद प्लांट के 525 श्रमिकों की नौकरी चली गई थी. यह हिंसा एक कर्मचारी के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई के मुद्दे पर शुरू हुई थी. जिसके बाद मारुति के मानेसर प्लांट को एक महीने के लिए बंद करना पड़ा था.
बीते 10 मार्च को कोर्ट ने मामले के 148 आरोपियों में से 31 को दोषी करार दिया था जबकि 117 मज़दूरों को बरी कर दिया था.