बच्चों से रेप के दोषियों को मृत्युदंड देने के अध्यादेश को मिली मंज़ूरी

पॉक्सो एक्ट में बड़ा बदलाव, 12 साल से कम उम्र के बच्चों से रेप पर होगी फांसी की सज़ा.

(फोटो: पीटीआई)

पॉक्सो एक्ट में बड़ा बदलाव, 12 साल से कम उम्र के बच्चों से रेप पर होगी फांसी की सज़ा.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कठुआ एवं उन्नाव में बलात्कार की घटनाओं को लेकर देशभर में व्याप्त रोष के बीच ऐसे मामलों में प्रभावी प्रतिरोधक स्थापित करने तथा लड़कियों में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सज़ा देने संबंधी एक अध्यादेश को 21 अप्रैल को मंज़ूरी दे दी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आपराधिक क़ानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंज़ूरी दी गई. प्रधानमंत्री 21 अप्रैल ही विदेश यात्रा से वापस आए हैं. कैबिनेट की बैठक उनके आवास पर हुई.

सरकार ने देश के कुछ हिस्सों में बलात्कार की घटनाओं पर गंभीर संज्ञान लिया है और ऐसी घटनाओं पर गहरा रोष व्यक्त किया है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ठोस उपाय तैयार करने पर ज़ोर दिया गया.

आपराधिक क़ानून संशोधन अध्यादेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य क़ानून, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) में संशोधन का प्रावधान है. इसमें ऐसे अपराधों के दोषियों के लिए मौत की सज़ा का नया प्रावधान लाने की बात कही गई है.

जम्मू कश्मीर के कठुआ और गुजरात के सूरत ज़िले में हाल ही में लड़कियों से बलात्कार और हत्या की घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह क़दम उठाया गया है.

अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.

इसमें 16 वर्ष से कम आयु की किशोरियों और 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त दंड का प्रावधान किया गया है. इसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सज़ा देने की बात कही गई है.

इसके अलावा बलात्कार के मामलों की तेज़ गति से जांच और सुनवाई के लिए भी अनेक उपाए किए गए हैं. महिला के साथ बलात्कार के संदर्भ में सज़ा को 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष के कारावास किया गया है जिसे बढ़ाकर उम्र क़ैद किया जा सकता है.

इसके साथ ही 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार के दोषियों को न्यूनतम सज़ा को 10 वर्ष कारावास से बढ़ाकर 20 वर्ष कारावास किया गया है जिसे बढ़ाकर उम्रक़ैद किया जा सकता है. 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सज़ा शेष जीवन तक की क़ैद होगी.

12 साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा कम से कम 20 साल कारावास की सज़ा या मृत्युदंड होगी. 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषियों को शेष जीवन तक क़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

इसमें बलात्कार से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई का काम दो महीने में पूरा करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई छह महीने में पूरा करने की बात कही गई है.

इसमें यह कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी लोगों के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा.

इसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श करके त्वरित निपटान अदालतों के गठन की बात कही गई है. सभी पुलिस थाने और अस्पतालों में विशेष फोरेंसिक किट उपलब्ध कराने की बात कही गई है.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यौन अपराध से जुड़े लोगों का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करेगा और इसे राज्यों के साथ साझा किया जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)