एनआईए की विशेष अदालत के जज रवींद्र रेड्डी ने 16 अप्रैल को मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी असीमानंद समेत पांच लोगों को बरी करने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया था.
हैदराबाद: मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में सभी आरोपियों को बरी करने वाले विशेष आतंक रोधी अदालत (एनआईए) के जज रवींद्र रेड्डी का इस्तीफा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दिया है.
वर्ष 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में हैदराबाद की एक विशेष आतंक रोधी अदालत ने स्वामी असीमानंद और चार अन्य को बीते 16 अप्रैल को बरी कर दिया, जिसके बाद रेड्डी ने तुरंत इस्तीफा दे दिया था. जज पद से इस्तीफा देने के पीछे उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया था.
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस्तीफा नामंजूर करते हुए रेड्डी को काम पर वापस लौटने को कहा है.
The resignation of NIA special court judge Ravinder Reddy, who delivered verdict in #MeccaMasjidBlast case, has been rejected by High Court of Andhra Pradesh and Telangana. He has been asked to attend to his duties immediately: Sources pic.twitter.com/JQWLdLcpJh
— ANI (@ANI) April 19, 2018
एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी ने कहा कि रेड्डी ने मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश को अपना इस्तीफा सौंपा था. अपने इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया और कहा कि इसका सोमवार के फैसले से कोई लेना देना नहीं है.
अधिकारी ने पीटीआई से कहा कि दरअसल उन्होंने कहा कि वह काफी समय से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे थे.
गौरतलब है कि 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में बम विस्फोट हुआ था, जिसमें नौ लोगों की मौत हुई थी और 58 लोग घायल हुए थे. इस घटना के 11 साल बाद अदालत ने पाया है कि इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है.
इस विस्फोट का आरोप हिंदुत्व संगठन अभिनव भारत पर लगा था. शुरुआती पुलिस जांच के बाद मामला सीबीआई को दे दिया गया था, जिसने मामले की चार्जशीट दाखिल की. इसके बाद साल 2011 में सीबीआई ने जांच एनआईए को सौंप दी.
मामले में 10 लोगों का नाम आरोपियों के रूप में दर्ज किया गया था हालांकि इनमें से सिर्फ 5, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नाबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी, की गिरफ़्तारी हुई और मुकदमा चला.
सोमवार को अदालत ने असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी को बरी कर दिया था.