अलीमुद्दीन अंसारी की भीड़ द्वारा की गई हत्या के मामले में झारखंड की एक अदालत ने पिछले महीने 11 आरोपियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.
रामगढ़ (झारखंड): भाजपा के तीन पूर्व विधायक और कुछ स्थानीय समूह झारखंड के रामगढ़ में बीते वर्ष अलीमुद्दीन अंसारी को भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारे जाने के मामले की जांच सीबीआई और एनआईए से कराने की मांग को लेकर पिछले दो हफ्तों से धरने पर बैठे हुए हैं.
45 वर्षीय अंसारी को रामगढ़-गोला रोड़ पर 29 जून 2017 को भीड़ ने पीटकर मार डाला था. भीड़ में बजरंग दल की गोरक्षा समिति के सदस्य शामिल थे. अंसारी अपने जिस वाहन में गोमांस ले जा रहे थे, उसे भी जला दिया गया था.
रामगढ़ की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने 21 मार्च को मामले में 11 आरोपियों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी, जिसमें एक भाजपा नेता और बजरंग दल गोरक्षा समिति के स्थानीय सदस्य शामिल थे.
वहीं, एक अन्य आरोपी पर फैसला विचाराधीन है क्योंकि उसके मामले में इस बात पर मंथन जारी है कि उसकी सुनवाई भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत हो या फिर उसे एक जुवेनाइल मानकर सुनवाई आगे बढ़ाई जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रामगढ़ के पूर्व विधायक शंकर चौधरी हिंदू समाज पार्टी और रामगढ़ युवा संघ के साथ ‘अटल विचार मंच’ के बैनर तले रामगढ़ शहर में 15 दिवसीय धरने पर बैठे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हिंदू समाज पार्टी का गठन कमलेश तिवारी ने किया था, जिन्हें मुहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक बयान के लिए पहले गिरफ़्तार किया जा चुका है. वहीं, रामगढ़ युवा संघ युवाओं का एक स्थानीय सामाजिक संगठन है.
हजारीबाग में बरकागांव के पूर्व विधायक लोकनाथ महतो और हजारीबाग के ही विधायक देवी दयाल कुशवाहा भी धरने में शामिल हैं.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, शंकर चौधरी ने 10 तारीख को शुरू किए अपने धरने से पहले विशाल तिरंगा यात्रा निकाली थी और एक मंदिर में मुंडन कराकर 15 दिनों के लिए धरने पर बैठ गए थे. बालों को मां दुर्गा के चरण में चढ़ाकर उन्होंने कसम खाई है कि जब तक जेल में बंद सभी 11 लोगों की रिहाई नहीं हो जाती या राज्य सरकार पूरे मामले की सीबीआई या एनआईए से जांच कराने की घोषणा नहीं करती है, तब तक वे अपने बाल नहीं उगाएंगे.
चौधरी के साथ तीन अन्य लोगों ने भी शपथ ली है जिनमें सजा पाए दीपक मिश्रा के पिता सुरेंद्र मिश्रा भी शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में चौधरी ने कहा कि अगर उनकी मांग 24 अप्रैल तक पूरी नहीं की जाती है तो वे 26 अप्रैल से पूरे रामगढ़ में गली-गली में बैठकें करेंगे और 1 मई को रामगढ़ बंद का आह्वान करेंगे.
चौधरी ने कहा, ‘यह तो पहला चरण है. अगर हमारी मांग पर सुनवाई नहीं होती है, तो हमारी कम से कम दो महीने और प्रदर्शन करने की योजना है.’
