पीड़िता के पिता ने कहा कि पिछले चार साल के दौरान हमारा घर से निकलना बंद हो गया था. पीड़िता के प्राचार्य ने बताया कि वे उसकी जन्मतिथि बदलवाना चाहते थे ताकि आसाराम को पॉक्सो क़ानून के तहत कड़ी सज़ा से बचाया जा सके.
शाहजहांपुर/बलिया (उत्तर प्रदेश): आसाराम को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाने के अदालत के फ़ैसले से खुश होते हुए नाबालिग पीड़िता के पिता ने बुधवार को कहा कि बेटी की हिम्मत से ही ‘ढोंगी बाबा को उसके किए की सज़ा मिल सकी.’
आसाराम को जोधपुर की एक अदालत द्वारा उम्रक़ैद की सज़ा सुनाए जाने के कुछ देर बाद पीड़िता के पिता पुलिस सुरक्षा में मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा कि हमें पहले से ही न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और हमारा भरोसा सच साबित हुआ.
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारी बेटी बहुत हिम्मत वाली है. आज उसकी हिम्मत से ही हम ‘इस ढोंगी बाबा को उसके किए की सज़ा दिला पाए हैं’.
पीड़िता के पिता ने कहा कि हमने लड़ाई जीत ली है. आसाराम जेल में ही रहेगा. हमें अब किसी का डर नहीं है क्योंकि न्यायपालिका और प्रशासन हमारे साथ हैं. हमें प्रशासन तथा शहर के लोगों एवं मीडिया ने पूरा सहयोग किया तभी हम लड़ाई जीत पाए हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर अब हमारी मौत भी हो जाती है तब भी हमें कोई ग़म नहीं होगा क्योंकि हमने अपनी बेटी को न्याय दिला दिया.
पिता ने कहा कि पिछले चार साल के दौरान हमारा घर से निकलना बंद हो गया था. हम अपने घर में ही क़ैद होकर रह गए थे. इस वजह से हमारा व्यापार भी काफ़ी प्रभावित हुआ. आज जब अदालत से आसाराम को दोषी ठहरा दिया गया तो कलेजे को ठंडक पहुंची है.
अदालत के फैसले के पूर्व यहां के प्रशासन ने शहर में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी थी. इसके अलावा पीड़िता के घर पर भी भारी बल तैनात किया गया था.
प्रशासन ने शहर में रह रहे आसाराम के अनुयायियों पर भी पूरी निगाह रखी तथा शहर से दो किलोमीटर दूर रुद्रपुर गांव स्थित आसाराम के आश्रम पर भी भारी पुलिस बल तैनात है.
आसाराम को सज़ा सुनाए जाने से राहत महसूस की स्कूल प्राचार्य ने
आसाराम को सज़ा मिलने के बाद शाहजहांपुर में उस स्कूल के प्रधानाध्यापक राहत महसूस कर रहे हैं जहां पीड़िता ने पढ़ाई की थी. उन्होंने आसाराम के दोषी साबित होने को सत्य और न्याय की विजय बताया .
स्कूल प्राचार्य अरविंद बाजपेयी ने आरोप लगाया कि उन्हें आसाराम के अनुयायियों से धमकियां मिल रहीं थीं. वे पीड़िता की जन्मतिथि बदलवाना चाहते थे ताकि आसाराम को पॉक्सो क़ानून के तहत कड़ी सज़ा से बचाया जा सके. प्राचार्य आसाराम प्रकरण में गवाह भी हैं.
उन्होंने बताया, ‘अनुयायी मुझसे चाहते थे कि मैं पीड़िता की आयु बढ़ाकर दिखाऊं… लेकिन समाज का स्कूलों में बहुत ज़्यादा विश्वास होता है और इसे कायम रखना मेरा नैतिक कर्तव्य है. मैं अपना कर्तव्य निभाऊंगा.’
जिला प्रशासन ने वाजपेयी को सुरक्षा प्रदान की है हालांकि वह इसे नाकाफ़ी बताते हैं.
आसाराम के रुद्रपुर गांव स्थित आश्रम में सन्नाटा
दूसरी और शाहजहांपुर से दो किलोमीटर दूर रुद्रपुर गांव में बने आसाराम के आश्रम में पूरी तरह सन्नाटा रहा. ग्रामीण बताते हैं कि चार वर्ष पूर्व यहां जब कोई कार्यक्रम होता था तो गाड़ियों की कतार लग जाती थी. पूरे गांव में चहल-पहल रहती थी परंतु आज ग्रामीण भी आसाराम को ढोंगी बाबा कहकर बात करने से कतरा रहे हैं.
बताया जाता है कि इस घटना से पूर्व शहर में ही आसाराम के हज़ारों की संख्या में अनुयायी थे परंतु इस मामले के बाद आश्रम की ओर जाने वालों की संख्या कम हो गई है.
आश्रम में रहने वाला सेवादार दर्शन ने आसाराम को सज़ा सुनाये जाने पर दुख जताया.
निर्भया के परिजन खुश
आसाराम को आज उम्रक़ैद की सज़ा सुनाए जाने के अदालत के फैसले पर दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड की पीड़िता निर्भया के परिजनों ने खुशी का इज़हार किया.
निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने अदालत के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके उनके परिजनों के कलेजे को भी ठंडक पहुंची है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के समय ही जब आसाराम ने निर्भया कांड के गुनाहगारों की वकालत करते हुए निर्भया को क़सूरवार ठहराया था, तभी परिवार को एहसास हो गया था कि ‘आसाराम साधु के वेश में दरिंदा’ है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)