राज्य की पूर्व ओकराम इबोबी सिंह सरकार के सात नए ज़िले बनाने के फैसले के ख़िलाफ़ यूनाइटेड नगा काउंसिल ने एक नवंबर, 2016 से आर्थिक नाकेबंदी की शुरुआत की थी.
यूनाइटेड नगा काउंसिल से केंद्र और राज्य सरकार की तीन स्तरीय बातचीत के बाद मणिपुर में 4.5 महीने से ज़्यादा समय से जारी आर्थिक नाकाबंदी का मसला रविवार देर रात को सुलझा लिया गया.
नगा समूह इस बात से नाराज़ थे क्योंकि उनके अनुसार नए ज़िले उनके पुरखों की जमीनों को बांट कर बनाए जा रहे थे. नगा नेताओं का कहना था कि उनकी ज़मीन उनसे इस तरह नहीं छीनी जा सकती.
राज्य के सेनापति ज़िला मुख्यालय में रविवार रात को हुई बैठक में इस बात का समझौता हुआ कि इस मामले से जुड़े सभी पक्षों की समस्याओं के समाधान के बाद ही नए ज़िलों के गठन को लेकर राज्य सरकार कोई कदम उठाएगी.
बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि यूनाइटेड नगा काउंसिल के अध्यक्ष गायदोन कामेई और प्रचार सचिव सांखुई स्टीफेन को बिना शर्त रिहा किया जाएगा. 25 नंवबर से ये दोनों नेता इंफाल जेल में बंद हैं.
इसके अलावा नगा नेताओं और छात्र नेताओं पर आर्थिक नाकेबंदी से जुड़े सभी केस बंद किए जाएंगे. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव उत्तर पूर्व सत्येंद्र गर्ग ने की.
राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में सात नए ज़िले बनाने का निर्णय लिया था. यूनाइटेड नगा काउंसिल ने इस फैसले का विरोध किया था. जीरिबाम और कांगपोक्पी ज़िलों को लेकर काउंसिल को ख़ासतौर पर आपत्ति थी.
कांगपोक्पी को ज़िला बनाए जाने की मांग पुरानी है. इलाके में रह रहा कुकी समुदाय पिछले एक दशक से ये मांग कर रहा है. कुकी और नगा समुदायों के बीच 90 के दशक की शुरुआत से ही जातीय हिंसा अक्सर होती रही है.
आर्थिक नाकाबंदी शुरू होने के बाद मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले दो राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 2 और एनएच 37 को नगा समूहों ने बंद कर दिया था.
इसकी वजह से मणिपुर में ज़रूरी सामान ख़ासतौर से तेल और रसोई गैस की सप्लाई ठप पड़ गई थी. पेट्रोल के दाम जहां 200 रुपये प्रति लीटर हो गए थे वहीं एक गैस सिलेंडर 2500 रुपये का मिल रहा था. नाकेबंदी के दौरान अराजकता का माहौल था. इस दौरान अज्ञात लोगों द्वारा राजमार्ग पर कई ट्रकों को फूंक दिया था, वाहन चालकों के साथ मारपीट के अलावा सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला हुआ था.