उन्होंने आगे बताया, ‘बेकुसूर लोगों को दोषी ठहराया जा रहा है. अलीमुद्दीन की मौत पुलिस की हिरासत में पुलिस की मारपीट से हुई थी. पुलिस ने आरोपियों को अपने गलत कारनामों को छिपाने के लिए उन्हें झूठा फंसा दिया. अगर कोई व्यक्ति बुरी तरह घायल है तो पुलिस उसे अस्पताल के बजाय पुलिस स्टेशन लेकर क्यों गई? हम अदालत के फैसले पर कोई बयान नहीं दे रहे हैं. लेकिन लोकतंत्र में, हमें अपना असंतोष व्यक्त करने का अधिकार है.’
दैनिक जागरण के मुताबिक धरना शुरू करते वक्त चौधरी ने कहा था, ‘यह आंदोलन हिन्दू-मुस्लिम की लड़ाई नहीं बल्कि इंसान व अपराधी की लड़ाई है. अलीमुद्दीन एक अपराधी था. घटना के दिन सूचना देने के बाद पुलिस वहां डेढ़ घंटे बाद पहुंची थी.’
पूर्व विधायक ने साथ ही स्थानीय डीएसपी पर पैसा लेकर केस मैनेज करने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि इस आंदोलन की शुरूआत स्थनीय सांसद और राज्य से केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा रामगढ़ में एक प्रेस कांफ्रेंस में की गई उस घोषणा के बाद की गई थी जिसमें सिन्हा ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को मामले की सीबीआई जांच के लिए पत्र लिखने की बात कही थी.
लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, जयंत सिन्हा ने कहा था कि उन्होंने घटना को लेकर कई बिंदुओं पर मंथन किया है. जिसमें पता चला है कि इस पूरे मामले में संपूर्ण न्याय नहीं मिला. संपूर्ण न्याय के लिए निष्पक्ष जांच किया जाना जरूरी है.
उन्होंने यह भी कहा था कि वे कोर्ट के निर्णय का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन स्थानीय सांसद होने के नाते इस मामले में संपूर्ण न्याय दिलाना भी उनकी जिम्मेदारी है.
वहीं, चौधरी ने सिन्हा को एक निश्चित तारीख बताने की चेतावनी देते हुए कहा है कि वे उस निश्चित तिथि की घोषणा करें जिस दिन सीबीआई या एनआईए की जांच के आदेश दिए जाएंगे. पूर्व विधायक ने कहा, ‘यह एक सांप्रदायिक मसला नहीं है, न ही यह अंतर-पार्टी राजनीति है. यह न्याय की बात है. ’
बलराम कुशवाहा जो रामगढ़ जिला भाजपा सचिव और कुशवाहा समुदाय के नेता हैं और इस आंदोलन का हिस्सा भी हैं, उन्होंने कहा, ‘ऐसा होना लोगों की जरूरत है.’
हिंदू समाज पार्टी की युवा इकाई के नेता दीपक सिसोदिया ने कहा, ‘पूरा रामगढ़ जानता है कि अलीमुद्दीन पुलिस थाने गया था. अगर हजारों नहीं तो सैंकड़ों लोग मौके पर मौजूद थे. कैसे केवल 11 लोगों को ही दोषी ठहराया जा सकता है?’
रामगढ़ युवा संघ के सचिव अभिषेक साह ने कहा, ‘जब से यह हादसा हुआ, तब से यह मुद्दा पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह बात मंत्री जी को चौधरी जी के जरिए बताई गई, जिसके चलते उन्होंने घोषणा की थी.
बताया जाता है कि अलीमुद्दीन पर जब हमला हुआ, तब वे अपनी वैन में करीब 200 किलोग्राम मांस लेकर जा रहे थे. उनकी गाड़ी को आग लगा दी गई. पुलिस के बीच-बचाव के बाद अलीमुद्दीन को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया था.
सज़ा का ऐलान होने के बाद बचाव पक्ष के वकील बीएम त्रिपाठी ने कहा था कि यह मामला पुलिस हिरासत में मौत का है. चूंकि अलीमुद्दीन को गंभीर स्थिति में पुलिस द्वारा ले जाया गया था, इसलिए यह पुलिस हिरासत में मौत का मामला है.