लंबे समय से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से नाराज़ चल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि आज देश के लोकतंत्र पर ख़तरा है.

पटना: देश के वित्त मंत्री रह चुके और लंबे समय से भाजपा से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ दी है. पटना में इसकी घोषणा करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘मैं भाजपा के साथ अपने सभी संबंधों को समाप्त कर रहा हूं. आज से मैं किसी भी तरह की पार्टी पॉलिटिक्स से भी संन्यास ले रहा हूं.’
उन्होंने कहा, ‘आज लोकतंत्र खतरे में है. मैं राजनीति से संन्यास ले रहा हूं, लेकिन आज भी दिल देश के लिए धड़कता है.’
Today I am taking ‘sanyas’ from any kind of party politics, today I am ending all ties with the BJP: Former Finance Minister Yashwant Sinha in Patna. pic.twitter.com/cOvInznyza
— ANI (@ANI) April 21, 2018
यशवंत सिन्हा ने इसी साल 30 जनवरी को राष्ट्र मंच के नाम से एक नए संगठन की स्थापना की थी. तब उन्होंने कहा था कि यह संगठन गैर-राजनीतिक होगा और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करेगा.
गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा अब भी मोदी सरकार में मंत्री हैं. 1998 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रहे थे. इससे पहले वो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 1990 से 1991 तक चली सरकार में भी वित्त मंत्री थे.
सिन्हा ने ‘कन्फेशंस ऑफ ए स्वदेशी रिफॉर्मर (एक स्वदेशी सुधारक के विचार)’ नामक किताब में वित्त मंत्री के रूप में अपने द्वारा बिताए गए वर्षों का विस्तृत ब्यौरा दिया है.
यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए थे. 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया.
1989 में जनता दल का गठन के बाद उनको पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया. बाद में वो जनता दल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. जून 1996 में वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने. 2009 में उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
शनिवार को वो पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में प्रस्तावित देशभर के प्रमुख दलों के नेता एवं प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. कार्यक्रम में कांग्रेस, राजद, आम आदमी पार्टी एवं सपा समेत भाजपा-जदयू के असंतुष्ट नेताओं को भी बुलाया गया है. इसमें यशवंत सिन्हा के अलावा भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा तथा शरद यादव व उदय नारायण चौधरी और तेजस्वी यादव भी शिरकत कर रहे हैं.