कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई और दो मंत्रियों का आरोपियों के पक्ष में खड़ा होना शर्मनाक है.
नई दिल्ली: कठुआ में 8 साल की बच्ची से गैंगरेप और मर्डर और उन्नाव में बीजेपी विधायक पर युवती से गैंगरेप के आरोप के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को खुलकर बोलने की सलाह दी है.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह जो सलाह मुझे देते थे, उस पर खुद अमल करना चाहिए और खुलकर बोलना चाहिए.
इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्हें ख़ुशी हुई जब शुक्रवार को बीआर अंबेडकर जयंती के दौरान मोदी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि भारत की बेटियों को इंसाफ मिलेगा.
सिंह से पूछा गया कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ‘मौन मनमोहन सिंह’ कहकर आलोचना करते थे, तब उन्होंने कहा कि वो इस तरह की टिप्पणियों के साथ पूरा जीवन बिता चुके हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2012 में हुए निर्भया कांड पर कहा कि उस समय भारत सरकार और कांग्रेस पार्टी ने उपयुक्त कार्रवाई की थी और बलात्कार विरोधी कानून में संशोधन भी किया था.
जब ये पूछा गया कि कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का रुख कैसा रहा तो मनमोहन कहते हैं, ‘वो चाहतीं तो मामले को और भी अच्छे से संभाल सकती थीं. मामले को शुरू से अपने हाथ में लेकर दोषियों को बिना देरी के सलाख़ों के पीछे भेजा जा सकता था.’
वो आगे कहते हैं कि हो सकता है मुफ़्ती पर साथी दल भाजपा का दबाव हो और भाजपा के दो मंत्री भी आरोपियों के समर्थन में आए थे.
मनमोहन सिंह कहते हैं कि उन्होंने पीड़िता के पिता का बयान पढ़ा था, जिसमें वो कहते हैं कि वो बच्ची इतनी छोटी थी कि उसे हिंदू-मुस्लिम और दायां या बायां हाथ का अंतर भी नहीं पता था. आरोपियों के पक्ष में भाजपा ने मामलों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और दो मंत्रियों का आरोपियों के पक्ष में खड़ा होना शर्मनाक है.
भाजपा की राज्य सरकारों पर हमला बोलते हुए मनमोहन ने कहा कि भाजपा सरकारें कानून व्यवस्था के मामले में आंखें मूंद ली हैं. महिलाओं की सुरक्षा मामले के साथ भीड़ द्वारा मुसलमानों की हत्या और दलितों पर हमले 2019 चुनाव से पहले अहम मुद्दे हैं.
लोग सरकारी प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि वो बच जाएंगे और कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है. केंद्र की भाजपा सरकारों को राज्य सरकारों को कानून व्यवस्था बनाये रखने का निर्देश देना चाहिए और दलित, अल्पसंख्यक और महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए.