इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने के प्रस्ताव को केंद्र से मिली मंज़ूरी

जस्टिस केएम जोसेफ को पदोन्नति पर संशय बरक़रार, कांग्रेस ने लगाया ‘बदले की राजनीति’ का आरोप.

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ (फोटो साभार: फेसबुक/पीटीआई)

जस्टिस केएम जोसेफ को पदोन्नति पर संशय बरक़रार, कांग्रेस ने लगाया ‘बदले की राजनीति’ का आरोप.

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ (फोटो साभार: फेसबुक/पीटीआई)
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ (फोटो साभार: फेसबुक/पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है. इस तरह, बार से सीधे उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त होने वाली वह पहली महिला जज होंगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार वे सुप्रीम कोर्ट की जज के बतौर शुक्रवार को शपथ लेंगी.

हालांकि सरकार द्वारा जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति पर संशय अब भी बना हुआ है. ख़बरों के अनुसार सरकार ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी है. जस्टिस जोसेफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं.

सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को इंदु को नियुक्त किए जाने के सरकार के फैसले के बारे में पत्र लिखेंगे.

जोसेफ और मल्होत्रा के संबंध में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की फाइल 22 जनवरी को कानून मंत्रालय को मिली थी.

सरकार का मानना है कि जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश कर कॉलेजियम ने वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का सम्मान नहीं किया है. वह उच्च न्यायालय के 669 न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 42 वें स्थान पर हैं.

अगर सरकार कॉलेजियम की एक सिफारिश को स्वीकार करती है और दूसरी को रोके रखती है तो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिख सकते हैं.

सरकार के अंदर ऐसी भावना है कि मुद्दे को बहुत लंबा नहीं खींचा जा सकता और कोई अंतिम फैसला करना होगा.

कांग्रेस ने पूछा, क्या उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ फैसले के कारण जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति नहीं हुई

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘बदले की राजनीति’ की राजनीति का आरोप लगाया.

पार्टी ने सवाल किया कि क्या दो साल साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से जस्टिस जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गई?

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया है, ‘न्यायपालिका को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की ‘बदले की राजनीति’ और उच्चतम न्यायालय का ‘साजिशन गला घोंटने’ का प्रयास फिर बेनकाब हो गया है.’

उन्होंने कहा, ‘जस्टिस जोसेफ भारत के सबसे वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीश हैं. फिर भी मोदी सरकार ने उन्हें उच्चतम न्यायालय का न्यायधीश नियुक्त करने से इनकार कर दिया. क्या यह इसलिये किया गया कि उन्होंने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया था?’

गौरतलब है कि मार्च, 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था. कुछ दिनों बाद ही जस्टिस जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था.

सुरजेवाला ने कहा, न्यायपालिका की गरिमा और संस्थाओं की संवैधानिक सर्वोच्चता को तार-तार करना मोदी सरकार की फितरत बन गई है. जून, 2014 में उन्होंने (सरकार) जाने माने कानूनविद गोपाल सुब्रमण्यम के नाम को उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश के रूप मंजूरी नहीं दी क्योंकि वह अमित शाह और उनके लोगों के खिलाफ वकील रहे थे.”

उन्होंने दावा किया, ‘मोदी जी ने पहले संसदीय विशेषाधिकार और सर्वोच्चता पर कुठाराघात किया फिर उन्होंने मीडिया की आजादी में दखल दिया. और अब लोकतंत्र की अंतिम प्रहरी न्यायपालिका अब तक के सबसे खतरनाक हमले का सामना कर रही है.’’

उन्होंने कहा, ‘अगर देश अब नहीं खड़ा हुआ तो सर्वसत्तावाद लोकतंत्र को खत्म कर देगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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