नीति आयोग के सीईओ ने कहा, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कारण भारत पिछड़ा बना हुआ है

अमिताभ कांत ने कहा कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के हाल बेहाल हैं. यही वे क्षेत्र हैं जिनमें भारत पिछड़ रहा है. पांचवीं कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा के जोड़-घटाव नहीं कर पाता है. शिशु मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है.

(फोटो :पीटीआई)

अमिताभ कांत ने कहा कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के हाल बेहाल हैं. यही वे क्षेत्र हैं जिनमें भारत पिछड़ रहा है. पांचवीं कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा के जोड़-घटाव नहीं कर पाता है. शिशु मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है.

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नई दिल्ली: नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के कारण देश पिछड़ा बना हुआ है.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रथम अब्दुल गफ्फार ख़ान स्मारक व्याख्यान के दौरान अमिताभ कांत ने कहा, ‘खासकर कि सामाजिक संकेतकों के मामले में बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के कारण भारत पिछड़ा बना हुआ है, ‘

उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि, व्यापार में आसानी के मामले में हमने तेजी से सुधार किया है, लेकिन मानव विकास सूचकांक में हम अब भी पिछड़े हैं, 188 देशों में 133वें पायदान पर हैं.’

‘चैलेंजेज ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ के मुद्दे पर कांत ने कहा कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य बहुत अच्छा कर रहे हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मानव विकास सूचकांक में बेहतर करने के लिए हमें सामाजिक संकेतकों पर गौर करना होगा. हम आकांक्षित जिला कार्यक्रम के जरिये इन चीजों पर काम कर रहे हैं.’

सतत विकास के महत्व पर जोर देते हुए कांत ने कहा, ‘देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के हाल बेहाल हैं और यही वे क्षेत्र हैं जिनमें भारत पिछड़ रहा है. हमारे सीखने के परिणाम बहुत बुरे हैं, एक पांचवीं कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा के जोड़-घटाव नहीं कर पाता है. पांचवीं कक्षा का छात्र अपनी मातृभाषा तक नहीं पढ़ पाता है. शिशु मृत्यु दर बहुत ज्यादा है.जब तक कि हम इन बिंदुओं पर सुधार नहीं करते, हमारे लिए सतत विकास करना बहुत मुश्किल होगा.’

उन्होंने निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी पर भी बात की. उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को अवसर देने के लिए नीतियों को नीतियों को उस हिसाब से बनाने के लिए सचेत प्रयासों की जरूरत है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)