सुप्रीम कोर्ट द्वारा जज लोया की ‘संदिग्ध’ मौत पर स्वतंत्र जांच की याचिका ख़ारिज करने के बाद परिवार ने कहा अब किसी पर विश्वास नहीं.
सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत से जुड़ी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट द्वारा ख़ारिज किये जाने के बाद उनके परिजनों ने असंतुष्टि जाहिर की है.
द प्रिंट से बात करते हुए जज लोया के चाचा श्रीनिवास लोया ने कहा, ‘फैसला हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं है. कई सवालों के जवाब अभी बाकी हैं. ये बेहतर होता कि स्वतंत्र जांच करवाई जाती. लेकिन अब हमें इस बारे में किसी से कोई उम्मीद नहीं है. मीडिया और विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया जरूर है, लेकिन उससे कुछ होता नजर नहीं आ रहा.’
ज्ञात हो कि लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी, जिसकी वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था. वे नागपुर अपनी सहयोगी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में गए हुए थे.
जज लोया की मौत की परिस्थितियों पर सवाल उनकी बहन अनुराधा बियानी ने उठाये थे. उन्होंने द कारवां पत्रिका से बात करते हुए कहा था कि ऐसी कई वजहें हैं, जिनसे उन्हें उनके भाई की मौत से जुड़ी परिस्थितियों पर संदेह है.
लोया अपनी मौत के समय सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे. अनुराधा ने यह भी कहा कि लोया को बॉम्बे हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस मोहित शाह द्वारा मामले में मनमाफिक फैसला देने के एवज में बतौर रिश्वत 100 करोड़ रुपये देने की पेशकश भी की गयी थी.
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अनुराधा ने कहा, ‘क्या बोलूं अब? जो एक विश्वास था वो भी अब नहीं है. कुछ बोलने जैसा रखा ही नहीं है चार साल से किसी ने.’
इस पत्रिका की रिपोर्ट के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने और बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने जज लोया की मौत की जांच करवाने की मांग की याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा था.
गुरुवार को इस मामले में फैसला देते हुए कहा कि जज लोया की स्वाभाविक मृत्यु हुई थी और इन याचिकाओं में न्याय प्रक्रिया को बाधित करने तथा बदनाम करने के गंभीर प्रयास किए गए हैं. साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि जज लोया के निधन से संबंधित परिस्थितियों को लेकर दायर सारे मुक़दमे इस फैसले के साथ समाप्त हो गए.